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क्रांतिकारी भगत सिंह के जीवन से महत्वपूर्ण सबक -प्रो.डॉ दिनेश गुप्ता आनंदश्री



 लेख: क्रांतिकारी भगत सिंह को 23 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी शासकों ने असेंबली में बम फेंकने के आरोप में 23 मार्च साल 1931 को उनके क्रांतिकारी साथियों राजगुरु और सुखदेव  के साथ फांसी पर लटका दिया था।

क्या अंगेजो ने उन्हें समाप्त कर दिया था? नही मित्रो भगतसिंह के  विचार सूर्य की तरह प्रेरणा देती रहेगी ।

  उनके जीवन से जो महत्वपूर्ण सबक है वह सभी भारतीय युवाओं को अपने जीवन को सफल बनाने के लिए लेना चाहिए।

 " बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की शान पर तेज होती है। " 


- एक ही विजन - आजादी

 मात्र ग्यारह वर्ष की उम्र में भगतसिंह को जालिया वाला कांड से अपने जीवन को लक्ष्य मिल चुका था। मात्र ग्यारह वर्ष की उम्र। जलियावाला की मिट्टी की पूजा वह रोज करते। रोज वह घटना को याद करते। 


 क्रांति विचारों में है

 क्रांति पिस्तौल, बॉम्ब या तलवार में नही बल्कि विचारो में है। विचारो को सशक्त बनाइये। आपके क्रांतिकारी विचार दुनिया को बदलने की ताकत रखते है। 

" व्यक्तियों को कुचलकर वे विचारों को नहीं मार सकते । " 

पुस्तक को अपना मित्र बनाओ

राष्ट्रपुत्र शहीद भगतसिंह ने पुस्तकों को अपना साथी बनाया हुआ था। क्रांति पर उन्होंने 300 से अधिक पुस्तकें अपने कॉलेज जीवन मे पढ़ी थी। जंहा से उन्हें सतत प्रेरणा मिलती थी। 

- बहरो को सुनाने के लिए धमाके की जरूरत होती है।

 अंग्रेज मात्र 30 हजार थे और उन्होंने 30 करोड़ भारतीयों पर शासन किया। यह बात को वह जान चुके थे। अब शांति से आंदोलन नही चलेगा। अब धमाका करना होगा। उन्होंने असेम्बली में बिना हानि के बॉम्ब को विस्पोट किया। मकसद साफ था। क्रांति का आगाज़ करना। 


मानसिक गुलामी से बाहर निकलो

 विकार, समस्या, गुलामी यह सब के सब विचारो में है। उस जेल को , जाल को काटना जरूरी है जो मानसिक रूप से बांध कर रखि है। जीवन उस दिन बदलेगा जब विचारो में क्रांति आएगी।


 मानसिक रूप से आजाद व्यक्ति को गुलाम नही बनाया जा सकता

  भगतसिंह को जेल में रखा गया। अनेक आमनुष्य  यातनाये  दी गयी। गलत व्यवहार किया गया। जुल्म हुए। लेकिन वे आजाद थे। आजादी की तरह उन्होंने जेल में जीवन को जिया। 116 दिन वह बिना भोजन के थे। 

 आपके साथ घटनाएं और उस पर प्रतिक्रिया ही जीवन को नया आयाम देती है।

 मित्रो,जो आजादी हमें मिली है उसकी कीमत बहुत बढ़ी चुकाई गयी। आज और इसी वक्त अपने विचारों में क्रांति लाकर अपनी आजादी की कीमत चुकाएं।

" क्रांति मानव जाति का अपरिहार्य हक है, आजादी सबका कभी ना खत्म होने वाला जन्मसिद्ध अधिकार है । " 



- प्रो डॉ दिनेश गुप्ता - आनंदश्री

आध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइंडसेट गुरु, मुम्बई

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