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अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म जयंती पर राजगढ़ में स्वच्छता अभियान व पुष्पांजलि अर्पित




 


  राजगढ़ नगर में भारत रत्न, युगपुरुष एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की जन्म जयंती के अवसर पर दीनदयाल परिसर एवं महाराणा प्रताप वाटिका में साफ-सफाई अभियान चलाया गया तथा उनके चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई। उनके राष्ट्र निर्माण में दिए गए योगदान को स्मरण करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।

   इस अवसर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता ज्ञानेंद्र मूणत,मंडल अध्यक्ष सोहन पटेल,संजय रघुवंशी, बलबहादुर सिंह राठौड़, मुकेश कावड़िया, गोपाल सोनी,पार्षद पंकज बारोंड, परवार,नीलेश सोनी, रमेश राजपूत, निलेश शर्मा, विपिन पांडे, प्रीतम ठाकुर, सीमा जैन,दीपिका ठाकुर,गोरी राठौर,श्रवण राठौड़,सोनिक कापड़िया, पप्पू सिंह भूरिया, करणसिंह निनामा आदि उपस्थित रहे।
 

जमशेदपुर में कारगिल युद्ध के सर्जन कर्नल डॉ. अरूप रतन बसु की पुस्तक पर साहित्यिक संवाद का आयोजन, ह्यूमन्स ऑफ़ जमशेदपुर और पोएट्स ऑफ़ जमशेदपुर द्वारा संपन्न

ह्यूमन्स ऑफ़ जमशेदपुर और पोएट्स ऑफ़ जमशेदपुर ने कर्नल डॉ. अरूप रतन बसु की पुस्तक द कारगिल वॉर सर्जन’स टेस्टिमनी पर पुस्तक पाठ और परिचर्चा का आयोजन किया। इस सत्र में युद्ध के मानवीय पहलू, नैतिक और चिकित्सकीय चुनौतियाँ और सैनिकों की दृढ़ता पर विचार किया गया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों, पाठकों और रक्षा उत्साही लोगों ने भाग लिया।

जमशेदपुर के साहित्यिक और सांस्कृतिक मंच पर एक विचारोत्तेजक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें ह्यूमन्स ऑफ़ जमशेदपुर और पोएट्स ऑफ़ जमशेदपुर के संयुक्त सहयोग से प्रसिद्ध पुस्तक ‘द कारगिल वॉर सर्जन’स टेस्टिमनी’ पर पुस्तक पाठ और संवाद सत्र सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। यह पुस्तक जमशेदपुर के सम्मानित नागरिक, कारगिल युद्ध के वीर अनुभवी सैनिक एवं प्रख्यात शल्य चिकित्सक कर्नल डॉ. अरूप रतन बसु द्वारा लिखी गई है।

कार्यक्रम के दौरान डॉ. बसु ने अपनी पुस्तक से चयनित अंशों का पाठ किया और कारगिल युद्ध के दौरान एक सैन्य सर्जन के रूप में अपने अनुभव साझा किए। उनकी प्रस्तुति ने युद्ध के मानवीय पक्ष, सैनिकों की भावनात्मक दृढ़ता तथा युद्धक्षेत्र में आने वाली नैतिक और चिकित्सकीय चुनौतियों को अत्यंत सजीव रूप में प्रस्तुत किया। उनके शब्दों में साहस, करुणा और कर्तव्यबोध की गहरी झलक देखने को मिली। पुस्तक पाठ के पश्चात एक सारगर्भित परिचर्चा आयोजित की गई, जिसमें डॉ. अरूप रतन बसु के साथ संवाद किया गया। इस चर्चा का संचालन ह्यूमन्स ऑफ़ जमशेदपुर से अमरनाथ योगी तथा पोएट्स ऑफ़ जमशेदपुर से मोंद्रिता चटर्जी ने किया। परिचर्चा में युद्ध, कर्तव्य, मानवता और युवाओं के लिए ऐसे अनुभवों की प्रासंगिकता जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श हुआ, जिसमें श्रोताओं ने भी उत्साहपूर्वक भाग लिया।

यह आयोजन साहस, सेवा और कथात्मक स्मृतियों को समर्पित एक सशक्त श्रद्धांजलि के रूप में सामने आया, जिसने यह सिद्ध किया कि साहित्य व्यक्तिगत अनुभवों को सामूहिक इतिहास से जोड़ने का एक प्रभावशाली माध्यम है। कार्यक्रम में विद्यार्थियों, पाठकों, रक्षा विषयों में रुचि रखने वालों तथा शहर के जागरूक नागरिकों की उल्लेखनीय उपस्थिति रही। कार्यक्रम का समापन श्रोताओं के साथ संवाद और पुस्तक हस्ताक्षर सत्र के साथ हुआ। ह्यूमन्स ऑफ़ जमशेदपुर और पोएट्स ऑफ़ जमशेदपुर ने कर्नल डॉ. अरूप रतन बसु के प्रति उनके अमूल्य अनुभव साझा करने हेतु तथा उपस्थित सभी श्रोताओं के प्रति इस संध्या को सार्थक और स्मरणीय बनाने के लिए आभार व्यक्त किया।

खाली स्टेडियम में गूंजती जीत, जब देश के लिए सोना जीतने वाली बेटी ज्योति याराजी अकेली रह गई

क्रिकेट और फुटबॉल के शोर के बीच एथलेटिक्स की उस चैंपियन की कहानी, जिसने तिरंगे के लिए दौड़कर इतिहास रचा, लेकिन पदक लेते वक्त उसकी आंखों में तालियों की जगह आंसू थे। 

भीड़ से भरे स्टेडियम, तालियों की गूंज और कैमरों की चकाचौंध, यही दृश्य अक्सर हम खेल की जीत से जोड़ते हैं। लेकिन कभी-कभी इतिहास ऐसे भी क्षण रचता है, जहाँ जीत तो होती है, पर उसे देखने वाला कोई नहीं होता। एक खाली सा मैदान, कुछ गिने-चुने चेहरे और मंच पर खड़ी एक खिलाड़ी-जिसकी आँखों में गर्व से ज़्यादा अकेलापन छलक रहा होता है।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में भारतीय एथलीट ज्योति याराजी पदक लेते हुए दिखाई देती हैं। न कोई शोर, न जयकार, न तिरंगा लहराती भीड़। वह अकेली खड़ी हैं अपने देश के लिए स्वर्ण जीतने के बाद भी। उसी पल उनकी आँखें नम हो जाती हैं। शायद खुशी से, शायद इस सवाल से कि जिस देश के लिए उन्होंने अपना सब कुछ दांव पर लगाया, वहाँ उस पल उनके साथ खड़े होने वाला कोई क्यों नहीं था।

जहाँ क्रिकेट और फुटबॉल के लिए हजारों लोग सड़कों पर उतर आते हैं, वहीं एथलेटिक्स जैसी कठिन और संघर्षपूर्ण विधा में देश को गौरव दिलाने वाली यह बेटी खामोशी में अपना पदक थामे खड़ी रही। यह सिर्फ एक पदक समारोह नहीं था, यह हमारे खेल-संस्कृति और प्राथमिकताओं पर एक मौन प्रश्न था।

यह दृश्य सिर्फ एक वीडियो नहीं, बल्कि हमारे खेल-संस्कारों पर एक मौन सवाल है। क्या देश के लिए जान लगाकर दौड़ने वाले खिलाड़ियों का सम्मान भी उतना ही जरूरी नहीं? ज्योति याराजी उन एथलीट्स में से हैं जो बिना शोर, बिना दिखावे, लगातार मेहनत करते हुए तिरंगे का मान बढ़ा रही हैं। उनका संघर्ष चमकदार मंचों से दूर, साधारण हालातों में पनपा है, जहां हर कदम के साथ आर्थिक तंगी, संसाधनों की कमी और सामाजिक उपेक्षा खड़ी रही।

आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में जन्मी ज्योति याराजी एक साधारण परिवार से आती हैं। पिता निजी सुरक्षा गार्ड हैं और मां घरेलू सहायिका। सीमित संसाधनों के बावजूद ज्योति ने बचपन से ही खेल को अपना सपना बनाया। शुरुआती दिनों में लॉन्ग जंप से शुरुआत करने वाली ज्योति ने बाद में 100 मीटर बाधा दौड़ को चुना और यहीं से उनके जीवन की दिशा बदल गई। कठिन प्रशिक्षण, अनुशासन और असफलताओं से जूझते हुए उन्होंने खुद को निखारा।

साल 2023 और 2025 की एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर ज्योति ने साबित किया कि वे सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि भारत की उम्मीद हैं। बारिश, खाली स्टेडियम और दबाव-कुछ भी उनकी रफ्तार को रोक नहीं सका। एशिया की “हर्डल क्वीन” कहलाने वाली ज्योति का सफर आज भी जारी है।

ज्योति याराजी की कहानी उन तमाम खिलाड़ियों की आवाज़ है, जिन्हें देश के लिए सब कुछ देने के बाद भी वह सम्मान नहीं मिलता, जिसके वे हकदार हैं। उनकी आंखों में झलकते आंसू हमें यह याद दिलाते हैं कि असली नायक अक्सर खामोशी में इतिहास रचते हैं। यह कहानी सिर्फ खेल की नहीं, बल्कि उस संवेदनशीलता की मांग है, जो हर उस खिलाड़ी को मिलनी चाहिए जो तिरंगे के लिए अकेले भी खड़ा होने का साहस रखता है।

 

धार में पीपीपी मोड पर आकार लेगा देश का पहला मेडिकल कॉलेज : मुख्यमंत्री डॉ. यादव




   

मध्यप्रदेश स्वास्थ्य के क्षेत्र में नवाचारी सोच के साथ देश का नेतृत्व कर रहा है : केन्द्रीय मंत्री श्री नड्डा
मुख्यमंत्री डॉ. यादव और केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री नड्डा ने किया धार मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास
स्वामी विवेकानंद शिक्षा धाम फाउंडेशन के साथ अनुबंध के तहत 25 एकड़ भूमि पर 260 करोड़ रूपए की लागत से तैयार होगा धार का मेडिकल कॉलेज
पीपीपी मोड में समाज और सरकार मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं के सुदृढ़ीकरण, हर व्यक्ति को मिलेगा बेहतर इलाज
शीघ्र ही कटनी और पन्ना मेडिकल कॉलेज का भी होगा शिलान्यास
भिण्ड, मुरैना, खरगोन, अशोकनगर, गुना, बालाघाट, टीकमगढ़, सीधी और शाजापुर में भी मेडिकल कॉलेज आरंभ करने की तैयारी


  मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में मध्यप्रदेश आज एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व उपलब्धि हासिल कर रहा है। प्रदेश के दो जनजातीय बाहुल्य जिलों में आज मेडिकल कॉलेजों का भूमि पूजन हो रहा है। प्रदेश के अंतिम पंक्ति में बैठे अंतिम व्यक्ति तक सस्ती, सुलभ और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगतप्रकाश नड्डा का प्रदेशवासियों की ओर से विशेष आभार है। यह पीपीपी मोड (जन-निजी भागीदारी) पर बनने वाला देश का पहला मेडिकल कॉलेज होगा। इस पहल की शुरुआत मध्यप्रदेश की धरती से हो रही है।

  केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि धार में मेडिकल कॉलेज का भूमि-पूजन देश के लिए ऐतिहासिक अवसर है। मध्यप्रदेश ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में देश को एक नेतृत्व दिया है। राज्य में नवाचारी सोच और जन सहभागिता के साथ देश में पीपीपी मोड के आधार पर पहला मेडिकल कॉलेज शुरू किया जा रहा है। मध्यप्रदेश ने इस मामले में देश का नेतृत्व किया है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृ्त्व में देश की स्वास्थ्य व्यवस्था में बड़ा बदलाव आया है।

  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि पीपीपी मॉडल में समाज और सरकार मिलकर स्वास्थ्य सेवाओं का सुदृढ़ीकरण कर, हर व्यक्ति तक बेहतर इलाज पहुंचाने की दिशा में कार्य करेंगे। सेवा और विकास हमारी सरकार का मूल मंत्र है, विगत दो वर्ष जनकल्याण और विकास की दृष्टि से अद्वितीय रहे हैं। मध्यप्रदेश देश का एकमात्र राज्य है, जिसके दो बड़े शहरों- भोपाल और इंदौर में सालभर के अंदर मेट्रो ट्रेन का शुभारंभ हुआ। इसके साथ ही प्रदेश में हवाई सेवाओं का भी विस्तार हो रहा है। अब रीवा से इंदौर और नई दिल्ली के लिए हवाई सेवा उपलब्ध है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव धार में पीपीपी मॉडल पर मेडिकल कॉलेज के शिलान्यास के लिए पीजी कॉलेज मैदान धार में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, रसायन और उर्वरक मंत्री श्री जे.पी. नड्डा कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव तथा केन्द्रीय मंत्री श्री नड्डा ने रिमोट का बटन दबाकर मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास और धार जिले के विकास कार्यों का भूमिपूजन व लोकार्पण किया।

  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि इसी वर्ष अगस्त माह में पीपीपी मॉडल पर बैतूल, कटनी, धार और पन्ना में चार नए चिकित्सा महाविद्यालय स्थापित करने के लिए अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए थे। आज धार और बैतूल का शिलान्यास हो रहा है। शीघ्र ही कटनी और पन्ना में भी मेडिकल कॉलेजों का शिलान्यास किया जाएगा। इन जिलों के बाद भिण्ड, मुरैना, खरगोन, अशोकनगर, गुना, बालाघाट, टीकमगढ़, सीधी और शाजापुर में भी इसी तरह मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की तैयारी है। धार जिले में 260 करोड़ रूपए की लागत से 25 एकड़ भूमि पर मेडिकल कॉलेज का निर्माण किया जा रहा है। इस मेडिकल कॉलेज के लिए स्वामी विवेकानंद शिक्षा धाम फाउंडेशन ने सरकार के साथ हाथ मिलाया है। फाउंडेशन को 25 एकड़ जमीन 1 रूपए की लीज पर देकर राज्य सरकार ने स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा को मजबूत करने का रास्ता खोला है। अब धार के लोगों को इलाज के लिए बड़े शहरों में नहीं जाना पड़ेगा। स्थानीय जनजातीय बच्चों को डॉक्टर बनने का अवसर भी मिलेगा। यहां नर्सिंग एवं पैरामेडिकल के कोर्स भी संचालित किए जाएंगे।

  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य में वर्ष 2002-03 तक मात्र 5 मेडिकल कॉलेज थे। अब प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 33 हो चुकी है। राज्य में पिछले दो सालों में 6 शासकीय मेडिकल कॉलेज शुरू किए गए। इनमें आदिवासी अंचल सिंगरौली और श्योपुर के मेडिकल कॉलेज भी शामिल हैं। राज्य सरकार ने सीनियर रेजिडेंट्स डॉक्टरों के 354 पदों को स्वीकृति दी है। प्रदेश में सिकल सेल एनीमिया अभियान को आगे बढ़ाते हुए 1 करोड़ 25 लाख से अधिक लोगों की जांच की जा चुकी है। धार में 15 लाख से अधिक लोगों की सिकल सेल कार्यक्रम के तहत जांच की गई। प्रदेश के टीकमगढ़, नीमच, सिंगरौली, श्योपुर, डिंडौरी के अस्पतालों में 800 बेड का उन्नयन और डॉक्टरों के 810 नए पदों की स्वीकृति प्रदान की जा रही है।

  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि धार को ऋषि दाधीच और मां नर्मदा का आशीर्वाद प्राप्त है। यह जनसंघ के आदिपुरुष एवं पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री कुशाभाऊ ठाकरे की जन्मस्थली भी है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में धार जिले को पिछले 4 महीने में अनेक विकास कार्यों की सौगात मिली हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अपने 75वें जन्मदिवस पर धार में देश के पहले पीएम मित्र पार्क का भूमिपूजन किया। टेक्सटाइल आधारित इस इंडस्ट्रियल पार्क के माध्यम से क्षेत्र के कपास उत्पादक किसानों को लाभ मिलेगा और 3 लाख के अधिक प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होंगे।

  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश में पीएमश्री एयर एम्बुलेंस सेवा दूरस्थ क्षेत्रों के लिए वरदान बनी है। अब आयुष्मान कार्ड के माध्यम से जरूरतमंदों को नि:शुल्क इलाज और एयर एम्बुलेंस की सुविधा मिल रही है। परिजन के मृत्यु के बाद परिवारों की सुविधा के लिए प्रदेश के सभी जिला और सिविल अस्पतालों में शव वाहन उपलब्ध कराए गए हैं। राज्य सरकार ने सड़क हादसों में घायलों की मदद के लिए राहवीर योजना की शुरुआत की है। यह राज्य सरकार का मानवीय संवेदनाओं वाला पक्ष है। घायलों को समय पर अस्पताल पहुंचाने वाले राहवीरों को राज्य सरकार प्रोत्साहन स्वरूप 25 हजार की राशि प्रदान कर रही है। साथ ही प्रदेश में अंगदान को प्रोत्साहन देने के लिए देह दानियों और उनके परिवारों को गार्ड ऑफ ऑनर देने की परंपरा शुरू की है।

  मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि आज धार जिले को 626 करोड़ रूपए की लागत के कुल 93 विकास कार्यों की सौगात मिल रही है। इसके अंतर्गत सांदीपनि विद्यालय, छात्रावासों, गर्ल्स स्टेडियम, विभिन्न सड़कों, विधि महाविद्यालय, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र आदि का लोकार्पण शामिल है। धार में 15 करोड़ की लागत से बनने वाले गीता भवन का भूमिपूजन हो रहा है। धार-मनावर-गंधवानी और कुक्षी में 104 करोड़ रूपए कील लागत से कुल 26 बालक-बालिका छात्रावासों का भूमिपूजन भी आज किया जा रहा है। धार जिला विकास की राह पर निरंतर अग्रसर है। इंदौर-मनमाड़ रेलवे लाइन परियोजना के लिए 18 हजार 36 करोड़ रूपए की स्वीकृति प्रदान की गई है। धार के सभी गांवों तक माँ नर्मदा के जल से सिंचाई की सुविधा पहुंचाने के लिए राज्य सरकार संकल्पित है। इन गतिविधियों से निश्चित ही धार के विकास को पंख लगेंगे।

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि अब देश में क्यूरेटिव से पहले प्रिवेंटिव क्योर पर जोर दिया जा रहा है, यानी बीमारी से पहले रोकथाम और जीवनशैली में बदलाव पर ध्यान दिया जा रहा है। होलिस्टिक मेडिसिन के लिए देश में 1 लाख 81 हजार आयुष्मान आरोग्य मंदिर संचालित हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर कदम बढ़ा रहा है।

केन्द्रीय मंत्री श्री नड्डा ने कहा कि देश में 2014 में 387 मेडिकल कॉलेज और 51 हजार एमबीबीएस सीटें थीं, आज 819 मेडिकल कॉलेज और एमबीबीएस के लिए 1 लाख 29 हजार सीटें हैं। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने 2030 से पहले 75 हजार सीटें बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। मध्यप्रदेश में अगले महीने कटनी और पन्ना मेडिकल कॉलेज का भी भूमि-पूजन किया जाएगा। केन्द्रीय मंत्री श्री नड्डा ने विवेकानंद नॉलेज फाउंडेशन की पदाधिकारी श्रीमती सुनीता कपूर और सुश्री श्रुति कपूर को को पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल आरंभ करने पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि भारत सरकार और राज्य सरकार फाउंडेशन की इस नवाचारी पहल के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि धार में मेडिकल कॉलेज खुलने से गांव-गांव में डॉक्टर पहुंचेंगे। यहां से निकलने वाले पीजी डॉक्टर भी मध्यप्रदेश की सेवा में लग जाएंगे। हम सत्ता को भोगने के लिए नहीं, सेवा करने के लिए आए हैं। केन्द्रीय मंत्री श्री नड्डा ने कहा कि पीएम मित्र पार्क के माध्यम से धार के कपास उत्पादकों को सौगात मिली है। मध्यप्रदेश सरकार ने एयर एंबुलेंस की सुविधा देश में सबसे पहले मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश में शुरू की है। राज्य में संवेदनशील सरकार है, मुश्किल समय में लोगों को शव वाहन उपलब्ध कराएं जा रहे हैं।

वरिष्ठ विधायक एवं प्रदेशाध्यक्ष श्री हेमंत खंडेलवाल ने कहा कि आज धार की धरती से प्रदेश के विकास के लिए ऐतिहासिक शुरुआत हो रही है। पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल बनने से हर गरीब और जरूरतमंद को बेहतर इलाज उपलब्ध होगा। राज्य सरकार का यह निर्णय स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगा। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री एवं धार जिले के प्रभारी श्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी जनसभा को संबोधित किया। कार्यक्रम में उप मुख्यमंत्री एवं लोक स्वास्थ्य, परिवार कल्याण मंत्री श्री राजेंद्र शुक्ल, केंद्रीय मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर, संगठन महामंत्री श्री हितानंद शर्मा, वरिष्ठ नेता श्री विक्रम वर्मा सहित अनेक जनप्रतिनिधि, जन भागीदारी संस्थान के पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में स्थानीय जन उपस्थित थे।


रतलाम: स्व. श्रीरामचंद्र रोतेला (नेताजी) को समाज और जनप्रतिनिधियों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि




   रतलाम। स्व. श्री रामचंद्र रोतेला (नेताजी) के उत्तर कार्य के अवसर पर उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की गई। उनके द्वारा समाज एवं नगर हित में किए गए कार्यों को याद करते हुए गवली यादव समाज युवा संगठन, राधा कृष्ण मंदिर सरदारपुर और गुजेला परिवार सरदारपुर द्वारा रोतेला परिवार को श्रद्धांजलि पत्र प्रदान किया गया।

  इस गरिमामय कार्यक्रम का संचालन कुक्षी के सोहन ररा, सरदारपुर के गोकुल यादव और राजगढ़ के मुकेश चंदेल ने किया। श्रद्धांजलि पत्र का वाचन कनाड के ओमप्रकाश यादव एवं सोहन ररा द्वारा किया गया।

    कार्यक्रम में मुख्य रूप से सरदारपुर विधायक एवं कांग्रेस जिला प्रभारी प्रताप ग्रेवाल, रतलाम के पूर्व विधायक पारस सकलेचा, राजगढ़ से मुकेश चंदेल, मांगीलाल चंदेल, मंदसौर से राजू जी, सरदारपुर से गोकुल यादव, मनोज यादव, राजेश रैकवार, महू से घनश्याम रैकवार, कनाड से ओमप्रकाश यादव, अमझेरा से अनिल यादव, इंदौर से गोपाल पटेल, कैलाश मसानिया, दीपक रौतेला, थांदला से दिनेश मोरिया, नन्नू पटेल, धार से चुंगा पहलवान, कैलाश बनिया सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे।

 अंत में रोतेला परिवार रतलाम ने इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम के लिए युवा संगठन मध्यप्रदेश, सरदारपुर के गुजेला परिवार सहित समस्त राजनीतिक एवं सामाजिक संस्थाओं और समाजजनों का आभार व्यक्त किया।

Jamshedpur Literature Festival: लिटरेचर फेस्टिवल ने जमशेदपुर को दी नई पहचान, भव्य आगाज़ के साथ पहले दिन का कार्यक्रम संपन्न

 

देशभर से आए साहित्यकारों, कलाकारों और विचारकों की मौजूदगी में शुरू हुआ दो दिवसीय जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025

जमशेदपुर। साहित्य, कला और विचारों के संवाद का एक सशक्त राष्ट्रीय मंच जमशेदपुर में साकार हो गया है। बिष्टुपुर स्थित रामाडा होटल में शनिवार को जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 का भव्य शुभारंभ हुआ। दो दिवसीय इस महोत्सव में देश के विभिन्न हिस्सों से आए साहित्यकारों, पत्रकारों, कलाकारों, प्रशासकों और विचारकों की उल्लेखनीय उपस्थिति ने आयोजन को विशेष बना दिया।

उद्घाटन सत्र में लेखक एवं पत्रकार सोपान जोशी, प्रसिद्ध चित्रकार मनीष पुष्कले, दिल्ली से आए डॉ. रंजन त्रिपाठी, आईएएस सौरभ तिवारी, अभिनेता राजेश जैस और फिल्म निर्देशक अभिषेक चौबे ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलन कर महोत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर वक्ताओं ने साहित्य की सामाजिक भूमिका, रचनात्मक स्वतंत्रता और संवाद की आवश्यकता पर अपने विचार रखे।

अभिनेता राजेश जैस ने नागपुरी भाषा में अपनी बात रखते हुए झारखंड की स्थानीय संस्कृति और भाषाओं के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे मंच न केवल साहित्य और सिनेमा को बढ़ावा देते हैं, बल्कि क्षेत्रीय भाषाओं को भी राष्ट्रीय पहचान दिलाने का काम करते हैं। झारखंड की सड़कों, हरियाली और जमशेदपुर की कॉस्मोपॉलिटन संस्कृति की सराहना करते हुए उन्होंने शहर को “अविभाजित बिहार का बंबई” बताया। मूल रूप से रांची निवासी राजेश जैस ने कहा कि झारखंड आना उन्हें अपने घर लौटने जैसा लगता है। अपनी ही बातों पर चुटकी लेते हुए जब उन्होंने कहा कि “फिर मैं यहीं क्यों नहीं रहता”, तो पूरा लॉन तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।

होत्सव के दौरान कविता-पाठ, ग़ज़ल, व्यंग्य, पत्रकारिता संवाद, चित्रकला कार्यशालाएँ और साहित्य के विभिन्न आयामों पर केंद्रित सत्र आयोजित किए जा रहे हैं। देश के प्रतिष्ठित लेखकों और बुद्धिजीवियों के बीच होने वाले इन संवादों ने आयोजन को विचारों और अनुभवों का समृद्ध संगम बना दिया है।

इस आयोजन का उद्देश्य केवल साहित्य को प्रोत्साहन देना ही नहीं, बल्कि समाज, संस्कृति और कला के विविध दृष्टिकोणों को एक मंच पर लाकर एक सशक्त सांस्कृतिक वातावरण तैयार करना है। स्थानीय छात्र, शिक्षक और साहित्य प्रेमी इस महोत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वानों से सीधे संवाद का अवसर पा रहे हैं।

पहले दिन उद्घाटन सत्र के दौरान वाराणसी से आई कलाकार आकांक्षा सिंह सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों को सम्मानित किया गया। इसके साथ ही निर्णायक मंडल के सदस्यों संपादक संजय मिश्र, भवानन्द झा, यू.एन. पाठक, गणेश मेहता, जयप्रकाश राय, ब्रजभूषण सिंह और उदित अग्रवाल को सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह प्रदान किए गए।

शाम के सत्र में ‘राहगीर’ नाम से लोकप्रिय गायक और कवि सुनील कुमार गुर्जर की प्रस्तुति ने माहौल को जीवंत कर दिया। गिटार के साथ कविता और गीतों की उनकी अनोखी शैली ने श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया और कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए। फेस्टिवल में पहुंचे दर्शकों और साहित्य प्रेमियों का कहना है कि इस आयोजन से न केवल जमशेदपुर में साहित्यिक परंपरा को नई मजबूती मिलेगी, बल्कि शहर को सांस्कृतिक पर्यटन के मानचित्र पर भी एक नई पहचान मिलेगी। साहित्य, विचार और संस्कृति से सराबोर यह महोत्सव अपने पहले ही दिन लोगों को आकर्षित करने में सफल रहा और अगले दिन भी इसी उत्साह के साथ कार्यक्रम जारी रहेगा।

जमशेदपुर पहुंचे देश के कई प्रसिद्ध कलाकार, लेखकों और साहित्यकारों के बीच शुरू होने जा रहा है जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025

 

संघर्ष, कला और सृजन की कहानियों से सजा साहित्यिक मंच, पहले दिन राहगीर, भज्जू श्याम और डॉ. दामोदर खड़से अनुभव साझा करेंगे

जमशेदपुर पहुंचे देश के कई प्रसिद्ध कलाकार, लेखक और साहित्यकार, और आज से जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल की शुरुआत होने जा रही है। यह साहित्यिक आयोजन शहर को रचनात्मक विचारों, कला और संघर्ष से उपजे सृजन का मंच बनाने वाला है। देश के अलग-अलग हिस्सों से आए जाने-माने रचनाकार अपने अनुभव, विचार और जीवन यात्राओं को साझा करेंगे। फेस्टिवल में बड़ी संख्या में युवा, साहित्य प्रेमी और कला से जुड़े लोग शामिल होंगे, जिससे जमशेदपुर में साहित्यिक माहौल और भी जीवंत होने की उम्मीद है।

फेस्टिवल के पहले सत्र में चर्चित लोकगायक राहगीर, पद्मश्री से सम्मानित गोंड कलाकार भज्जू श्याम और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित लेखक डॉ. दामोदर खड़से मंच साझा करेंगे। तीनों की यात्राएं अलग-अलग रही हैं, लेकिन संघर्ष, संवेदनशीलता और सृजन के प्रति अटूट विश्वास उनकी कहानियों का साझा सूत्र रहेगा। वक्ता बताएंगे कि कला और साहित्य केवल अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं हैं, बल्कि जीवन की सच्चाइयों से उपजा संघर्ष और आत्मा की आवाज भी हैं।

जमशेदपुर पहुंचते ही लोकगायक राहगीर का उनके चाहने वाले गर्मजोशी से स्वागत किया। सोशल मीडिया पर वायरल गीतों से पहचान बनाने वाले राहगीर को देखने और सुनने के लिए बड़ी संख्या में प्रशंसक मौजूद होंगे। फेस्टिवल परिसर में उनकी मौजूदगी से माहौल और भी जीवंत होने वाला है। खासकर शहर के साहित्यकार और रचनाकारों ने उनसे मुलाकात किया और उनके गीतों और संघर्ष भरे रचनात्मक सफर की सराहना की।

राजस्थान के लोकगायक और गीतकार राहगीर ने अपने जीवन के उस मोड़ का जिक्र किया, जब उन्होंने एक सुरक्षित इंजीनियरिंग नौकरी छोड़कर संगीत को अपनाने का फैसला किया। उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में कविताएं लिखना शुरू किया और एक दोस्त द्वारा भेजा गया गिटार उनके जीवन की दिशा बदलने वाला साबित हुआ। परिवार के विरोध और सामाजिक दबाव के बावजूद उन्होंने अपने मन की सुनी। 2016 से 2021 तक का दौर संघर्षों से भरा रहा और कोरोना काल में उन्हें दोबारा नौकरी खोजने की मजबूरी तक आ गई। इसी दौरान हिमाचल प्रदेश में बस का इंतजार करते हुए गुनगुनाया गया गीत “बस आने में देर है” सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और यहीं से उनके संगीत को नई पहचान मिली। राहगीर ने कहा कि लोगों का प्यार और भावनात्मक जुड़ाव ही उनकी सबसे बड़ी कमाई है।

पद्मश्री सम्मानित गोंड कलाकार भज्जू श्याम बताएंगे कि गोंड पेंटिंग केवल चित्रकला नहीं, बल्कि कहानियों की दृश्य भाषा है। पाटनगढ़ गांव से निकलकर उन्होंने अपनी कला के माध्यम से आदिवासी संस्कृति को देश-दुनिया तक पहुंचाया है। उन्होंने कहा कि अब तक वे 16 किताबें लिख चुके हैं और लंदन यात्रा सहित अपने जीवन के अनुभवों को पेंटिंग के जरिए प्रस्तुत करेंगे। उनका मानना है कि नई पीढ़ी अगर अपनी जड़ों से जुड़कर सीखेगी, तभी पारंपरिक कलाएं जीवित रह पाएंगी।

साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित लेखक डॉ. दामोदर खड़से कहेंगे कि साहित्य का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि समाज को आईना दिखाना भी है। वह अपनी पुस्तक ‘काला सूरज’ का जिक्र करेंगे, जो पत्रकारों के जीवन और सिस्टम की जटिलताओं को उजागर करती है। उनके उपन्यास ‘भगदड़’ में गांव से शहर तक के संघर्ष को दिखाया गया है, जबकि हालिया कृति ‘बादल रात’ महिलाओं की प्रगति, संघर्ष और आत्मनिर्भरता की कहानी कहती है। डॉ. खड़से के अनुसार, वही साहित्य सार्थक है जो समाज की सच्चाइयों से संवाद करे।

आयोजकों के अनुसार, जमशेदपुर लिटरेचर फेस्टिवल आज 20 से 21 तक चलेगा, जिसमें देश के कई प्रसिद्ध लेखक, कलाकार और सांस्कृतिक दिग्गज शामिल होंगे। यह आयोजन जमशेदपुर को राष्ट्रीय स्तर पर साहित्यिक पहचान दिलाने के साथ-साथ युवाओं को रचनात्मक सोच और अभिव्यक्ति के लिए प्रेरित करेगा।