किसी भी उम्र में अपने भीतर छिपे बचपन को फिर से जीने और स्मृति चिन्ह के रूप में छोटी-छोटी वस्तुओं से खुद को सजाने के लिए, आपको एक बार खालापुर के मोंटेरिया विलेज की यात्रा अवश्य करनी चाहिए
( करिश्मा राठोड )
आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में अगर आपको कहीं शांति के पल का आनंद लेने को मिले तो आप तुरंत वहां के लिए दौड़ पड़ेंगे। मुझे पिछले शनिवार को ऐसी ही एक जगह से में रूबरू हुई। जब मुझे पता चला कि मुझे मॉन्टेरिया विलेज घूमने जाना है तो बहुत झिझक के बाद शनिवार की सुबह मैं तैयार हुई लेकिन मन में कई सवाल थे, जगह नई है, कैसी होगी, आदि...
मैं मुंबई की लाइफलाइन मे बैठकर दादर पहुंची। दादर से टैक्सी लेकर हम प्रकृति का लुत्फ उठाते हुए मॉन्टेरिया गांव पहुंचे। महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले के खालापुर में मोंटेरिया गांव पुराने मुंबई-पुणे राजमार्ग पर स्थित है। पुणे या लोनावाला आने वाले पर्यटकों को यहां एक बार जरूर जाना चाहिए। अगर आपके पास अपना वाहन है तो वहां रोड ट्रिप के साथ-साथ मानसून के दौरान हरियाली देखने का अनुभव कुछ अलग ही होता है। ट्रेन द्वारा निकटतम स्टेशन कर्जत है। जो करीब 7 किलोमीटर दूर है। कर्जत स्टेशन से रिक्शा उपलब्ध हैं।
चलिए अब वापस मुद्दे पर आते हैं। मॉन्टेरिया गांव के नाम से मुझे पता था कि यहां गांव का स्पर्श होगा, लेकिन प्रवेश करते ही मुझे लगा कि जैसे पूरे सप्ताह की थकान चुटकी भर गायब हो गई। दो-चार महिलाएं स्वागत के लिए हाथों में कंकू प्लेट और फूल लिए प्रवेश द्वार पर खड़ी थीं। और ढोल की थाप ने हमें शाही एहसास देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। प्रवेश करने के बाद, हमारी मजेदार यात्रा शुरू हुई। पहले तो बारिश ने हमारा जम के स्वागत किया, फिर सामने चारपाई फैली हुई थीं, जहां आप चेक-इन करते समय टिकटिंग के समय थोडा आराम कर सकते है। प्रवेशद्वार पर एक पहचान के रूप में आपकी बांह से एक बैंड बंधा होता है। (इस प्रकार, मैंने अंदर सभी के हाथों पर अलग-अलग रंग के बैंड देखे। मैं भी उत्सुक थी कि ऐसा क्यों होगा, इसलिए मैंने वहां के मेनेजर से पूछा, और उन्होंने कहा कि इसका कोई विशेष तर्क नहीं है, यह सिर्फ हम पहनाते हमारी जानकारी और रिकॉर्ड के लिए। लेकिन मुझे इस सवाल का संतोषजनक जवाब नहीं मिला।) थोड़ी देर बाद हमें नाश्ते के लिए बुलाया गया। अंदर जाते ही, एक बड़े हॉल में साफ-सुथरी मेज और कुर्सियों के साथ-साथ बेंच और टेबल भी थे, जहाबैठकर खाया जा सकता था। तो आप अपने मनपसंद अंदाज में बैठकर खा सकते हैं। स्वच्छता के लिए पूरे अंक दिए जाने चाहिए। एक अच्छा नाश्ता करने के बाद, गांव की एक मजेदार यात्रा के लिए हम चल पडे। अंदर से मुझे काफी कौतूहल था कि ऐसा क्या हो सकता है कि इस जगह का नाम विलेज है। कुछ ही मिनटों में एक बैटरी से चलने वाला वाहन आया और वहीं खड़ा हो गया, हम उसमें बेठ गए और फिर प्रकृति के करीब जाने का हमारा सुहाना सफर शुरू हुआ। ओह, क्या खूबसूरत नज़ारा है, ऐसा लगता है कि बस यहीं रहना है।
यदि आप मॉन्टेरिया गांव का नजदीक से आनंद लेना चाहते हैं, तो आप इसे पैदल चलकरले सकते हैं और जो नहीं चल सकते हैं, उनके लिए बैटरी रिक्शा और साइकिल हर जगह उपलब्ध हैं। मॉन्टेरिया गांव के मिट्टी के बर्तन, खाट बुनाई, बांस की टोकरी बनाना, साइकिल चलाना, पारंपरिक खेल, खेती, झरना, गुफा सुरंग, मोंटेरिया रेलवे स्टेशन, महिला गृह उद्योग, सरपंच हाउस, आंगनवाड़ी, गौशाला, घर का बना पापड़-अचार, शुद्ध घी, बायोगैस आदि जैसी जगहों पर जा के आप का दिन बन जाएगा वो बात पक्की है।साथ ही कबीला नाम की एक जगह है जिसमें 50 टेंट हैं जहां जो लोग रात भर रुकना चाहते हैं वे यहां ठहर सकते हैं। और आप बंजारा के जीवन से रूबरू होंगे। इसकी कीमतें मौसम के अनुसार भिन्न हो सकती हैं इसलिए आप जाने से पहले नेट पर जांच कर सकते हैं और वहां जा कर भी बुक कर सकते हैं या आप ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते हैं।
आज के आधुनिक समय में, नवीनतम तकनीक और गैजेट्स ने एक बहुत बड़ा जनरेशन गैप पैदा कर दिया है। एक दादा-पोते और मां-बेटे को आज बात करने के लिए कोई विशेष विषय नहीं पता है। हर किसी के हाथ में मोबाइल होता है और लोग सोशल मीडिया पर आपस में बातचीत करते नजर आते हैं. मोंटेरिया विलेज ऐसा ही एक मंच प्रदान करता है। जहां आप अपने बच्चों को गांव की संस्कृति से परिचित करा सकते हैं और साथ ही अपनी यादों को ताजा कर सकते हैं।
मोंटेरिया गांव के मेनेजिंग डायरेक्टरराही वघानी बहुत मिलनसार और हसमुख स्वभाव के हैं। उन्होंने हमें पूरे गांव के एक-एक जगह के बारे में अच्छे से वाकिफ करवायाऔर हमें अच्छी तरह से सूचित किया
इस लेख में लिखने के लिए बहुत कुछ है, लेकिन अगर मैं विस्तार से लिखने बैठ जाऊं तो लेख बहुत लंबा हो जाएगा। मेरी राय में, आपको एक बार यहां जाने की योजना बनानी चाहिए।
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विशेष आकर्षण
• यहाँ झील शानदार है, इसके सामने ऊँचे-ऊँचे पहाड़ और पत्थर में उकेरे गए हाथी, हिरण, चरवाहे यह आभास देते हैं कि यह ठीक सामने है।
• लक्ष्मण झूला, हरे-भरे खेत, रंग-बिरंगे कच्छी शैली से बने घर, गौशाला, ऑक्सीजन पार्क, नक्षत्र उद्यान, रेइन डान्स, स्वीमिंग पूल, बोटिंग, औषधीय पौधेऔर हर जगह हरियाली। शायद यहां लिखने में कुछ रह गया हो सकता है पर आप वहां जाएगे तो आपको एक अलग ही अनुभव होगा।
• बचपन में खेले जाने वाले और आज भुला दिए गए खेल, साथ ही मनोरंजक झूलों और चढ़ाई के लिए विभिन्न गतिविधियाँ निश्चित रूप से आपकी मस्ती में इजाफा करेंगी।
• हाथ से बुने हुए सामान को देखकर वाकई में एक शब्द मुंह से निकल जाता है वाह!
• मेले, स्ट्रीट फूड, पॉपकॉर्न स्टॉल और पौष्टिक भोजन गांव की यादें ताजा करने में सफल होते हैं।
• आज के आधुनिक समय में लोग सेकंडों में काम पूरा कर लेते हैं. गांव में रहते हुए यह भी देखने लायक है कि पहले के जमाने में पत्थर के खरल में मसाले कैसे पिसे जाते थे।
•बुनकर, नाई, लोहार, साइकिल मरम्मत की दुकान, आंगनबाडी, घुड़सवारी जैसे पारंपरिक खेल आपके अंदर के बच्चे को बाहर निकालेंगे।
• वयस्कों के लिए प्रवेश शुल्क 1650 और बच्चों के लिए 1350 है। जिसमें प्रवेश शुल्क, नाश्ता, दोपहर का भोजन और शाम का नाश्ता चाय-कॉफी शामिल है। जिसमें आप सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक इस अनोखे गांव का मजा ले सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए आप https://monteriavillage.comवेबसाइट पर लॉग ऑन कर सकते हैं
• राइफल शूटिंग, बड़े झूलों, बोटिंग, छकडा राइडिंग और कॉस्ट्यूम स्टूडियो के साथ-साथ घुड़सवारी का आनंद ले सकता है जिसका शुल्क अलग से लिया जाता है।
• युवा और सीनियर सिटीजन और बच्चों को ध्यान में रखकर बनाया गया यह मोंटेरिया विलेज हमें हमारे बचपन में वापस ले जाने में सफल रहता है।