(एडिटर अक्षय भंडारी की विशेष रिपोर्ट)
राजगढ़(धार) । जन-जन की आस्था का केन्द्र पाॅच धाम एक मुकाम (Panch Dham Ek Mukam Shri Mataji Mandir) अतिप्राचीन श्री माताजी मन्दिर पर परम पूज्य गुरुदेव 1008 श्री मुरलीधरजी भारद्वाज के पूण्याशीष एवं परम पूज्य गुरुदेव श्री मुरारीलालजी भारद्वाज,परम पूज्य गुरुदेव श्री नारायणजी भारद्वाज के आर्शीवाद से तथा ज्योतिषाचार्य श्री पुरुषोत्तमजी भारद्वाज की निश्रा में अनेक वर्षो से मंशा महादेव व्रत (Shri Mansa Mahadev Vrat) श्रृद्धालुओ को कराया जाता है।
कोरोना काल में मंशा महादेव व्रत की क्रियाओं को करने वाले मन्दिर से ही श्रद्धालुओं को फ़ेसबूक पेज के लिंक व्हाट्सएप्प पर भेजकर मन्दिर से ही गुरुदेव ज्योतिषाचार्य पुरुषोत्तम भारद्वाज के मार्गदर्शन में संकल्प पूजा की विधि कराई थी । कोरोना काल की पाबंदी से मुक्ति के बाद 1 अगस्त से शुरू होने मंशा महादेव व्रत के आरंभ का व्रतधारियों अब इंतजार कर रहे है। इस मंदिर के साथ साथ नगर व आसपास के मंदिरों में मंशा महादेव व्रत बड़े पैमाने पर देखने को मिलता है।
पांच धाम एक मुकाम श्री माताजी ज्योतिषाचार्य पुरुषोत्तमजी भारद्वाज ने व्रत के महत्व को बताते हुए बताया कि श्री श्री 1008 श्री गुरु महाराज मुरलीधरजी भारद्वाज अपने जन्म स्थान बोंदकला हरियाणा से आकर बावड़ी मंदिर पर आए और 4 वर्ष तक अखंड तपस्या में लीन रहकर भय ग्रस्त भुत प्रेत के डरावने स्थान को पवित्र मंदिरो में स्थापित कर राजगढ़ की धर्मप्राण जनता को देवी माँ, शिवालय, राधाकृष्ण, गणपतिजी, संतोषी माँ, भैरवनाथ, बजरंगबली आदि मंदिर की प्रतिष्ठा करवाकर हजारो जनसमुदाय को धर्ममय वातावरण से जोड़कर भक्ति साधना का नया मार्ग परिलक्षित किया था। मंशा महादेव का यह पवित्र व्रत गुरु महाराज ने अपने भक्तो को बताया था, जिसके परिणाम स्वरूप भक्तो की मन इच्छा पूर्ण होती है, लगभग 100 वर्ष से यह व्रत माताजी मंदिर पर किया जा रहा हे।
आज भारत देश के कई प्रान्तों सहित मध्यप्रदेश के कई नगरो में यह व्रत माताजी मंदिर से संकल्प लेकर किया जाता हे और तो और विदेश में भी भारत वासी मंशा महादेव भक्त मोबाइल पर संकल्प लेकर व्रत करते है, भगवान शिव का यह व्रत श्रावण माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी से प्रारम्भ होकर कार्तिक माह के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को पूर्ण होता हे बिच में जितने भी सोमवार आते है, उनमे कथा श्रवण करना और एक समय भोजन पाना 4 माह तक वृति को प्याज, लहसुन, गाजर, मूली, बैंगन, मद, दुसरे का झुठन, दूसरे के वस्त्रो का त्याग पृथ्वी या काष्ठ पर शयन किसी की निंदा नही करना, किसी प्राणी की हिंसा नही करना, असत्य का त्याग, इन्द्रियों का निग्रह रखना ऐसा करने वाले तथा इन नियमो से रहने वाले वृति को अवश्य फल मिलता है। गुरु माता पिता व अतिथि व अपने बड़ो का सत्कार करना चाहिए। इस विधि से जो कोई इस व्रत को धारण करेगा उसके सब दुखो का निवारण होकर वह सब सुखो को प्राप्त करेगा।
सोशल मीडिया पर हज़ारो फॉलोवर्स: सोशल मीडिया के माध्यम से प्रतिदिन श्रावण मास के दिनों रोजाना भगवान मंशा महादेव के दर्शन का लाभ मिल रहा है। सोशल मीडिया इंस्टाग्राम पर माताजी मन्दिर पेज पर लगभग 33 हज़ार से अधिक भक्त शामिल है। फेसबुक पर भी हज़ारो भक्त जुड़ रहे है।