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शिल्पा जायसवाल: फैशन की दुनिया का एक चमकता सितारा

शिल्पा जायसवाल: एक उभरती हुई मॉडल

शिल्पा जायसवाल एक उभरती हुई मॉडल हैं जो फैशन और मनोरंजन उद्योग में अपनी पहचान बना रही हैं। अपनी सुंदरता, आत्मविश्वास और समर्पण के लिए जानी जाने वाली, वह प्रतिभा की उस नई पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करती हैं जो नई ऊर्जा और रचनात्मकता के साथ मॉडलिंग की दुनिया को आकार दे रही है।



प्रारंभिक जीवन और पृष्ठभूमि

शिल्पा जायसवाल के मॉडलिंग के सफर की शुरुआत फैशन और आत्म-अभिव्यक्ति के प्रति उनके जुनून से हुई। छोटी उम्र से ही उन्हें स्टाइल, प्रस्तुति और शालीनता के साथ खुद को प्रस्तुत करने की कला में गहरी रुचि थी। इस प्रतिस्पर्धी उद्योग में नाम बनाने के उनके दृढ़ संकल्प ने उन्हें सबसे अलग बनाया और सुर्खियों में आने में मदद की।




मॉडलिंग में करियर

शिल्पा ने फोटोशूट से लेकर फैशन इवेंट्स तक कई तरह के मॉडलिंग असाइनमेंट पर काम किया है। अपने आकर्षक लुक्स और बहुमुखी व्यक्तित्व के साथ, वह पारंपरिक और आधुनिक दोनों थीमों में आसानी से ढल जाती हैं। कैमरे के सामने उनकी उपस्थिति न केवल सुंदरता बल्कि आत्मविश्वास को भी दर्शाती है, जो मॉडलिंग का असली सार है।



शैली और व्यक्तित्व

जो बात शिल्पा को सबसे अलग बनाती है, वह है अपने काम के माध्यम से दर्शकों से जुड़ने की उनकी क्षमता। उनका मानना ​​है कि मॉडलिंग सिर्फ कपड़े पहनना नहीं है, बल्कि कहानियों, मूड और भावनाओं को व्यक्त करना है। उनके स्वाभाविक आकर्षण और व्यावसायिकता ने उन्हें फोटोग्राफरों, डिजाइनरों और फैशन प्रेमियों के बीच पहचान दिलाई है।

भविष्य की आकांक्षाएँ

शिल्पा जायसवाल राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अवसरों की तलाश जारी रखे हुए हैं। उनका लक्ष्य उन युवा उम्मीदवारों को प्रेरित करना है जो मॉडलिंग को करियर के रूप में अपनाना चाहते हैं, और उन्हें यह दिखाना है कि जुनून, अनुशासन और कड़ी मेहनत से कोई भी फैशन की दुनिया में चमक सकता है।

निष्कर्ष

तेजी से विकसित हो रहे फैशन उद्योग में, शिल्पा जायसवाल एक होनहार प्रतिभा के रूप में सामने आती हैं। अपने हर कदम के साथ, वह अपने लिए नए मानक स्थापित कर रही हैं और जीवंत मॉडलिंग समुदाय में योगदान दे रही हैं। उनकी यात्रा दृढ़ संकल्प, शैली और महत्वाकांक्षा का प्रतिबिंब है - ऐसे गुण जो उन्हें आने वाले समय में देखने लायक मॉडल बनाते हैं।

 


RAK ICC ने 2025 के विधायी सुधारों के साथ अपनी फाउंडेशन व्यवस्था को और मजबूत किया

संपत्ति सुरक्षा, गवर्नेंस और विवाद समाधान तंत्र में सुधार के व्यापक अपडेट


रास अल खैमा, संयुक्त अरब अमीरात

रास अल खैमा इंटरनेशनल कॉरपोरेट सेंटर (RAK ICC) ने अपने फाउंडेशन रेगुलेशंस 2019 में महत्वपूर्ण संशोधनों की घोषणा की है, जो 31 जुलाई 2025 से प्रभावी हो गए हैं। ये बदलाव, इस व्यवस्था की शुरुआत के बाद से अब तक के सबसे बड़े अपडेट्स में से एक हैं, जो धन संरचना (वेल्थ स्ट्रक्चरिंग) और दीर्घकालिक संपत्ति सुरक्षा के लिए एक प्रतिस्पर्धी क्षेत्राधिकार के रूप में यूएई की स्थिति को मजबूत करते हैं।

RAK ICC फाउंडेशन्स अपनी फ्लेक्सिबिलटी, गोपनीयता और कानूनी मजबूती के लिए व्यापक रूप से जाने जाते हैं, जो उन्हें यूएई और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाई नेट वर्थ उद्यमियों और फैमिली ऑफिसेस के लिए एक पसंदीदा विकल्प बनाता है। इन संरचनाओं का उपयोग आमतौर पर उत्तराधिकार योजना, पारिवारिक गवर्नेंस और विभिन्न संपत्तियों को एक ही कानूनी इकाई के तहत समेकित करने के लिए किया जाता है।

5 के संशोधनों में मजबूत कानूनी सुरक्षा उपाय और बेहतर गवर्नेंस के उपाय किए गए हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
  • फ़ायरवॉल प्रावधान - RAK ICC रेगुलेशंस के विरुद्ध विदेशी निर्णयों से मजबूत सुरक्षा।
  • तीन साल की सीमा अवधि - स्थापना या संपत्ति हस्तांतरण को चुनौती देने की समय सीमा तीन साल तक सीमित।
  • कार्रवाई के कारण संबंधी प्रावधान - लेनदार धोखाधड़ी के दावे केवल शामिल विशिष्ट संपत्ति तक सीमित और केवल तभी जब संस्थापक दिवालिया हो रहा हो।
  • दबाव और अधिकारी संरक्षण - विदेशी कानूनी दबाव में की गई कार्रवाइयों को अमान्य करना जिससे फाउंडेशन की आंतरिक गवर्नेंस स्वायत्तता बनी रहती है।
  • मजबूत मध्यस्थता ढांचा - विवादों को अदालत-स्तरीय शक्तियों के साथ निजी तौर पर हल किया जा सकता है।
  • प्राइवेट ट्रस्टी फाउंडेशन प्रावधान - फाउंडेशन द्वारा ट्रस्ट में रखी गई संपत्ति के लिए संपत्ति पृथक्करण और न्यासीय अखंडता को स्पष्ट करता है।
RAK ICC फाउंडेशन के भीतर स्थापित संपत्तियों को अब बेहतर फ़ायरवॉल प्रावधानों से लाभ होगा जिससे यह सुनिश्चित होगा कि यूएई कानून के विपरीत विदेशी निर्णयों को उनके खिलाफ लागू नहीं किया जा सकता। किसी फाउंडेशन के गठन या उसमें संपत्ति के हस्तांतरण को चुनौती देने के लिए एक नई तीन-वर्षीय सीमा अवधि स्थापित की गई है, जो संस्थापकों और लाभार्थियों को अधिक निश्चितता प्रदान करती है। ये सुधार धोखाधड़ी वाले हस्तांतरण के दावों में दिवालियापन का सबूत आवश्यक बनाकर लेनदार संरक्षण नियमों को भी सख्त करते हैं, जिसमें देयता को विवादित संपत्ति के मूल्य तक सीमित किया गया है ताकि असंबंधित संपत्तियों पर इसका असर न पड़े।

इसके अतिरिक्त अपडेटेड रेगुलेशंस गवर्नेंस की अखंडता सुनिश्चित करते हैं व परिचालन को आसान बनाते हैं। एक फाउंडेशन के अधिकारी जिन्हें RAK ICC कानून के साथ असंगत विदेशी आदेश मिलते हैं, वे उन्हें अनदेखा कर सकते हैं जिससे फाउंडेशन की निर्णय लेने की स्वायत्तता की रक्षा होती है। यह ढांचा अब स्पष्ट रूप से पुष्टि करता है कि एक फाउंडेशन द्वारा ट्रस्ट में रखी गई संपत्ति कानूनी रूप से फाउंडेशन की अपनी संपत्ति से अलग है, जिससे स्पष्ट संपत्ति पृथक्करण सुनिश्चित होता है। विवाद समाधान को भी मजबूत किया गया है, जिसमें मध्यस्थता प्रावधानों का विस्तार करके न्यायाधिकरणों को अदालत जैसी शक्तियां प्रदान की गई हैं जिससे विवादों को कुशलतापूर्वक, गोपनीय रूप से और अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप हल किया जा सकता है।

ये बदलाव RAK ICC की एक भविष्योन्मुखी कानूनी और नियामक वातावरण बनाए रखने की व्यापक रणनीति का हिस्सा हैं जो वैश्विक मानकों को पूरा करता है और साथ ही अपने ग्राहकों की विशिष्ट आवश्यकताओं को भी पूरा करता है। वे नियंत्रण, गोपनीयता और दीर्घकालिक सुरक्षा को संतुलित करने वाली परिष्कृत धन नियोजन रणनीतियों का समर्थन करने के लिए क्षेत्राधिकार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।

अपनी फाउंडेशन व्यवस्था को बढ़ाकर RAK ICC यूएई में उन लोगों के लिए एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत कर रहा है जो धन संरक्षण और अंतर-पीढ़ी योजना के लिए सुरक्षित, अनुकूलनीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनुपालन करने वाले समाधान चाहते हैं।

RAK ICC के बारे में
रास अल खैमा इंटरनेशनल कॉरपोरेट सेंटर (RAK ICC) रास अल खैमा, संयुक्त अरब अमीरात में स्थित एक कॉरपोरेट रजिस्ट्री है। यह संगठन अंतरराष्ट्रीय व्यापार कंपनियों और फाउंडेशन्स की सुविधा प्रदान करता है, जिनका उपयोग आमतौर पर निजी और व्यावसायिक संरचना, संपत्ति समेकन और उत्तराधिकार योजना के लिए किया जाता है। आज तक RAK ICC ने हजारों अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को शामिल किया है और अरबों दिरहम की संरचित संपत्तियों का समर्थन करता है। यह हाई नेटवर्थ व्यक्तियों, उद्यमियों और व्यवसायों की सेवा करता है जो दीर्घकालिक व्यापार और धन प्रबंधन के लिए फ्लेक्सिबल और सुरक्षित समाधान चाहते हैं।

उज्जैन नगर भ्रमण पर निकले राजाधिराज बाबा महाकाल





राजसी सवारी मार्ग पर पालकी पर की गई हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा
राजसी सवारी मार्ग पर उमड़ा देश के कोने-कोने से आये भक्तों का जनसैलाब
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभामंडपम् में भगवान श्री चंद्रमोलेश्वर का किया पूजन-अर्चन
राजसी सवारी में त्रिनेत्रधारी भगवान श्रीमहाकाल के दर्शन कर भाव-विभोर हुए भक्तजन
मुख्यमंत्री ने सवारी मार्ग पर डमरु और झांझ बजाकर 
रजत पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर का किया स्वागत
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने की प्रदेशवासियों के कल्याण की कामना
  
   उज्जैन : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को उज्जैन में निकली राजाधिराज बाबा महाकाल की राजसी सवारी के अवसर पर देश एवं प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं दीं। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बाबा महाकाल से प्रदेशवासियों के कल्याण और मंगलमय जीवन की कामना की है।

    मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि देशभर में श्रावण मास में पूर्णिमा से पूर्णिमा तक महादेव की सवारियां निकलती हैं। लेकिन उत्तर और दक्षिण परम्पराओं के अनुसार भादवा (भाद्रपद) के दो सोमवार तक भी बाबा महाकाल की सवारी निकलती है। आज उज्जैन में बाबा महाकाल ने आखिरी (राजसी) सवारी कर नगर भ्रमण किया और अपनी प्रजा (जनता) के हाल-चाल जाने। बाबा ने अपने राजाधिराज स्वरुप में भक्तों को दिव्य दर्शन दिए।

   मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से बाबा की भव्य राजसी सवारी के लिए सभी व्यवस्थाएं की गईं और धूमधाम से सवारी की अगवानी की गई। बाबा की सवारी सहित सवारी पथ पर पुष्पवर्षा भी की गई। इस वर्ष विजयादशमी पर्व पर बाबा महाकाल एक बार फिर सवारी के साथ जनदर्शन के लिए पधारेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बाबा महाकाल से कामना करते हुए कहा कि बाबा का शुभाशीष प्रदेशवासियों पर हमेशा बना रहे। कृपावंत भगवान महाकाल सबका कल्याण करें, सबके दुःख हर लें।

   भगवान श्री महाकालेश्वर की इस वर्ष की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारियों के क्रम में सोमवार,18 अगस्त को सायं 4 बजे राजसी सवारी धूमधाम से निकाली गई। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने सभामंडपम में भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर का पूजन-अर्चन किया। रजत पालकी में विराजित श्री चंद्रमौलेश्वर भगवान अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले तो सम्पूर्ण उज्जयिनी भगवान श्री महाकालेश्वर की जय-जयकार से गुंजायमान हो गई। चारों दिशाओं में भगवान श्रीमहाकाल की भक्ति में लीन भक्तों के नेत्र त्रिनेत्रधारी भगवान श्री शिव की एक झलक पाकर भाव-विभोर हो उठे।

   मुख्यमंत्री डॉ. यादव और प्रभारी मंत्री श्री गौतम टेटवाल ने सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का पूजन-अर्चन विधिवत रूप से किया। सभा मंडप में विधायक श्री अनिल जैन कालूहेड़ा, विधायक श्री सतीश मालवीय, विधायक श्री महेश परमार, महापौर श्री मुकेश टटवाल, सभापति श्रीमती कलावती यादव ने भी भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन किया और आरती में सम्मिलित हुए। पूजन के बाद निर्धारित समय पर भगवान श्री महाकाल की पालकी को नगर भ्रमण के लिये रवाना किया गया। पूजन-अर्चन पुजारी पं. घनश्याम शर्मा व अन्य पुजारियों द्वारा सम्पन्न करवाया गया। इस अवसर पर सभा मंडप में पूजन-अर्चन के दौरान श्री संजय अग्रवाल, श्री रवि सोलंकी आदि उपस्थित थे।

   मुख्यमंत्री डॉ. यादव मंशानुरुप सवारी के मुख्य द्वार पर पहुंचने पर रजत पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर पर हेलीकॉप्टर से पुष्प वर्षा की गई। रजत पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर जैसे ही मुख्य द्वार पर पहुंचे असंख्य श्रद्धालुओं ने भगवान श्री महाकालेश्वर का स्वागत-वन्दन किया। सशस्त्र पुलिस बल के जवानों तथा प्रदेश के विभिन्न बटालियनों के जवानों द्वारा सवारी को सलामी दी गई। पालकी के आगे घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान आदि की टुकडियां मार्च पास्ट करते हुए चल रही थी।

  मुख्यमंत्री डॉ. यादव सवारी में शामिल हुए और सवारी मार्ग पर उन्होंने ड़मरु और झांझ बजाया। राजाधिराज भगवान श्री महाकालेश्वर की सवारी में असंख्य श्रध्दालुओं ने सवारी मार्ग पर ड़मरु, झांझ-मंजीरे बजाकर अवंतिकानाथ भगवान श्री महाकालेश्वर की जय जयकार की।











भगवान श्रीमहाकाल ने भक्तों को छह रूपों में दिये दर्शन

  राजसी सवारी में भगवान श्री महाकालेश्वर ने छह विभिन्न स्वरूपों में अपनें भक्तों को दर्शन दिये। भगवान श्रीमहाकाल की राजसी सवारी में रजत पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर श्री शिवतांडव, नन्दी रथ पर श्री उमा-महेश और डोल रथ पर श्री होल्कर स्टेट के मुखारविंद एवं षष्ठम् सवारी में श्री सप्तधान मुखारविंद के रूपों में भक्तों को दर्शन दिए।

    भगवान श्रीमहाकालेश्वर की सवारी परम्परागत मार्गों से होती हुई रामघाट पहुंची। रामघाट पर भगवान श्री महाकाल का क्षिप्रा के जल से जलाभिषेक कर पूजा-अर्चना की गई। पूजन-अर्चन पं. घनश्याम शर्मा और अन्य पुजारियों के द्वारा सम्पन्न कराया गया। पूजन के दौरान प्रभारी मंत्री श्री गौतम टेटवाल, महापौर श्री मुकेश टटवाल,श्री वैभव यादव सहित अन्य गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।

70 भजन मण्डलियां सवारी में हुई शामिल

    श्रीमहाकालेश्वर भगवान की प्रमुख राजसी सवारी के चल समारोह में सबसे आगे श्रीमहाकालेश्वर मंदिर का प्रचार वाहन चला। उसके बाद यातायात पुलिस, तोपची, भगवान श्री महाकालेश्वर का रजत ध्वज, घुडसवार, विशेष सशस्त्र बल सलामी गार्ड, स्काउट / गाइड सदस्य, सेवा समिति बैंड के बाद उज्जैन के अतिरिक्त मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों से परंपरागत रूप से सवारी सम्मिलित होने वाली 70 भजन मंडलियां चल समारोह में प्रभु का गुणगान करते हुए शामिल हुई।

      साथ ही नगर के साधु-संत व गणमान्य नागरिक, पुलिस बैंड, नगर सेना के सलामी गार्ड की टुकड़ी, श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी व पुरोहितगण सवारी के साथ रहे। उनके बाद श्री महाकालेश्वर भगवान (श्री चंद्रमौलेश्वर) की प्रमुख पालकी, भारत बैंड, रथ पर श्री गरुड़ पर विराजित श्री शिव-तांडव, रमेश बैंड, नंदी रथ पर श्री उमा महेश स्वरुप, गणेश बैंड, रथ पर श्री होल्कर स्टेट मुखारविंद, आर.के. बैंड, रथ पर श्री सप्तधान मुखारविंद के पश्चात राजकमल म्युजिकल ग्रुप बैंड व श्री मनमहेश स्वरुप हाथी पर विराजित रहे।

चलित रथ के माध्यम से श्रद्धालुओं ने करे दर्शन

   भगवान श्रीमहाकालेश्वर की सवारी के सुगमतापूर्वक दर्शन के लिये चलित रथ की व्यवस्था की गई। जिसके दोनों ओर एलईडी के माध्यम से सवारी का लाईव प्रसारण किया गया, जिससे श्रद्धालुओं को भगवान के सहज दर्शन का लाभ मिला। साथ ही उज्जैन के अन्य स्थानों फ्रीगंज, नानाखेड़ा, दत्तअखाड़ा आदि क्षेत्रों में भी सवारी का लाइव प्रसारण किया गया।

सवारी में जनजातीय एवं लोक नृत्य कलाकारों ने दीं आकर्षक प्रस्तुतियां

   मुख्यमंत्री डॉ. यादव की मंशानुरूप बाबा श्रीमहाकालेश्वर की सवारी को भव्य स्वरुप देने के लिए जनजातीय कलाकारों के दल ने श्री महाकालेश्वर भगवान की राजसी सवारी में सहभागिता की। इसमें श्री लामूलाल धुर्वे अनूपपुर के नेतृत्व में ढुलिया जनजातीय गुदुमबाजा नृत्‍य, भुवनेश्वर से श्री अभिजीत दास नेतृत्व में श्रृंगारी लोक नृत्‍य, श्री सुमित शर्मा एवं साथी हरदा से डण्‍डा लोक नृत्‍य एवं श्री साधूराम धुर्वे बालाघाट के नेतृत्व में बैगा जनजातीय करमा नृत्‍य की प्रस्तुतियां दी गई। यह सभी दल श्री महाकालेश्वर भगवान की राजसी सवारी के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चले। सभी जनजातीय दलों ने संस्कृति विभाग भोपाल, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद व ‍त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय के माध्यम से भगवान श्री महाकालेश्वर की राजसी सवारी में सहभागिता की। एम्बुलेन्स, विद्युत मंडल का वाहन, फायर ब्रिगेड, वन विभाग आदि भी सुरक्षा की दृष्टि से सम्पूर्ण सवारी मार्ग में साथ में चले।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव भंडारे में हुए शामिल

  मुख्यमंत्री डॉ. यादव राजसी सवारी में शामिल होने के बाद हरिफाटक ब्रिज के नीचे राजसी सवारी के लिए देश के विभिन्न प्रांतों से आए श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए आायोजित भोजन वितरण भंडारे में शामिल हुए। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने श्रद्धालुओं को भोजन वितरण किया। 

मध्यप्रदेश की नदियाँ भारत की सनातन संस्कृति की संवाहक : मुख्यमंत्री डॉ. यादव,मध्यप्रदेश है नदियों का मायका



 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि भारत का हृदय मध्यप्रदेश, यहां के अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य और अथाह, अविरल जल राशि के लिए समूचे विश्व में जाना जाता है। मध्यप्रदेश में बहने वाली नदियां भारत की सनातन संस्कृति की संवाहक हैं, जिनके किनारे सदियों से हमारी शाश्वत सभ्यता फल फूल रही है। यहाँ की पहचान केवल प्राचीन धरोहरों, मंदिरों, किलों और जनजातीय संस्कृति तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यहाँ की छोटी-बड़ी 750-800 नदियों से भी है।प्रदेश की इस समृद्ध जल राशि के कारण ही मध्यप्रदेश को ‘नदियों का मायका’ कहा जाता है। मध्यप्रदेश से उद्गमित छोटी-बड़ी नदियाँ, गंगा, नर्मदा, ताप्ती, गोदावरी, माही और महानदी जैसे विशाल नदी प्रवाह तंत्रों में समाहित होकर पूरे भारत की जीवन-रेखा बनाती हैं।

मध्यप्रदेश की नदियाँ केवल भौतिक जल स्रोत नहीं, बल्कि संस्कृति की वाहक भी हैं। नदियों के किनारे प्राचीन नगरों, धार्मिक स्थलों और व्यापारिक मार्गों का विकास हुआ। क्षिप्रा नदी के तट पर बसा उज्जैन प्राचीन समय से ही खगोल विज्ञान और श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लंग के कारण धार्मिक आस्था का केंद्र रहा है। प्राचीन उज्जयिनी सिंहस्थ ‘कुंभ’ समागम का तीर्थ क्षेत्र भी है। नर्मदा नदी के तट पर बसे महेश्वर और ओंकारेश्वर शहर शैव परंपरा के प्रमुख तीर्थ-स्थल हैं। ओंकारेश्वर 12 ज्योर्तिलिंगों में एक है। बेतवा नदी के तट औऱ प्रवाह क्षेत्र के ओरछा, सांची और विदिशा मध्यकालीन भारत की सांस्कृतिक यशोगाथा के प्रतीक होने के साथ ही बौद्ध संस्कृति के उदयावसान के साक्षी भी रहे हैं।

मध्यप्रदेश का अधिकांश भूभाग विंध्य और सतपुड़ा की पहाड़ियों से आच्छादित है। यही कारण है कि यह अनेक महत्वपूर्ण नदियों का उद्गम स्थल है। नर्मदा और ताप्ती पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ हैं, जबकि सोन, क्षिप्रा, चंबल, बेतवा उत्तर और पूर्व की ओर बहकर अपनी अथाह जलराशि के साथ गंगा-यमुना में समाहित हो जाती हैं। माही, वैंगंगा, तवा जैसी नदियाँ भी अलग-अलग बेसिन को जल-पोषित करती हैं। इस भौगोलिक विविधता ने ही प्रदेश को नदी समृद्ध राज्य के रूप में प्रतिष्ठा दी है।

  पुण्य सलिला मां नर्मदा का दूसरा नाम रेवा भी है।भगवान शिव की पुत्री मानी जाने वाली रेवा मध्यप्रदेश और गुजरात दोनों की जीवन रेखा है। मान्यता है कि मां नर्मदा के दर्शन मात्र से ‘गंगा स्नान’ का पुण्य मिलता है। श्रद्धालुओं के लिए 3000 किमी से अधिक लंबी नर्मदा परिक्रमा जीवन का सबसे बड़ा तप माना जाता है। मां नर्मदा अमरकंटक से जन्म लेकर लेकर जबलपुर में धुआंधार जलप्रपात बनाती हुई गुजरात को अभिसिंचित कर लगभग 1312 किलोमीटर की यात्रा तय कर अरब सागर की खंभात की खाड़ी में विराम पाती हैं।

  महाभारत काल में चंबल नदी का नाम चर्मणवती था। यह भगवान परशुराम के जन्म-स्थल जानापाव से निकली। यह राजस्थान और मध्यप्रदेश की सीमा बनाती है। जानापाव से निकलकर चंबल नदी मध्यप्रदेश-उत्तर प्रदेश की सीमा पर स्थित ‘पंचनदा’ संगम पर यमुना में परिमित जलराशि के साथ समाहित हो जाती है। बेतवा (वेत्रवती)  को मध्यप्रदेश की गंगा भी कहा जाता है। इसके तट पर राम राजा का ऐतिहासिक शहर ओरछा बसा है। विदिशा और सांची जैसे नगरों को भी इसने पोषित किया है। विंध्यांचल पर्वत से निकल कर लगभग 590 किलोमीटर दूरी तय कर यमुना नदी में जा मिलती है। 

  मोझदायिनी क्षिप्रा नदी के तट पर प्राचीन उज्जयिनी शहर बसा है। ज्योतिर्लिंग श्री महाकालेश्वर और सिंहस्थ कुम्भ समागम का यह तीर्थ क्षेत्र विश्वविख्यात है। क्षिप्रा को भी मालवा की गंगा कहा जाता है। क्षिप्रा नदी इंदौर जिले में उज्जैनी-मुंडला गांव के ककड़ी-बड़ली नामक स्थान से निकल कर लगभग 195 किलोमीटर की यात्रा के बाद चंबल नदी में मिल जाती है। रामायण और महाभारत में सोन नदी का उल्लेख मिलता है। इसे पुरुष वाचक ‘नद’ की संज्ञा भी दी गई है। महर्षि वाल्मीकि ने इसे सुभद्र कहा है। यह नदी प्रदेश में शहडोल और रीवा के क्षेत्रों को सींचती हुई बिहार में प्रवेश कर लगभग 784 किलोमीटर लंबी यात्रा के बाद पतितपावनी गंगा से संगम करती है।

  ताप्ती नदी सतपुड़ा की पहाड़ियों से निकलकर गुजरात तक जाती है और लगभग 724 किलोमीटर की दूरी तय कर खंभात की खाड़ी में मिल जाती है। माही नदी की विशेषता है कि यह कर्क रेखा को दो बार पार करती है। माही नदी भी मध्यप्रदेश से गुजरात तक 583 किलोमीटर की यात्रा कर खंभात की खाड़ी में मिल जाती है। मध्यप्रदेश से उद्गम पाने वाली अन्य प्रमुख नदियों में वैंनगंगा गोंडवाना क्षेत्र की जीवनरेखा है। तवा नर्मदा की सहायक नदी है, जिस पर मध्यप्रदेश का सबसे बड़ा बाँध बना है। कालीसिंध, पार्वती, केन, शक्कर, जोहिला  स्थानीय कृषि और वन्य जीवन के लिए महत्त्वपूर्ण हैं।

  मध्यप्रदेश की नदियों पर अनेक सिंचाई एवं जलविद्युत परियोजनाएँ बनी हैं, जिनसे लाखों हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित होती है। चंबल-पार्वती-कालीसिंध रिवर लिंक परियोजना मध्यप्रदेश और राजस्थान दोनों के साझा महत्व की परियोजना है। केन-बेतवा रिवर लिंक परियोजना मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के लिए समृद्धि की गंगोत्री मानी जा रही है। ताप्ती बेसिन मेगा रिचार्च परियोजना मध्यप्रदेश के बुरहानपुर एवं खंडवा और महाराष्ट्र के अकोला, अमरावती और बुलढाणा ज़िलों के भू-जल संकट और अनियमित वर्षा की समस्या का स्थायी समाधान मानी जा रही है। बाणसागर परियोजना सोन नदी पर बनी है। इससे शहडोल, रीवा और सीधी जिलों को लाभ पहुंच रहा है। तवा परियोजना नर्मदा की सहायक तवा पर निर्मित है। इससे होशंगाबाद क्षेत्र को सिंचाई और पेयजल की पूर्ति हो रही है। गांधीसागर परियोजना चंबल नदी पर बनाई गई है। इससे  जलविद्युत बनाई जा रही है, साथ ही बड़े क्षेत्र में सिंचाई हो रही है। ओंकारेश्वर एवं बरगी परियोजना नर्मदा नदी पर निर्मित है। यह प्रदेश की ऊर्जा और जल आपूर्ति के प्रमुख आधारों में से एक है।


खरमोर अभ्यारण से मुक्त हुई 14 ग्रामो की भूमि का पंजीयन शुरू, ग्रामीणों को मिली बड़ी राहत




 

   सरदारपुर/ धार: धार जिले के सरदारपुर तहसील में स्थित खरमोर अभ्यारण से मुक्त हुए 14 गांवों की भूमि का पंजीयन कार्य आज से उप पंजीयक कार्यालय में शुरू हो गया है. यह खबर उन हजारों ग्रामीणों के लिए बड़ी राहत लेकर आई है, जिनकी जमीन के खरीद-बिक्री और हस्तांतरण पर पिछले कई सालों से रोक लगी हुई थी.

   आज सोमवार को अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) श्रीमती आशा परमार ने धार कलेक्टर के आदेश पर,पहली रजिस्ट्री के दस्तावेज खरीदार को सौंपे. उप पंजीयक  महेश कश्यप की मौजूदगी में, ग्राम धुलेट की एक जमीन का पंजीयन किया गया.

रजिस्ट्री का विवरण

  सेवा प्रदाता हर्षद भंडारी द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज को क्रेता पिंकी पति राजेश खराड़ी, निवासी राजगढ़, को सौंपा गया. एसडीएम श्रीमती आशा परमार ने अपने हाथों से उन्हें दस्तावेज की मूल प्रति प्रदान की.

वर्षों बाद मिली स्वतंत्रता

  गौरतलब है कि खरमोर अभ्यारण के कारण इन गांवों की जमीन का क्रय-विक्रय और हस्तांतरण रुका हुआ था. इस प्रतिबंध के हटने से अब इन 14 गांवों के लोग अपनी संपत्ति का लेनदेन कानूनी रूप से कर पाएंगे. यह कदम क्षेत्र के विकास और ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में सहायक होगा.

 

इन्फोकॉम इंडिया 2025 समिट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, हाइब्रिड वर्कप्लेस और नवयुग एवी टेक्नोलॉजी पर होगी चर्चा

भारत के प्रोफेशनल ऑडियोविजुअल उद्योग का प्रमुख लर्निंग प्लेटफॉर्म एक मल्टी-ट्रैक समिट के साथ लौट रहा है, जो पेशेवरों को भारत के डिजिटल भविष्य को आकार देने वाली टेक्नोलॉजी और रणनीतियों पर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने पर केंद्रित है।


मुंबई, महाराष्ट्र, भारत

भारत के प्रोफेशनल ऑडियोविजुअल (प्रो AV) और इंटीग्रेटेड एक्सपीरियंस के लिए देश के सबसे बड़े ट्रेडशो, इन्फोकॉम इंडिया ने अपने बहुप्रतीक्षित समिट के लिए एक भविष्योन्मुखी एजेंडा जारी किया है। मुंबई के जियो वर्ल्ड कन्वेंशन सेंटर में 9-11 सितंबर 2025 तक होने वाला इन्फोकॉम इंडिया समिट, उद्योग के सबसे महत्वपूर्ण ट्रेंड्स पर गहरी जानकारी प्रदान करने के लिए विशेष रूप से डिज़ाइन किया गया है जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और यूनिफाइड कम्युनिकेशन से लेकर डिजिटल साइनेज और इमर्सिव एक्सपीरियंस का भविष्य शामिल है। यह समिट AV/IT पेशेवरों और एंड-यूज़र्स को भारत के तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल परिदृश्य को नेविगेट करने के लिए एक रोडमैप प्रदान करता है।

हैंड्स-ऑन टेक्नोलॉजी डेमो से लेकर उच्च-स्तरीय पैनल चर्चाओं तक, इन्फोकॉम इंडिया 2025 इस क्षेत्र के प्रोफेशनल ऑडियोविजुअल और टेक्नोलॉजी उद्योग के लिए एक गतिशील मंच प्रदान करता है।

इन्फोकॉमएशिया (InfoCommAsia) की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, June Ko ने कहा, "भारत में टेक्नोलॉजी को तेजी से अपनाना, विशेष रूप से AI के क्षेत्र में एक बड़ा अवसर है, और इन्फोकॉम इंडिया की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि हमारा उद्योग इसे अपनाने के लिए तैयार है।" उन्होंने आगे कहा, "इस साल, हमारा समिट AI की तैयारी और उद्योग के कौशल को बढ़ाने पर पूरी तरह से केंद्रित है। हैंड्स-ऑन वर्कशॉप, हमारे भागीदारों के साथ विकसित विशेषज्ञ-नेतृत्व वाले सत्र, और भारत में AVIXA के पहले व्यक्तिगत CTS कोर्स जैसी प्रमुख ट्रेनिंग के माध्यम से, हम पेशेवरों को इन नई टेक्नोलॉजी में महारत हासिल करने और सभी क्षेत्रों में इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक साधन प्रदान कर रहे हैं।"
 
इस समिट में भारत और दुनिया भर के 50 से अधिक प्रतिष्ठित उद्योग विशेषज्ञ और विचारक शामिल होंगे, जो 60 से अधिक गतिशील सत्रों में अपनी बात रखेंगे। इस वर्ष, AI पर विशेष ध्यान दिया जाएगा – यह कैसे AV वर्कफ़्लो में एकीकृत होता है, और पेशेवर इसे उद्यम, शिक्षा, सरकार और मीडिया जैसे क्षेत्रों में सार्थक रूप से कैसे लागू कर सकते हैं।

इन्फोकॉम इंडिया 2025 समिट के मुख्य आकर्षण:

  • उद्योग नेतृत्व और व्यापार रणनीति: 9 सितंबर को उद्घाटन दिवस पर व्यापार और टेक्नोलॉजी के महत्वपूर्ण ट्रेंड्स पर चर्चा होगी, जिसकी शुरुआत बहुप्रतीक्षित ओपनिंग पैनल - "सीमाओं की नई कल्पना: 2030 में व्यापार और टेक्नोलॉजी का भविष्य" से होगी। यह गतिशील सत्र AI, IoT, और 5G जैसी टेक्नोलॉजी के व्यावसायिक नवाचार और ग्राहक संपर्क पर परिवर्तनकारी प्रभाव का पता लगाएगा, और कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि और रणनीतिक मार्गदर्शन प्रदान करेगा। इस प्रतिष्ठित पैनल में AVIXA के सीईओ डेव लाबुस्केस, CTS, CAE, RCDD; AVID के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ कौशिक मुखोपाध्याय; और हरमन (Harman) में एशिया पैसिफिक और भारत के वाइस प्रेसिडेंट और जनरल मैनेजर अमर सुभाष शामिल हैं।

  • अगली पीढ़ी की टेक्नोलॉजी पर जानकारी: उभरती और विघटनकारी टेक्नोलॉजी डिजिटल परिदृश्य में कैसे क्रांति ला रही हैं, इस पर केंद्रित सत्रों में शामिल हैं “AI-संचालित डिजिटल साइनेज का भविष्य: कॉन्टेक्स्ट-अवेयर एक्सपीरियंस को अनलॉक करना”, “अगले दशक में प्रो AV और स्मार्ट सिटीज को बदलता क्वांटम AI”, और “दुनिया को जोड़ना: स्मार्ट AV और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से नई पीढ़ी की शिक्षा को शक्ति देना।”

  • गतिशील पैनल चर्चा: वरिष्ठ उद्योग जगत के नेताओं को एक साथ लाकर महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्पष्ट अंतर्दृष्टि साझा करना, जैसे “डिग्री से परे – टेक-संचालित दुनिया के लिए डिजिटल एजिलिटी का निर्माण,” और “डेटा, डिवाइसेस और डिफेंस – एक साइबर-रेसिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण।”

  • विशेषज्ञों के नेतृत्व में विभिन्न उद्योग क्षेत्रों के लिए विशेष सत्र: शीर्ष उद्योग संघों और सरकारी निकायों के साथ साझेदारी में, समिट में प्रमुख क्षेत्रों की अनूठी चुनौतियों का समाधान करने के लिए विशेष ट्रैक शामिल होंगे। सहयोगियों में शामिल हैं:
  • स्मार्ट सिटीज के लिए ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल सेल्फ-गवर्नमेंट (AIILSG);
  • एंटरप्राइज आईटी और साइबर सुरक्षा के लिए कंप्यूटर सोसाइटी ऑफ इंडिया, मुंबई चैप्टर (CSI);
  • एजुकेशन टेक्नोलॉजी के लिए ICT एकेडमी;
  • इमर्सिव टेक्नोलॉजीज के लिए थीम्ड एंटरटेनमेंट एसोसिएशन (TEA);
  • डिजिटल साइनेज के लिए इन्विडिस कंसल्टिंग (Invidis Consulting)

भारत के एक्सपीरियंस इकॉनमी में तेजी के साथ, एक अविस्मरणीय अतिथि अनुभव की कला में महारत हासिल करना महत्वपूर्ण है। इस महत्वपूर्ण बातचीत का नेतृत्व पहली बार इन्फोकॉम इंडिया समिट में वक्ता के रूप में स्टीफन थॉमस कैविट कर रहे हैं, जो इस क्षेत्र में मार्गदर्शन करने के लिए एक अद्वितीय विशेषज्ञ हैं। एक एमी पुरस्कार विजेता संगीतकार और TEA एशिया पैसिफिक बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में, स्टीफन थीम्ड एंटरटेनमेंट ट्रेंड में सबसे आगे हैं। वह रचनात्मक कला को व्यवसाय और टेक्नोलॉजी के साथ मिलाने पर अपना दृष्टिकोण साझा करने के लिए तैयार हैं, जिससे उनका पैनल, 'इमर्शन के उपकरण: गेस्ट जर्नी को डिजाइन करना,' एक अवश्य भाग लेने वाला कार्यक्रम बन गया है। "सच्चा इमर्शन केवल देखा नहीं, बल्कि महसूस किया जाता है। मैंने स्क्रीन के लिए ध्वनि के माध्यम से भावनाएं पैदा करने में अपना करियर बनाया है, और मैं इन्फोकॉम इंडिया में अपने अनुभवी पैनल सदस्यों के साथ अपनी अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए उत्सुक हूं।"

पारंपरिक सत्रों से आगे बढ़ते हुए, इन्फोकॉम इंडिया समिट में सहयोग और व्यावहारिक कौशल-निर्माण के लिए डिज़ाइन किए गए नए इंटरैक्टिव प्रारूप भी शामिल होंगे। दूसरे दिन (10 सितंबर) को क्षेत्रीय AV राउंडटेबल और नेटवर्किंग सत्र निर्माताओं, इंटीग्रेटर्स और वितरकों को तकनीकी नवाचार और वास्तविक दुनिया की उपयोगिता के बीच की खाई को पाटने पर एक स्पष्ट चर्चा के लिए एक साथ लाएगा। व्यावहारिक कौशल चाहने वालों के लिए, तीसरे दिन (11 सितंबर) को "मास्टरिंग AV नेटवर्किंग" पर हैंड्स-ऑन वर्कशॉप आवश्यक AVoIP प्रोटोकॉल को कॉन्फ़िगर करने और तैनात करने पर विशेषज्ञ के नेतृत्व में प्रशिक्षण प्रदान करेगी।
 
इन्फोकॉम इंडिया समिट में सभी पंजीकृत आगंतुकों के लिए प्रवेश निःशुल्क है, सिवाय कुछ चुनिंदा प्रशिक्षण सत्रों और कार्यशालाओं के, जिनके लिए कुछ शुल्क की आवश्यकता है। अधिक जानकारी के लिए www.infocomm-india.com पर जाएं।

AVIXA भारत में CTS तैयारी के लिए पहली बार व्यक्तिगत ट्रेनिंग आयोजित करेगा
इस क्षेत्र में व्यावसायिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में, AVIXA भारत में इन्फोकॉम इंडिया के साथ मिलकर अपनी पहली "CTS 2: एप्लाइड AV और AV प्रोजेक्ट प्रोसेस" ट्रेनिंग आयोजित करेगा। यह तीन-दिवसीय कोर्स 7-9 सितंबर को (ट्रेडशो से दो दिन पहले) JWC में व्यक्तिगत रूप से आयोजित किया जाएगा। यह विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त CTS® (सर्टिफाइड टेक्नोलॉजी स्पेशलिस्ट™) पदनाम प्राप्त करने की दिशा में पेशेवरों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

यह कोर्स प्रतिभागियों को एप्लाइड AV प्रोजेक्ट वर्कफ़्लो में व्यावहारिक अंतर्दृष्टि से लैस करने के लिए डिज़ाइन किया गया है - सिस्टम योजना और दस्तावेज़ीकरण से लेकर कार्यान्वयन और क्लाइंट हैंडओवर तक - जो इसे पूरे क्षेत्र में AV विशेषज्ञता को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण पहल बनाता है। हरमन (Harman) द्वारा प्रायोजित, यह एक अलग टिकट वाला कोर्स है। इच्छुक पेशेवर AVIXA वेबसाइट के माध्यम से अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और पंजीकरण कर सकते हैं।

खोजने, सीखने और नेतृत्व करने का आपका अवसर 

विज़िटर रजिस्ट्रेशन अब शुरू हो गया है। सभी AV, IT और तकनीकी पेशेवरों को भारत के डिजिटल बुनियादी ढांचे के भविष्य को आकार देने वाले नवाचारों की खोज के लिए आमंत्रित किया जाता है। www.infocomm-india.com पर मुफ्त शो एंट्री के लिए पंजीकरण करें।
 
InfoCommAsia Pte Ltd. के बारे में
InfoCommAsia Pte Ltd. तीन प्रमुख शो के माध्यम से अपना प्रभाव बढ़ाता है: InfoComm Asia; InfoComm China, Beijing; और InfoComm India। प्रत्येक शो में एक प्रदर्शनी होती है जो दुनिया के सबसे अत्याधुनिक और मांग वाले प्रोफेशनल ऑडियोविजुअल और इंटीग्रेटेड एक्सपीरियंस टेक्नोलॉजी समाधानों को प्रदर्शित करती है और एक समिट जो सीखने के अवसर प्रस्तुत करता है। ये शो प्रोफेशनल ऑडियोविजुअल उद्योग के खिलाड़ियों और विभिन्न बाजारों के शीर्ष-स्तरीय निर्णय-निर्माताओं को प्रो AV समाधानों द्वारा प्रस्तुत विशाल क्षमता का लाभ उठाने के लिए एक साथ लाते हैं।

अधिक जानकारी के लिए, देखें: infocomm-asia.com | infocomm-china.com | infocomm-india.com

Ahmiyat Movie 21 अगस्त 2025 को सिनेमाघरों में होगी रिलीज़


लंबे समय से चर्चा में रही फिल्म ‘अहमियत’ अब 21 अगस्त 2025 को बड़े पर्दे पर रिलीज़ होने जा रही है। हिमांशु श्रीवास्तव के निर्देशन में बनी यह फिल्म मानवीय रिश्तों और उनसे जुड़ी भावनाओं की गहराई को उजागर करती है।

फिल्म का निर्माण उड़ान सिने फिल्म्स के बैनर तले हुआ है और इसके निर्माता हैं कमलेश पाटीदार, जिन्होंने इसकी कहानी भी लिखी है। रिश्तों की अहमियत पर आधारित यह फिल्म दर्शकों को संवेदनाओं से जुड़ा एक अलग ही सिनेमाई अनुभव देने का वादा करती है।

इस फिल्म में लता सभरवाल और कमलेश पाटीदार मुख्य भूमिकाओं में दिखाई देंगे। इनके साथ इतीशा शर्मा, सुमित अरोड़ा, शौर्य सक्सेना, हिमांशु श्रीवास्तव, रवीना पटेल, हिमांशु बोहरा, जित गुर्जर, शैलेन्द्र सिंह कटारिया, मनीषा व्यास और वैभव सिंह जडौण जैसे कलाकार भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में नजर आएंगे।

फिल्म के संगीत को सेशान शर्मा ने कंपोज़ किया है, जबकि कोरियोग्राफी रवीना पटेल द्वारा की गई है। गीतों को आवाज़ दी है साक्षी होलकर और इशान खान सहित कई गायकों ने। फिल्म का हाल ही में रिलीज़ हुआ गाना “मन्नतों के धागे” सोशल मीडिया पर दर्शकों द्वारा खासा पसंद किया जा रहा है, जिसकी वजह से फिल्म को लेकर उत्सुकता और भी बढ़ गई है।

फिल्म की शूटिंग का बड़ा हिस्सा रतलाम के श्री योगेंद्र सागर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड साइंस परिसर में किया गया है, जिसकी हरियाली और प्राकृतिक खूबसूरती ने पर्दे पर इसे एक अलग ही जीवंतता दी है।

करीब 50 लाख रुपये के बजट में बनी ‘अहमियत’ इस बात का उदाहरण है कि सीमित संसाधनों के बावजूद यदि कहानी और प्रस्तुति मजबूत हो, तो दर्शकों के दिलों तक पहुंचना मुश्किल नहीं है। जहां आज कई बड़े प्रोडक्शन हाउस करोड़ों खर्च करने के बाद भी दर्शकों से कनेक्ट नहीं हो पाते, वहीं कमलेश पाटीदार जैसे युवा निर्माता कम बजट में भी संवेदनाओं से भरी फिल्म बना रहे हैं।

अब देखना यह होगा कि जैसे “मन्नतों के धागे” गाने ने श्रोताओं को प्रभावित किया है, वैसे ही ‘अहमियत’ भी 21 अगस्त को रिलीज़ होकर दर्शकों के दिलों को जीत पाती है या नहीं।