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"नया रूट अधिसूचित,पर पुरानी लाइन पर स्वीकृति की मांग — इंदौर-दाहोद रेल परियोजना में नीति अस्पष्ट"





  इंदौर-दाहोद रेल लाइन परियोजना को लेकर रेलवे बोर्ड की कार्यप्रणाली एक नई बहस का विषय बन गई है। एक ओर इस परियोजना के लिए पश्चिम रेलवे द्वारा 18 जून 2025 को प्रस्तुत प्रस्ताव में सरदारपुर, पानपुरा और फतेहपुरा क्षेत्र के पुराने सर्वे के आधार पर 17.2 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि के डायवर्जन की मांग की गई है, वहीं दूसरी ओर इसी परियोजना के तहत रेलवे बोर्ड ने 6 फरवरी 2025 को पांच नए गांव—पसावदा, बोदली, रूपाखेड़ा, जोलाना और मौलाना—में भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी कर दी। इन दोनों प्रक्रियाओं के अलग-अलग सर्वेक्षणों पर आधारित होने के चलते रेलवे की रणनीति पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

  परियोजना की कुल लंबाई लगभग 9 किलोमीटर है और यह झाबुआ जिले से प्रारंभ होकर धार जिले में समाप्त होती है। प्रस्तावित रेल लाइन खरमोर अभयारण्य क्षेत्र से होकर गुजरती है, जो दुर्लभ पक्षी प्रजाति 'खरमोर' (Lesser Florican) का एकमात्र प्राकृतिक आवास है। परियोजना के लिए धार वनमंडल के सरदारपुर रेंज (कंपार्टमेंट नं. 423) की 17.2 हेक्टेयर आरक्षित वन भूमि को अधिगृहित करने की योजना है। इसके लिए वन विभाग से मंजूरी पुराने सर्वेक्षण पर आधारित प्रस्ताव द्वारा मांगी गई है, जबकि भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना नए और भिन्न रूट को दर्शाती है। पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार एक ही परियोजना के लिए दो अलग-अलग रूटों पर अलग-अलग आधारों पर कार्रवाई किया जाना तकनीकी और कानूनी दृष्टि से गंभीर विसंगति है, जो परियोजना के अनुमोदन और पर्यावरणीय मंजूरी की प्रक्रिया को जटिल बना सकता है।

  परियोजना के अंतर्गत वन्यजीव संरक्षण को ध्यान में रखते हुए 22 अंडरपास, ध्वनि अवरोधक, बाड़ और विशेष संरचनाओं की योजना बनाई गई है, ताकि खरमोर जैसे संरक्षित पक्षियों और अन्य जीवों का प्राकृतिक आवागमन बाधित न हो। हालांकि यदि सर्वेक्षण में विसंगति रही तो इन शमन उपायों की प्रभावशीलता पर भी प्रश्नचिह्न लग सकते हैं।


🟢 "स्थानीय प्रतिनिधियों और नागरिकों की पहल से रेलवे को पुनर्विचार का अवसर, परियोजना में पारदर्शिता और संतुलन की दिशा में उम्मीदें जगीं।"

  इस मामले में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नागरिकों द्वारा विरोध भी दर्ज किया गया है। दिनांक 9 दिसंबर 2024 को केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर तथा वन मंत्री महोदय से एक प्रतिनिधिमंडल ने नई दिल्ली में भेंट की थी, जिसमें पूर्व भाजपा मंडल अध्यक्ष मुकेश कावड़िया, सामाजिक कार्यकर्ता अक्षय भण्डारी और रमेश मुकाती शामिल थे।  इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, भारत सरकार की महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर ने दिनांक 23 अप्रैल, 2025 को माननीय रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव को एक पत्र प्रेषित किया था। इस पत्र के साथ उन्होंने श्री मुकेश कावड़िया द्वारा भेजा गया पत्र संलग्न करते हुए उल्लेख किया कि रेलवे विभाग द्वारा नवीन दाहोद-इंदौर रेल परियोजना के तहत सरदारपुर अभयारण्य क्षेत्र में बिना विधिवत अनुमति लिए एलाइनमेंट को बदल दिया गया है, जिसके कारण राजगढ़, सरदारपुर तथा मोहनखेड़ा जैन तीर्थ जैसे महत्वपूर्ण स्थलों को प्रस्तावित मार्ग से वंचित कर दिया गया है। मंत्री महोदया ने अपने पत्र में रेल मंत्री से आग्रह किया कि वर्तमान नवीन एलाइनमेंट को तत्काल 'होल्ड' किया जाए तथा वन विभाग से पूर्ववर्ती मूल एलाइनमेंट के आधार पर ही अनुमति प्राप्त करने हेतु रेलवे विभाग आवश्यक आवेदन प्रस्तुत करे।

  इस प्रकरण में रेलवे बोर्ड पर पारदर्शिता और समन्वय स्थापित करने का दबाव लगातार बढ़ रहा है। परियोजना के अंतर्गत जिस क्षेत्र से रेल लाइन गुजर रही है वह पारिस्थितिक रूप से अत्यंत संवेदनशील है, और ऐसे में दो अलग-अलग सर्वे के आधार पर की गई कार्यवाही न केवल तकनीकी रूप से संदिग्ध प्रतीत होती है, बल्कि इससे परियोजना में अनावश्यक देरी, जनविरोध और पर्यावरणीय आपत्तियों की संभावना भी प्रबल होती है। अब देखना यह है कि रेलवे बोर्ड इस स्थिति को किस प्रकार स्पष्टता और संतुलन के साथ सुलझाता है।

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