परम पूजनीय पूर्ण गुरु श्री करौली शंकर महादेव जी (Shri Karauli Shankar Mahadev) के सान्निध्य में महाराष्ट्र के माणगाँव में सात दिवसीय गुरु दीक्षा एवं तंत्र क्रिया योग दीक्षा कार्यक्रम भव्य रूप से आयोजित किया गया। इस आयोजन में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लेकर आध्यात्मिक शक्ति, वैदिक ज्ञान तंत्र विज्ञान और स्मृति महाविज्ञान का गहन अनुभव प्राप्त किया।
कार्यक्रम के प्रथम चार दिन श्री स्वामी समाधान चैतन्य जी महाराज द्वारा शिवकथा का रसपान कराया गया, जबकि शेष तीन दिनों में पूर्णगुरू श्री करौली शंकर महादेव जी ने मंत्र दीक्षा, तंत्र क्रिया योग दीक्षा और ध्यान साधना का भक्तों को अनुभव करवाया ।
ध्यान साधना से नए युग की शुरुआत
पूर्ण गुरु ने इस अवसर पर एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए बताया कि महाराष्ट्र की विशालता को देखते हुए चार स्थानों पर दरबार की स्थापना की आवश्यकता है। पूर्ण गुरु श्री करौली शंकर गुरुदेव जी ने एक नयी विधि की शुरुआत करते हुए बताया कि अब जो भी ध्यान साधना करना चाहता है, वह दरबार की विशेष हवन किट के माध्यम से पंचमहाभूत शुद्धि कर सीधे दीक्षा प्रक्रिया में सम्मिलित हो सकता है और ध्यान साधना में आगे बढ़ सकता है ।
कार्यक्रम में गुरुदेव द्वारा परम पूजनीय बाबा जी और माता कामाख्या, माँ महाकाली की प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा भी संपन्न हुई, जिससे वातावरण भक्तिभाव और दिव्यता से ओतप्रोत हो उठा।
कार्यक्रमों की झलक और आध्यात्मिक संदेश
पूर्ण गुरु ने भविष्य की योजनाओं की जानकारी देते हुए बताया कि 26 अप्रैल को कानपुर दरबार में असाध्य रोगों से पीड़ित लोगों के लिए एक विशेष निःशुल्क हवन का आयोजन किया । यह अनुष्ठान विशेष रूप से कैंसर रोगियों, 14 वर्ष तक के असाध्य रोगों से प्रभावित बच्चों और बीपीएल कार्ड धारकों के लिए आयोजित किया जायेगा ।
4 मई को भागलपुर, बिहार में सामूहिक संकल्प प्रार्थना सभा का एकदिवसीय कार्यक्रम भी दरबार के शिष्यों एवं शंकर सेना द्वारा आयोजित किया गया है जिसमे सभी लोगो आमंत्रित है ।
12 से 14 मई तक काशी में पूर्णिमा महोत्सव आयोजित किया जाएगा, जिसका संचालन शंकर सेना काशी मंडल द्वारा किया जाएगा । इस कार्यक्रम में मंत्र दीक्षा, तंत्र क्रिया योग दीक्षा एवं पात्रता चयन संपन्न होगा ।
इस अवसर पर पूर्ण गुरु ने स्वर्ण लक्ष्मी कुबेर महायज्ञ हवन किट का उद्घाटन भी किया जिससे कार्य और व्यवसाय में आ रही बाधाओं से मुक्ति पा सकते हैं । साथ ही, महाराष्ट्र के हरिहरेश्वर मंदिर और चिपलून स्थित परशुराम मंदिर का धार्मिक भ्रमण भी सम्पन्न हुआ।
आध्यात्मिक चिंतन और समाज के प्रति संदेश
कार्यक्रम के शुभारंभ में गुरुदेव के प्रवचनों ने सभा को ज्ञान और विवेक से भर दिया। उन्होंने भगवान परशुराम के आह्वान पर समुद्र द्वारा छोड़े गए महाराष्ट्र भूभाग की कथा सुनाकर सनातन धर्म के गौरव को पुनः स्मरण कराया। छत्रपति शिवाजी महाराज को नमन करते हुए गुरुदेव ने उनके द्वारा दिए गए “हिंद स्वराज” के विचारों को स्मरण किया और शंकर सेना के अध्यक्ष उज्ज्वल चौधरी जी के समर्पित प्रयासों की सराहना की, जिनकी प्रेरणा से महाराष्ट्र में दरबार स्थापना संभव हो सकी।
गुरुदेव ने समाज में फैली अंधश्रद्धा और दिखावटी आस्था पर प्रकाश डालते हुए स्पष्ट किया कि केवल परंपरा निभाने से नहीं, ज्ञानपूर्वक आस्था रखने से ही सच्चा अध्यात्म प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि सच्चा सुख वर्तमान में जीने से मिलता है, और वही सुख आनंद, संतोष व परमानंद का मार्ग प्रशस्त करता है।
उन्होंने यह भी बताया कि तंत्र कोई डराने वाली विद्या नहीं बल्कि एक अनुभवात्मक विज्ञान है, जिसे समझने और साधने की आवश्यकता है, न कि भयभीत होने की।
समापन और भावनात्मक विदाई
कार्यक्रम के अंतिम चरण में मंत्र एवं तंत्र क्रिया योग दीक्षा, तंत्र क्रिया योग दीक्षा में विभिन्न स्तर के लिए पात्रता परीक्षण आयोजित किया गया, जिसमें योग्य शिष्यों को पूर्ण गुरु द्वारा दीक्षा प्रदान की गई। इस समापन अवसर पर गुरुदेव के प्रेरणास्पद वचनों से श्रद्धालु भावविभोर हो उठे।
सभी भक्तों के लिए निःशुल्क भोजन और ठहरने की सुविधा का उत्तम प्रबंध किया गया, जिससे आयोजन न केवल भव्य बल्कि सेवा भाव की मिसाल भी बना।
निष्कर्ष:
महाराष्ट्र में यह पहला अवसर था जब श्री करौली शंकर महादेव धाम द्वारा ऐसा दिव्य आयोजन सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम न केवल सनातन संस्कृति के प्रति जागरूकता का विस्तार है, बल्कि तंत्र विज्ञान के प्रति समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण उत्पन्न करने का एक प्रेरणादायक प्रयास भी है। निश्चित रूप से यह आयोजन आने वाले समय में भारतवर्ष में आध्यात्मिक जागरण और जीवनशक्ति की पुनः स्थापना का आधार बनेगा।