राजगढ़ (धार)। पर्यावरणीय दृष्टि से अति संवेदनशील माने जाने वाले क्षेत्र में हाईटेंशन ओवरहेड लाइन डालने के आदेश पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने अंतरिम रोक लगा दी है। यह मामला उस आदेश से जुड़ा है, जिसके तहत पहले से स्वीकृत भूमिगत लाइन को बदलकर 7 जनवरी 2025 को वन विभाग द्वारा ओवरहेड लाइन की अनुमति दे दी गई थी।
इस फैसले के खिलाफ भानु सोलंकी, बाबूलाल कुशवाहा, संतोष सोलंकी, सोहन चोयल सहित अनेक ग्रामीणों ने याचिकाएं दायर की थीं। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह निर्णय न केवल जनविरोधी है, बल्कि इस क्षेत्र की जैव विविधता, पक्षियों की सुरक्षा और पर्यावरण पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।
कोर्ट ने 7 जनवरी के आदेश पर लगाई अंतरिम रोक 4 अप्रैल को न्यायमूर्ति प्रणय वर्मा और 9 अप्रैल को न्यायमूर्ति सुबोध अभ्यंकर ने याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए वन विभाग के आदेश (Annexure P/4) की प्रभावशीलता पर अंतरिम रोक लगा दी। कोर्ट ने राज्य शासन व अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए छह सप्ताह में उत्तर मांगा है। साथ ही याचिकाकर्ताओं को एक सप्ताह में प्रोसेस फीस जमा करने को कहा गया है।
"अति संवेदनशील क्षेत्र में ओवरहेड लाइन जनविरोधी"
याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता श्री नितिन फड़के ने तर्क दिया कि इस क्षेत्र में पूर्व में भूमिगत लाइन की स्वीकृति पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए दी गई थी। बाद में इसे बदलना स्थानीय जनभावनाओं की अनदेखी है।
फिलहाल कार्य पर रोक, ग्रामीणों ने ली राहत की सांस
हाईकोर्ट के इस आदेश से ग्रामीणों को बड़ी राहत मिली है। फिलहाल ओवरहेड लाइन से संबंधित सभी कार्य रुक गए हैं। अब मामले की अगली सुनवाई आगामी सप्ताहों में होगी, जिस पर सबकी निगाहें टिकी हैं।