राजगढ़ (धार)। इन दिनों राजगढ़ की बिजली व्यवस्था इस कदर चरमराई हुई है कि उपभोक्ताओं का आक्रोश फूटने लगा है। भीषण गर्मी में अघोषित बिजली कटौती ने आमजन का जीना मुहाल कर दिया है। दिन और रात, दोनों वक्त बिजली बार-बार गुल होने से लोग बेहाल हैं। कहीं लो-वोल्टेज की समस्या है तो कहीं ट्रांसफॉर्मर ओवरलोड होकर बार-बार फेल हो रहे हैं।
कभी ज्ञापन देकर विरोध जताया जा रहा है, तो कभी सोशल मीडिया पर विद्युत मंडल को ताने सुनने पड़ रहे हैं। लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि इस गंभीर स्थिति पर जनप्रतिनिधियों की चुप्पी अब सवालों के घेरे में है – जबकि "लाइट" से "हाईलाइट" होने का अवसर उनके सामने है।
फील्ड पर डटे तकनीकी योद्धा – कम संसाधन, ज्यादा जिम्मेदारी
इस संकटपूर्ण समय में एक पहलू बेहद प्रेरणादायक है – और वह है राजगढ़ के तकनीकी कर्मचारियों की कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण। सीमित संसाधनों, कम जनशक्ति और कठिन परिस्थितियों के बावजूद ये बिजलीकर्मी दिन-रात सेवा में जुटे हुए हैं। आंधी हो या बारिश, धूप हो या अंधेरा – हर फॉल्ट पर तत्परता से पहुंचने वाले ये कर्मठ कर्मचारी ही हैं, जिनके प्रयासों से व्यवस्था पूरी तरह ढहने से बची हुई है।
सूत्रों के मुताबिक, राजगढ़ नगर में केवल 4 मीटर रीडर, 1 टीए और 9–10 तकनीकी कर्मचारी कार्यरत हैं, जो तीन शिफ्टों में बंटकर 24 घंटे सेवा में लगे हुए हैं। जैसे ही फॉल्ट की सूचना मिलती है, टीम मौके पर पहुंच जाती है। विभागीय अधिकारी भी इन दिनों लगातार फील्ड में सक्रिय नजर आ रहे हैं।
⚡ बिजली आपूर्ति की संरचना और चुनौतियाँ
राजगढ़ को 11 केवी ग्रिड सरदारपुर से विद्युत आपूर्ति होती है, जिसमें मंडी फीडर और टाउन फीडर मुख्य फीडर हैं। इसी नेटवर्क से नगर को बिजली मिलती है। लेकिन ट्रांसफॉर्मर की ओवरलोडिंग, और विद्युत सामग्री की अनुपलब्धता ने व्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया है।
🚨 जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर उठते सवाल
जहां तकनीकी स्टाफ “कम है पर दम है” का उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है, वहीं यह स्वाभाविक प्रश्न उठता है कि स्थानीय जनप्रतिनिधि आखिर मौन क्यों हैं? बिजली जैसी बुनियादी सेवा के संकट में राजनीतिक नेतृत्व की निष्क्रियता लोगों को खल रही है। नागरिक पूछ रहे हैं – “अगर अब नहीं बोलेंगे, तो कब बोलेंगे?”
🛠 संकल्प और समन्वय से मिलेगा समाधान
राजगढ़ की बिजली व्यवस्था को स्थायित्व देने और उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए कुछ ठोस कदम आवश्यक हैं:
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तकनीकी स्टाफ की संख्या में वृद्धि हो
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ओवरलोड ट्रांसफॉर्मरों को शीघ्र बदला या अपग्रेड किया जाए
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आवश्यक विद्युत सामग्री (तार, फ्यूज, इंसुलेटर, ट्रांसफॉर्मर) की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित की जाए
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तकनीकी स्टाफ की सुरक्षा के लिए हाइड्रोलिक जेसीबी या ऊंचाई पर पहुंचने वाले सुरक्षित यंत्रों की तत्काल व्यवस्था की जाए – क्योंकि आज भी ये कर्मचारी लकड़ी की सीढ़ियों के सहारे जोखिम भरा कार्य कर रहे हैं
🗣 अब पहल जरूरी – जिम्मेदारी सबकी
यह वक्त शिकायतों से आगे बढ़कर समाधान पर केंद्रित होने का है। अब ऊर्जा मंत्री से लेकर म.प्र. पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड के वरिष्ठ अधिकारियों को राजगढ़ की जमीनी हकीकत को समझते हुए स्थायी समाधान की दिशा में हस्तक्षेप करना चाहिए।
राजगढ़ की बिजली व्यवस्था संकट में है, लेकिन पूरी तरह बेकाबू नहीं। इसे आज भी चलाए रखने का श्रेय उन गिने-चुने तकनीकी योद्धाओं को जाता है, जो दिन-रात सेवा में डटे हुए हैं। अब बारी है नीति निर्धारकों और जनप्रतिनिधियों की – कि वे इन हालातों को प्राथमिकता दें और ठोस समाधान सुनिश्चित करें।