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विश्व पोहा दिवस: पोहा का इतिहास,रेसिपी,और सांस्कृतिक महत्व






  
  विश्व पोहा दिवस हर साल 7 जून को मनाया जाता है। यह भारत के सबसे लोकप्रिय और प्रिय नाश्ते, पोहा को सम्मानित करने का दिन है। पोहा, जिसे flattened rice या चिवड़ा भी कहा जाता है, भारतीय खानपान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह दिन न केवल पोहा के स्वाद को मनाता है, बल्कि इस स्वादिष्ट व्यंजन की विविधताओं और सांस्कृतिक महत्व को भी उजागर करता है।

   पोहे का इतिहास बहुत पुराना है और इसे भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तरीकों से तैयार किया जाता है। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, और कर्नाटक जैसे राज्यों में पोहा अपने विशेष स्वाद और स्थानीय सामग्रियों के साथ तैयार किया जाता है। महाराष्ट्र का 'कांदा पोहा', मध्य प्रदेश का 'इंदौरी पोहा', और गुजरात का 'बटाटा पोहा' इसके कुछ लोकप्रिय संस्करण हैं।

  पोहा बनाने की प्रक्रिया सरल और त्वरित है, जिससे यह एक आदर्श नाश्ता बन जाता है। इसे बनाने के लिए पोहा (चिवड़ा), प्याज (कांदा), हरी मिर्च, करी पत्ता, मूंगफली, नींबू, धनिया पत्ती, नमक और मसालों की आवश्यकता होती है। सबसे पहले पोहे को पानी से धोकर साफ कर लें और इसे थोड़ी देर के लिए छोड़ दें ताकि यह नर्म हो जाए। एक कड़ाही में तेल गरम करें और इसमें सरसों के दाने, करी पत्ता और हरी मिर्च डालें। प्याज को सुनहरा भूरा होने तक भूनें और फिर इसमें हल्दी,नमक और मूंगफली डालें। अब इसमें नर्म पोहा मिलाएं और अच्छे से मिलाकर कुछ मिनट के लिए पकाएं। नींबू का रस और धनिया पत्ती डालकर इसे सजाएं और गरमागरम परोसें।

  भारत में पोहा केवल एक व्यंजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। किसी अतिथि का स्वागत करने के लिए पोहा एक आदर्श नाश्ता माना जाता है। इसके अलावा, विभिन्न त्योहारों और विशेष अवसरों पर भी पोहा का विशेष महत्व है। विश्व पोहा दिवस, इस शानदार व्यंजन के प्रति हमारे प्यार और सम्मान का प्रतीक है। यह दिन हमें पोहा के विभिन्न स्वादों और उसकी विविधता का आनंद लेने का अवसर देता है। पोहा के माध्यम से भारतीय संस्कृति और परंपरा की धरोहर को संजोए रखने का प्रयास किया जाता है। इस दिन, हमें न केवल पोहा का आनंद लेना चाहिए, बल्कि इसकी विविधताओं को भी जानने और इसे अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करने का प्रयास करना चाहिए।

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