आज के समय में केमिस्ट शॉप से खरीदी जाने वाली दवाइयाँ हों, ब्यूटी प्रोडक्ट्स हों या फिर कोई भी पैक्ड उपभोक्ता सामान जिन पर एक्सपायरी डेट लिखी होती है लोग अक्सर यह मान लेते हैं कि जब तक वह डेट पूरी नहीं होती, तब तक प्रोडक्ट पूरी तरह सुरक्षित है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह सोच सही नहीं है। कई बार उत्पाद अपनी एक्सपायरी डेट से पहले ही खराब हो सकते हैं, और इसके पीछे एक बड़ी वजह है तेज़ी से बदलता तापमान।
पिछले कुछ सालों में मौसम का स्वभाव काफी बदल गया है। दिन में तेज धूप, रात में ठंड, या अचानक बढ़ी नमी, ऐसे उतार-चढ़ाव सीधे तौर पर कई संवेदनशील उत्पादों को प्रभावित करते हैं। खासकर दवाइयाँ, कॉस्मेटिक्स, दूध से बने उत्पाद, और अन्य तापमान-संवेदनशील सामान तय तापमान पर ही सुरक्षित रहते हैं। अगर इन्हें अधिक गर्मी, अत्यधिक नमी या धूप में रखा जाए, तो ये समय से पहले ही अपना असर खो देते हैं या पूरी तरह खराब हो जाते हैं। उत्पाद बनाने वाली कंपनियाँ एक्सपायरी डेट वैज्ञानिक परीक्षणों और आदर्श भंडारण परिस्थितियों के आधार पर तय करती हैं। यानी यह मानकर चलता है कि प्रोडक्ट सही तापमान, सही जगह और सही परिस्थितियों में रखा जाएगा। लेकिन दुकानों, गोदामों या घरों में अक्सर इन उत्पादों को गलत परिस्थितियों में रखा जाता है, जिससे इनकी गुणवत्ता पहले ही गिरने लगती है। ऐसे मामलों में कंपनियाँ जिम्मेदार नहीं मानी जा सकतीं, क्योंकि वे पैकेट पर भंडारण की सभी आवश्यक चेतावनियाँ पहले से दर्ज करती हैं।
ग्राहक केवल एक्सपायरी डेट देखकर ही संतुष्ट न हों। खरीदते समय पैकेट की हालत, प्रोडक्ट के रंग, गंध और टेक्सचर पर भी ध्यान देना जरूरी है। यदि पैकिंग फूली हुई हो, रंग बदला हुआ हो या गंध असामान्य लगे, तो ऐसे उत्पादों को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, चाहे उसकी एक्सपायरी डेट अभी बाकी ही क्यों न हो। सावधानी न बरतने पर लोग अक्सर अनजाने में समय से पहले खराब हो चुके उत्पादों का उपयोग कर लेते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर नुकसानदायक हो सकता है। बदलते मौसम और तापमान के इस दौर में उपभोक्ताओं को जागरूक रहने की जरूरत है, ताकि वे अपने स्वास्थ्य और सुरक्षा से समझौता न करें।



