BREAKING NEWS
latest
Times of Malwa Digital Services
Promote your brand with positive, impactful stories. No accusations, no crime news—only inspiring and constructive content through Google Articles.
📞 9893711820   |   📧 akshayindianews@gmail.com
News
News

राज्य

राज्य/block-5

आपके शहर की खबर

आपके शहर की खबर/block-3

राजनीति

राजनीति/block-6

मनोरंजन

मनोरंजन/block-6

धर्म

धर्म/block-3

"खेल"

खेल/block-3

"लेख"

लेख/block-3

ख़बरें जरा हटके

ख़बरें जरा हटके/block-10

स्टोरी

स्टोरी/block-7

Latest Articles

World Earth Day के अवसर पर पर्यावरण कार्यकर्ता Alfez Bhatti द्वारा पृथ्वी को बचाने के लिए जन जागरूकता अभियान




 
  गुजरात । २२ अप्रैल को विश्व पृथ्वी दिवस के रूप में मनाया जाता है। और यह दिन पूरी दुनिया में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। गुजरात के युवा पर्यावरणविद् Alfez Bhatti ने जूनागढ़ शहर के विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर खड़े रहकर पृथ्वी को बचाने के लिए जन जागरूकता अभियान चलाया।

  आज की बात करें तो पृथ्वी के विनाश के लिए कई कारण जिम्मेदार हैं। विशेष रूप से वायु प्रदूषण, प्लास्टिक प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण जैसे प्रदूषण का पृथ्वी पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है और इसके गंभीर परिणाम तेजी से दिखाई देने लगे हैं। इसलिए हम जितना प्रदूषण कम करेंगे और जितने अधिक पेड़ लगाएंगे उतने ही बेहतर परिणाम हमें देखने को मिलेंगे।

  इस अभियान के तहत लोगों को पृथ्वी को संरक्षित करने के लिए निर्देशित किया गया, विशेष रूप से "यदि हम पृथ्वी को बचाएंगे तो पृथ्वी हमें बचाएगी।" शीर्षक वाले पोस्टर प्रदर्शित किए गए। इस बात की भी जानकारी दी गई कि पृथ्वी किस प्रकार नष्ट हो रही है, इसके क्या भयंकर परिणाम हो सकते हैं तथा पृथ्वी को किस प्रकार बचाया जा सकता है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व मे विश्व का सबसे सफल चीता पुनर्वास अभियान : मुख्यमंत्री डॉ. यादव,मुख्यमंत्री ने चीतों को खुले बाड़े में छोड़ा,कूनो के बाद मालवा के गाँधी सागर अभयारण्य में चीते भरने लगे फर्राटे





 मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मालवा क्षेत्र के मंदसौर में गाँधी सागर अभयारण्य की भूमि पर प्रभास और पावक चीतों को खुले बाड़े में छोड़ा। चीतों के फर्राटे के साथ 20 अप्रैल, रविवार का दिन मालवा की भूमि के लिए ऐतिहासिक दिवस के रूप मे दर्ज हो गया। देश में पहली बार अंतर्राज्यीय स्तर पर चीतों का पुनर्वास हुआ है। यह दोनों चीते आज श्योपुर कूनो से मंदसौर के गांधी सागर अभयारण्य पहुंचे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने समारोह पूर्वक इन चीतों को खुले बाड़े में छोड़ा। यहां पर्याप्त संख्या में चीतल चिंकारा और छोटे जानवर हैं। दोनों 6 वर्षीय युवा चीते कूनो राष्ट्रीय उद्यान में खुले में ही घूम कर शिकार कर रहे थे। इसलिए इन्हें सीधे खुले बाड़े में छोड़ा गया है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि चीता प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विश्व में सबसे अधिक सफल मध्यप्रदेश में हुआ है। पुनर्वास के बाद श्योपुर के कूनो में दुनिया में सबसे अधिक चीतों का जन्म हुआ है। मालवा की भूमि पर हम चीतों का स्वागत करते हैं। चीतों के आने से मंदसौर और नीमच जिलों मे पर्यटन की संभावनाओं को पंख लग जायेंगे। राजस्थान और मध्यप्रदेश के सीमावर्ती जिलों में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। स्थानीय लोगों को रोजगार के नये अवसर मिलेंगे, उनके जीवन स्तर में भी सुधार होगा। पर्यटकों की संख्या बढ़ने से अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा। वन्य पर्यावरण की दृष्टि से मध्यप्रदेश की धरा पर चीतों का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया गया है।

कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा, सांसद श्री सुधीर गुप्ता, विधायक श्री अनिरुद्ध मारू, श्री हरदीप सिंह डंग, पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री सत्य नारायण जटिया, अपर मुख्य सचिव वन श्री अशोक वर्नवाल, संभाग आयुक्त श्री संजय गुप्ता और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी श्री असीम श्रीवास्तव के साथ बड़ी संख्या में नागरिक उपस्थित रहे।

प्रभास और पावक का कूनो से गाँधी सागर अभयारण्य का सफर

श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क से गांधीसागर अभयारण्य के लिए दो नर चीते प्रभास और पावक को 20 अप्रैल, रविवार की सुबह रवाना किया गया था। सीसीएफ उत्तम कुमार शर्मा और डॉक्टर ओंकार अचल सहित 20 लोगों की टीम चीतों के साथ गाँधी सागर अभयारण्य पहुंची। यह टीम गांधी सागर में 7 दिन रुकेगी। इस दौरान वह स्थानीय स्टाफ को चीतों की देख-रेख के गुर सिखाएगी।

इन चीतों को अलग-अलग वाहनों में लाया गया है, जो श्योपुर, बारां, कोटा और झालावाड़ होते हुए मंदसौर पहुंचे। वाहन और पिंजरे को कूनो नेशनल पार्क में सैनिटाइज किया गया था। गांधी सागर अभयारण्य में 37 किमी का एक बाड़ा बनाया गया है। आपात स्थिति से निपटने के लिए इमरजेंसी सुविधाओं वाला वाहन और मेडिकल टीम भी साथ रहीl

श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के विशाल निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण (चेकअप) शिविर में मुनिश्री की प्रेरणा से लाभार्थी ने एम्बुलेंस चिकित्सालय ट्रस्ट को समर्पित की




 
   राजगढ़ (धार)। श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा तीर्थ द्वारा संचालित गुरु राजेन्द्र जैन चिकित्सालय मोहनखेड़ा महातीर्थ में श्री गुरु राजेन्द्रसूरी हास्पिटल एवं स्वास्थ्य विभाग धार के सयुक्त तत्वाधान में निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण (चेकअप) शिविर का भव्य आयोजन 18 से 20 अप्रैल 2025 तक का हुआ। जिसमें गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के पट्टालंकार वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय हितेशचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा., मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रुपेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा. एवं साध्वी श्री तत्वलोचनाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री विरागयशश्रीजी म.सा., साध्वी श्री हर्षवर्धनाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में रविवार को चिकित्सालय परिसर में मरीजों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो जल्द ही अपने रोगों से मुक्त हो और शीघ्र मरीज चिकित्सालय तक पहुंच जाये ऐसी भावनाओं को लेकर आज आचार्य भगवन्त व मुनिभगवन्तों एवं साध्वीवृंदों की सानिध्यता में मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा. की प्रेरणा से फालना निवासी कांतीलालजी मानमलजी परिवार व पुत्र जीतु भाई द्वारा चिकित्सालय ट्रस्ट को एम्बुलेंस भेंट की।

    कार्यक्रम में मुख्य अतिथि जिला स्वास्थ्य एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आर. के. शिंदे एवं विशेष अतिथि के रुप में जिला टीकाकरण अधिकारी श्री नरेन्द्र पवैया, जिला पत्रकार संघ के अध्यक्ष पण्डित छोटु शास्त्री, श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ व निःशुल्क दवाई वितरण के लाभार्थी, एम्बुलेंस के लाभार्थी, चिकित्सालय के साज सज्जा के लाभार्थी व शिविर के आयोजक लाभार्थी परिवार व चिकित्सालय के ट्रस्टीगणों ने प्रभु श्री पार्श्वनाथ भगवान, दादा गुरुदेव व चिकित्सालय के संस्थापक आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन किया ।












    गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय हितेशचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने अपने आर्शिवचन में कहा कि गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने अपने जीवनकाल में हमेशा गौशाला और चिकित्सालय की चिन्ता की और हमेशा यहां के काया कल्प में अपना योगदान दिया और इन दोनों संस्थाओं को चरम शिखर तक पहुंचाने का प्रयास किया। सुबह से लेकर शाम तक अपने गुरु भक्तों को गौशाला एवं चिकित्सालय के लिये प्रेरणा प्रदान करते रहते थे । में मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा. को प्रेरणा देते हुए कह रहा हूं कि आप गौशाला और चिकित्सालय के प्रति मेहनत करते रहे जहां भी आपको तकलीफ आये आप मुझसे सहयोग की अपेक्षा रखे। मैं आपको हर सम्भव सहयोग प्रदान करता रहूंगा। इस अवसर पर मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि मुनिश्री ने एक अच्छा संकल्प लिया है और वे इस चिकित्सालय के संकल्प की कसोटी पर हमेशा खरे उतरेगें। क्योंकि इनको आचार्य श्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का पूर्ण आशीर्वाद मिला हुआ है। मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि मेरे दादा गुरुदेव, मेरे दीक्षा गुरु आचार्य श्री ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. व वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्री हितेशचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का मुझे पूर्ण आशीर्वाद प्राप्त है इनका सहयोग भी मुझे पूर्ण रुप से मिल रहा है। हम निकट समय में और भी केम्प लगायेगें। दुःखी दर्दी की सेवा करेगें। साध्वी श्री विरागयशाश्रीजी म.सा. तीर्थ के मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, समाजसेवी अशोक भण्डारी, झाबुआ के समाज सेवी यशवंत भण्डारी आदि ने भी सभा को सम्बोधित किया। इस अवसर पर मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा. ने जोधपुर निवासी ओमप्रकाशजी संचेती एवं पुना निवासी मनोजकुमार गिरीया मेहता को चिकित्सालय ट्रस्ट में ट्रस्टी पद से मनोनित किया। मुनिश्री की प्रेरणा से इस शिविर में धार से आई रक्तदान टीम को बड़ी संख्या में रक्तदान दाताओं ने रक्तदान किया। कार्यक्रम में चिकित्सालय ट्रस्ट की और से ट्रस्टी हीरालाल मेहता, प्रकाश सेजलमणी, रणजीत शाह, पंकज जैन धार आदि ने पधारे हुए सभी अतिथियों एवं लाभार्थी परिवारों का बहुमान किया ।

   चिकित्सालय ट्रस्ट के मेनेजिंग ट्रस्टी हीरालाल टी. मेहता, ट्रस्टी पंकज जैन धार ने बताया कि तीसरे दिन डॉ. आशा पवैया (नाक कान गला व स्त्रीरोग), डॉ. सौरभ बोरासी (नेत्र रोग), डॉ. राजेश गुप्ता, डॉ. अलका गुप्ता, डॉ. हेमन्त आर. नरगावे (हृदय एवं पेट रोग), डॉ. पुजा गुप्ता (त्वचा रोग), डॉ. सतीश परासर, डॉ. एस. खान, डॉ. योगेश तवर, ममता परासर अपनी सेवाएं निरन्तर प्रदान की है। शिविर में सभी मरीजों को निःशुल्क भोजन एवं निःशुल्क दवाईयों का वितरण की गई। उक्त जानकारी अस्पताल प्रबंधन से मेहताब सिंदल एवं श्रीमती बरखा मेहता द्वारा दी गई। ट्रस्टी श्री प्रकाश सेजलमणी, रणजीत शाह, अशोक भण्डारी, यशवन्त भण्डारी, कैलाश सकलेचा, जीतेन्द्र बाबेल, संजय मेहता, मफतलाल जैन, मनोज जैन पुना, कांतीलाल जैन, जीतु भाई, धर्मेश जैन, जितेश भाई शाह, ओमप्रकाश संचेती, पारसमल कांकरिया विशेष रुप से उपस्थित थे ।

प्रशांतो कुमार दास: Esta Global के साथ भारत में डिजिटल ब्रांडिंग की दिशा बदलते हुए ( Prashanto Kumar Das )

प्रशांतो कुमार दास, Esta Global के दूरदर्शी संस्थापक, ने महज 18 वर्ष की उम्र में अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत की थी। वे ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के क्लाइंट्स के लिए वेब कंसल्टेंट के रूप में काम करते थे। वैश्विक डिजिटल और ई-कॉमर्स बाजार के इस शुरुआती अनुभव ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय व्यापार की गहराई से समझ और विशिष्ट विशेषज्ञता प्रदान की।



लेकिन वर्ष 2014 में, प्रशांतो ने एक साहसिक निर्णय लिया। उन्होंने 15 अप्रैल को Esta Global की स्थापना की — यह सपना लेकर कि भारत के भीतर भी डिजिटल संभावनाएं अपार हैं। जब अधिकांश लोग मानते थे कि असली सफलता केवल विदेशी बाजारों में ही मिल सकती है, तब प्रशांतो ने भारत की डिजिटल ताकत पर विश्वास किया। उन्हें भरोसा था कि आने वाले समय में भारत भी तकनीकी रूप से अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों की बराबरी करेगा, और वे उस बदलाव के अग्रदूत बनना चाहते थे।



तब से लेकर आज तक Esta Global निरंतर प्रगति कर रही है। बीते एक दशक में कंपनी ने 300 से अधिक प्रोजेक्ट्स को सफलतापूर्वक पूरा किया है, जिनमें कॉर्पोरेट्स, शिक्षण संस्थान, मैन्युफैक्चरिंग हाउसेज़ और स्टार्टअप्स शामिल हैं। उनकी सफलता का राज है कंपनी द्वारा दी जाने वाली 360 डिग्री डिजिटल सॉल्यूशंस — ब्रांड आइडेंटिटी, सोशल मीडिया मार्केटिंग, परफॉर्मेंस एडवरटाइजिंग से लेकर CRM, ERP सिस्टम्स और बिजनेस कंसल्टिंग तक। जहाँ अधिकांश एजेंसियाँ किसी एक सेवा तक सीमित रहती हैं, वहीं Esta Global हर एंगल से ब्रांड की डिजिटल मौजूदगी को मजबूत करती है।

आज Esta Global की टीम में देशभर से आए 45 से अधिक कुशल प्रोफेशनल्स हैं, जो एक साझा मिशन के तहत काम कर रहे हैं — भारतीय व्यवसायों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना और उनके ब्रांड को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाना।

प्रशांतो की उद्यमशीलता की भावना स्कूल के दिनों से ही झलकने लगी थी, हालांकि उन्हें शुरुआत में यह स्पष्ट नहीं था कि किस दिशा में जाना है। कोलकाता में जब उन्होंने ऑस्ट्रेलियाई क्लाइंट्स के साथ काम करना शुरू किया, तब CEOs और बिजनेस लीडर्स के साथ संवाद ने उनके भीतर यह विश्वास जगाया कि हर विजनरी के पास एक अनोखा विचार और उसे साकार करने की शक्ति होती है। इसी सोच ने उन्हें प्रेरित किया कि वे एक ऐसी कंपनी बनाएं जो हर आकार और बजट के व्यवसाय को वर्ल्ड-क्लास डिजिटल सर्विस प्रदान कर सके।



हालांकि, यह यात्रा आसान नहीं थी। अंतरराष्ट्रीय क्लाइंट्स से भारतीय बाजार की ओर बढ़ना अपने आप में एक चुनौती थी। शुरुआती वर्षों में भारतीय व्यवसाय डिजिटल मार्केटिंग को लेकर संशय में थे और पारंपरिक तरीकों को ही बेहतर मानते थे। पहले पाँच सालों तक Esta Global का मुख्य प्रयास रहा — बाज़ार को शिक्षित करना, उन्हें डिजिटल बदलाव के फायदे समझाना और यह दिखाना कि कैसे डिजिटल टूल्स से उनके व्यवसाय को नया जीवन मिल सकता है।

आज यह मेहनत रंग लाई है। Esta Global ने अपने क्लाइंट्स के साथ मज़बूत और दीर्घकालिक रिश्ते बनाए हैं और 85% से अधिक क्लाइंट रिटेंशन रेट हासिल किया है।

प्रशांतो कुमार दास की यात्रा का मूलमंत्र है:
"अगर आप ग्राहक को वही दें जिसकी वास्तव में उसे जरूरत है, तो सफलता खुद आपके पीछे चलेगी।"

इसी विचारधारा को लेकर प्रशांतो आज भी Esta Global का नेतृत्व कर रहे हैं — एक मजबूत विज़न, स्पष्ट उद्देश्य और भारत के डिजिटल भविष्य को नया आकार देने के जुनून के साथ।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गाँधी सागर अभयारण्य में छोड़ेंगे 2 चीते ,चीतों का बनेगा नया आशियाना

Dr Mohan Yadav CM Madhya Pradesh Department of Forest, Madhya Pradesh #MadhyaPradesh #JansamparkMP




 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव रविवार को मंदसौर जिले के गाँधी सागर अभयारण्य में 2 चीतों को छोड़ेंगे। "चीता प्रोजेक्ट" मध्यप्रदेश की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य भारत में चीतों की संख्या बढ़ाना और उनकी प्रजाति को बचाना है। इस परियोजना के तहत मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क के साथ अब गाँधी सागर अभयारण्य में चीतों का आशियाना बनाया जा रहा है।

गाँधी सागर अभयारण्य प्रदेश का दूसरा ऐसा स्थान होगा, जहाँ चीतों को बसाया जा रहा है। यह वन्य-जीव संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा। साथ ही वन्य-जीव संरक्षण प्रेमियों और देशी-विदेशी पर्यटकों के लिये भी यह उत्साह का अवसर होगा। प्रदेश में चीतों की संख्या बढ़ाने के लक्ष्य के तहत दक्षिण अफ्रीका, केन्या और बोत्सवाना से चीते लाकर उन्हें मध्यप्रदेश के जंगलों में बसाया जा रहा है। श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क में वर्तमान में 26 चीते हैं। बोत्सवाना से 8 चीते लाने की योजना है। मई-2025 तक 4 चीते लाये जायेंगे। इसके बाद 4 चीते और लाये जायेंगे। दक्षिण अफ्रीका और केन्या से भी चीते लाने की योजना प्रस्तावित है। अंतर्राज्यीय चीता संरक्षण परिसर की स्थापना के लिये मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच सैद्धांतिक सहमति हो चुकी है। दोनों राज्य मिलकर अंतर्राज्यीय चीता संरक्षण परिसर बनायेंगे। चीता परियोजना पर 112 करोड़ रुपये व्यय किये जा चुके हैं, जिसमें से 67 प्रतिशत राशि मध्यप्रदेश में चीता पुनर्वास पर व्यय हुई है। भारत और लगभग सम्पूर्ण एशिया महाद्वीप से विलुप्त हो चुके चीतों का पुनर्वास कर राज्य सरकार प्रकृति से प्रगति और प्रगति से प्रकृति के संरक्षण की दिशा में निरंतर आगे बढ़ रही है।

   गाँधी सागर पूर्वी मध्यप्रदेश में स्थित एक वन्य-जीव अभयारण्य है। यह अभयारण्य प्रदेश के मंदसौर और नीमच जिले में फैला हुआ है। इस अभयारण्य में सलाई, करधई, धौड़ा, तेंदू, पलाश जैसे पेड़ हैं। यह विश्व प्रसिद्ध चतुर्भुज नाला का हिस्सा है। रॉक सेंटर भी इसी अभयारण्य का हिस्सा है। इस अभयारण्य को वर्ष 1974 में अधिसूचित किया गया था और वर्ष 1984 में अभयारण्य बनाया गया। अभयारण्य में वन शैल चित्रकला स्थलों और चतुर्भुजनाथ मंदिर जैसे प्रसिद्ध मंदिरों के होने से इसका पुरातात्विक और धार्मिक महत्व है।

   अभयारण्य गाँधी सागर के बैक वाटर के आसपास के क्षेत्र में फैला हुआ है, जो जंगली कुत्ते, चिंकारा, तेंदुआ, ऊदबिलाव, मगरमच्छ जैसे कुछ दुर्लभ प्रजातियों के लिये जाना जाता है। इसके अलावा यहाँ चित्तीदार हिरण, सांभर, ग्रे लंगूर जैसे जानवर भी पाये जाते हैं।


श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में विशाल निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण (चेकअप) शिविर में क्षेत्रपाल महापूजन सम्पन्न शिविर का समापन 20 अप्रैल को होगा




 

   राजगढ़ (धार । श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा तीर्थ द्वारा संचालित गुरु राजेन्द्र जैन चिकित्सालय मोहनखेड़ा महातीर्थ में श्री गुरु राजेन्द्रसूरी हास्पिटल एवं स्वास्थ्य विभाग धार के सयुक्त तत्वाधान में निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण (चेकअप) शिविर का भव्य आयोजन 18 से 20 अप्रैल 2025 तक किया गया है । गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के पट्टालंकार वर्तमान गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय हितेशचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा., मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रुपेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जीतचन्द्रविजयजी म.सा. एवं साध्वी श्री तत्वलोचनाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री विरागयशश्रीजी म.सा., साध्वी श्री हर्षवर्धनाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में शिविर चल रहा है। शनिवार को चिकित्सालय परिसर में मरीजों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो जल्द ही अपने रोगों से मुक्त हो ऐसी भावनाओं को लेकर आज आचार्य भगवन्त व मुनिभगवन्तों एवं साध्वीवृंदों की सानिध्यता में क्षेत्रपाल देवता का महापूजन विजय मुहूर्त 12:39 पर प्रारम्भ हुआ। मेनेजिंग ट्रस्टी हीरालाल टी. मेहता, ट्रस्टी पंकज जैन धार ने बताया कि दुसरे दिन डॉ. सतीश परासर, डॉ. एस. खान, कैंसर फाउण्डेशन इन्दौर के डॉ. दिग्पाल धारकर (कैंसर रोग), डॉ. अर्जुन जैन (हड्डी रोग), डॉ. प्रीति शोभावत, अपनी सेवाए प्रदान कर रहे है। समाचार लिखे जाने तक लगभग 390 से अधिक मरीजों का पंजीयन करके उनका निदान किया जा चूका है। शिविर के अंतिम दिन डॉ. आशा पवैया (स्त्रीरोग), डॉ. सौरभ बोरासी (नेत्र रोग), डॉ. राजेश गुप्ता, डॉ. अलका गुप्ता, डॉ. हेमन्त आर. नरगावे (हृदय एवं पेट रोग), डॉ. पुजा गुप्ता (त्वचा रोग) अपनी सेवाएं प्रदान करेगें। शिविर में सभी मरीजों को निःशुल्क भोजन एवं निःशुल्क दवाईयों का वितरण किया जावेगा उक्त जानकारी अस्पताल प्रबंधन से मेहताब सिंदल एवं श्रीमती बरखा मेहता द्वारा दी गई। ट्रस्टी श्री प्रकाश सेजलमणी, रणजीत शाह, मफतलाल जैन, मनोज जैन, कांतीलाल जैन, जीतु भाई, धर्मेश जैन, जितेश भाई शाह, ओमप्रकाश संचेती, पारसमल कांकरिया क्षेत्रपाल महापूजन में विशेष रुप से उपस्थित थे ।

गांधीसागर अभयारण्य की जलवायु चीतों के लिए अनुकूल, 20 अप्रैल को छोड़े जाएंगे चीते : मुख्यमंत्री डॉ. यादव






 
कूनो को बनाएंगे एक आदर्श वन्य पर्यटन स्थल
चीतों के दीदार के लिए कूनो आने वाले पर्यटकों को जल्द मिलेगी रोड-टू-एयर कनेक्टिविटी
कूनो राष्ट्रीय उद्यान परिक्षेत्र में पर्यटन सुविधाएं बढ़ाने के लिए खोले जाएंगे दीदी कैफे
महिला स्व-सहायता समूहों को मिलेगा बड़ा रोजगार
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने केंद्रीय वन मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव के साथ की चीता प्रोजेक्ट की समीक्षा

  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि इको सिस्टम के प्रॉपर डेवलपमेंट के लिए मध्यप्रदेश में वृहद स्तर पर काम हो रहा है। वन्य पर्यटन हमारी अर्थव्यवस्था को गति देता है और अब यही हमारी समृद्धि का प्रवेश द्वार बन रहा है। हमारी सरकार कूनो राष्ट्रीय उद्यान को एक आदर्श वन्य प्राणी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करेगी। प्रदेश में सिर्फ कूनो ही नहीं, अब मंदसौर जिले का गांधीसागर अभयारण्य भी चीतों से गुलजार होगा। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के सहयोग से आगामी 20 अप्रैल को गांधी सागर अभयारण्य में चीते छोड़े जाएंगे। कड़ी सुरक्षा में कूनो नेशनल पार्क से 2 चीते शिफ्ट कर गांधीसागर अभयारण्य में ले जाये जायेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि कूनो नेशनल पार्क में पर्यटन तेजी से बढ़े, इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ग्वालियर से कूनो के लिए डायरेक्ट रोड और एयर कनेक्टिविटी भी विकसित करने पर गंभीरता से विचार कर रही है।

  मुख्यमंत्री डॉ. यादव शुक्रवार को समत्व भवन (मुख्यमंत्री निवास) में केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव के साथ मध्यप्रदेश में चीता प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन संबंधी समीक्षा बैठक को संबोधित कर रहे थे।

भारत में जन्में चीता शावकों की सर्वाइवल रेट विश्व में है अधिकतम

 मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अधिकारियों द्वारा यह जानकारी दिए जाने पर हर्ष व्यक्त किया कि भारत (मध्यप्रदेश) में जन्में चीता शावकों की जीवन प्रत्याशा (सर्वाइवल रेट) पूरे विश्व में सर्वाधिक है। दूसरे देशों में चीता शावक जलवायु से अनुकूलन के अभाव में सर्वाइव नहीं कर पाते हैं। चीतों के लिए जरूरी जलवायु और वातावरण की दृष्टि से गांधीसागर अभयारण्य बेहद अनुकूल है, इसलिए सरकार यहां चीते छोड़कर इस अभयारण्य को भी चीतों से गुलजार करेगी।

कूनो जुड़ेगा रोड टू एयर कनेक्टिविटी से

  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि केन्द्र सरकार के साथ मिलकर सबके सहयोग से हम चीतों का पुनर्वास करेंगे। ग्वालियर से कूनो नेशनल पार्क तक पक्की बारहमासी रोड बनाई जाएगी। कूनो में टेंट सिटी तैयार कर यहां आने वाले पर्यटकों को जंगल में प्रकृति के पास समय बिताने का सुनहरा अवसर उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय वन मंत्री श्री यादव की मंशा के अनुरूप हम कूनो प्रक्षेत्र में इंटरनेशनल लेवल का एक पशु चिकित्सालय और रेस्क्यू सेंटर भी खोलेंगे। इसके लिए केंद्र सरकार से भी मदद लेंगे। पशु चिकित्सालय के संचालन से कूनों के चीतों के इलाज के साथ-साथ इस पूरे क्षेत्र में गौवंश के उपचार में भी मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश के नेचर टूरिज्म सेक्टर में निहित असीम संभावनाओं को एक्सप्लोर करेगी। राज्य के अधिक से अधिक युवाओं और महिलाओं को वन्य पर्यटन से जोड़ेंगे। चीता मित्र और महिला स्व-सहायता समूह की महिलाओं को टूरिस्ट गाईड भी बनाएंगे, कूनो परिक्षेत्र में राज्य आजीविका विकास मिशन से दीदी कैफे संचालित किए जाएंगे, जिससे चीता मित्रों और महिलाओं को स्थानीय रोजगार के अधिकाधिक अवसर उपलब्ध कराए जा सकें।

सरकार किंग कोबरा और दुर्लभ प्रजाति के कछुओं का भी करेगी संरक्षण

  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश की धरती पर चीतों के पुनर्वास से एक सदी का इंतजार खत्म हुआ है। राज्य सरकार किंग कोबरा, घड़ियाल और दुर्लभ प्रजाति के कछुओं के संरक्षण के लिए भी प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि सरकार किंग कोबरा संरक्षण के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर रही है। प्रदेश के जंगलों में जहरीले सांपों की संख्या नियंत्रित करने के लिए किंग कोबरा को बसाना आवश्यक है। पहले चरण में 10 किंग कोबरा मध्यप्रदेश लाने पर विचार हो रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने वन अधिकारियों को चंबल नदी से घड़ियाल और कछुओं को प्रदेश की 4 बड़ी नदियों और जलाशयों में पुर्नवासित करने के निर्देश दिए।

चीता मित्रों को प्रशिक्षित करने के लिए आईआईएफएम की लें सेवाएं : केन्द्रीय मंत्री श्री भूपेन्द्र यादव

   केंद्रीय वन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि मध्यप्रदेश के पर्यटन क्षेत्र में बड़ी क्षमताएं विद्यमान हैं। उन्होंने कूनो में चीतों के पुनर्वास और वन टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. यादव के प्रयासों की प्रशंसा की। केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने वन्य प्राणियों के संरक्षण और पर्यटन को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में चल रहे वन्य प्राणियों की पुनर्वास परियोजनाओं की देखरेख के लिए वन, पर्यटन, पशु चिकित्सा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, जनजातीय कार्य एवं परिवहन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का एक टास्क फोर्स बनाया जाए। यह टास्क फोर्स नियमित रूप से सभी प्रोजेक्ट्स की निगरानी करें। उन्होंने कहा कि श्योपुर जिले के 80 गांवों के 400 चीता मित्रों को प्रशिक्षित करने के लिए भारतीय वन प्रबंधन संस्थान (आईआईएफएम), भोपाल के साथ अनुबंध कर सकते हैं। चीता मित्रों को होम स्टे के लिए प्रशिक्षित कर उन्हें नेचर टूरिज्म के लिए तैयार करने की दिशा में भी कार्य किए जाएं। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही कूनो के आसपास स्थित ऐतिहासिक धरोहरों को पर्यटकों के लिए विकसित किया जाए। कूनो में मौजूद एक पुराने किले को हेरिटेज वॉक के रूप में विकसित किया जा सकता है। मगरमच्छ और घड़ियाल के दीदार के लिए व्यू प्वाइंट्स बने, वन्य प्राणियों के रेस्क्यू के लिए सेंटर और पर्यटकों के लिए आयुर्वेदिक सेंटर तैयार किए जाएं।

  केन्द्रीय वन मंत्री श्री यादव ने कहा कि पर्यटन से रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए कूनो समेत प्रदेश के अन्य पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों को सुविधाएं और मार्गदर्शन उपलब्ध कराने के लिए स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को जोड़ा जाए। देश-विदेश से कूनो आने वाले पर्यटकों को आवास, भोजन, स्वच्छता से जुड़ी बेहतर और गुणवत्तापूर्ण सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं। अगर सुविधाएं विश्वस्तरीय होंगी, तो निश्चित रूप से दुनिया से टूरिस्ट चीता देखने के लिए पर्यटक कूनो नेशनल पार्क और गांधीसागर अभयारण्य आएंगे।

बोत्सवाना से दो चरण में लाए जाएंगे 8 चीते

  बैठक में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) की ओर से बताया गया कि देश में चीता प्रोजेक्ट पर अब तक 112 करोड़ रुपए से अधिक राशि व्यय की जा चुकी है। इसमें से 67 प्रतिशत राशि मध्यप्रदेश में हुए चीता पुनर्वास पर व्यय हुई है। प्रोजेक्ट चीता के तहत ही अब गांधीसागर अभयारण्य में भी चीते चरणबद्ध रूप से विस्थापित किए जाएंगे। गांधीसागर अभयारण्य राजस्थान की सीमा से लगा हुआ है, इसलिए अंतर्राज्यीय चीता संरक्षण परिसर की स्थापना के लिए मध्यप्रदेश और राजस्थान राज्य के बीच सैद्धांतिक सहमति बन चुकी है। अभी कूनो और गांधीसागर अभयारण्य में चीता मित्रों की क्षमता संवर्धन के लिए उन्हें विशेष ट्रेनिंग दी जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना तथा केन्या से और अधिक चीते भारत लाने के लिए प्रयास जारी हैं। दो चरण में 8 चीते भारत लाए जाएंगे। मई 2025 तक बोत्सवाना से 4 चीते भारत लेकर आने की योजना है। इसके बाद 4 और चीते लाये जाएंगे। फिलहाल भारत और केन्या के बीच अनुबंध पर सहमति बनाई जा रही है।

सैटेलाइट कॉलर आईडी हो रही चीतों की मॉनीटरिंग, चीता सफारी प्रारंभ करने की भी है तैयारी

  बैठक में वन अधिकारियों ने बताया कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में वर्तमान में कुल 26 चीते हैं। इनमें से 16 चीते खुले जंगल में हैं और 10 पुनर्वास केंद्र में हैं। कूनो में चीतों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यहां ज्वाला, आशा, गामिनी और वीरा मादा चीता ने शावकों को जन्म दिया है। चीतों की निगरानी के लिए सैटेलाइट कॉलर आईडी से 24 घंटे ट्रैकिंग की जा रही है। चीतों के पुनर्स्थापना के बाद कूनो राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों की संख्या बढ़कर 2 साल में दोगुनी हो चुकी है। राज्य सरकार ने कूनो में चीता सफारी शुरू करने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर मंजूरी मांगी है, क्योंकि वन क्षेत्र या इको सेंसिटिव जोन में सफारी प्रारंभ करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से अनुमति लेनी जरूरी है। इस याचिका पर निर्णय होना अभी शेष है।

   बैठक में चीता प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन के लिए केन्द्रीय सचिव पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय श्री तन्मय कुमार, मुख्य सचिव श्री अनुराग जैन, वन महानिदेशक एवं विशेष सचिव श्री सुशील कुमार अवस्थी, अतिरिक्त महानिदेशक टाइगर प्रोजेक्ट एवं सदस्य सचिव राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) डॉ. गोविंद सागर भारद्वाज, अंतरिम महानिदेशक इंटरनेशनल बिग कैट अलायंस (आईबीसीए) श्री एस.पी. यादव, अतिरिक्त वन महानिदेशक एनटीसीए श्री संजयन कुमार, उप वन महानिदेशक एनटीसीए श्री वैभव सी. माथुर एवं उप वन महानिदेशक (वन्यजीव विभाग) केन्द्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय श्री अंजन कुमार मोहंती सहित अपर मुख्य सचिव वन श्री अशोक वर्णवाल, प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री असीम श्रीवास्तव, मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) श्री शुभरंजन सेन, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य जीव) श्री एल. कृष्णमूर्ति, सचिव वन श्री अतुल कुमार मिश्रा तथा सचिव एवं आयुक्त जनसम्पर्क डॉ. सुदाम खाड़े व अन्य अधिकारी उपस्थित थे।