इंदौर दाहोद रेलवे लाइन पर वन विभाग का सख्त नही होना अपने आप मे लापरवाही की भेंट खरमोर अभ्यारणय को चढ़ाने जैसा है। वही सरदारपुर खरमोर अभ्यारणय से 14 ग्राम पंचायतों को मुक्त कर ही नवीन खरमोर अभ्यारणय धार-झाबुआ को मिलाकर बनना है । फिलहाल मामला इसलिये अटक रहा है कि राज्य सरकार को केवल सरदारपुर खरमोर अभयारण्य की सीमा परिवर्तन का ही नहीं, बल्कि अन्य अभयारण्यों जैसे सोनवानी, बालाघाट, डॉ. भीमराव अंबेडकर, सागर और महात्मा गांधी अभयारण्य, बुरहानपुर के नोटिफिकेशन का भी प्रस्ताव भेजना होगा। इसके साथ ही,कूनो और न्यू करमझिरी अभयारण्य में अतिरिक्त क्षेत्र जोड़ने का प्रस्ताव भी भेजना होगा। इस प्रकार,यह प्रक्रिया पूरी करने के बाद ही सरदारपुर खरमोर अभयारण्य की सीमा 132.83 वर्ग किमी तक घटाई जा सकेगी।
वर्तमान में खरमोर अभ्यारणय पर नज़र डालें तो 14 ग्राम पंचायतों सहित 250 मीटर का इको सेसेंटिव जोन में अधिसूचित है। अभ्यारणय के क्षेत्र में 14 ग्राम पंचायतों के रजिस्ट्री नामांतरण ओर अन्य विकास कार्य बाधित है। जबकि इन सभी क्षेत्रों में पिछले 15 वर्षों से अधिक समय हो गया है लेकिन खरमोर पक्षी नही देखे गए है। अब एक नज़र डालते है आखिरकार वन विभाग पर दोहरी नीति पर आरोप क्यो लग रहे है दरहसल 4 जून 1983 से खरमोर अभ्यारणय के कारण 14 ग्राम पंचायतों को अधिसूचित ही किया गया था। उसके बाद। उन क्षेत्रों मे निजी जमीनों की क्रय विक्रय नही प्रतिबंध लग गया था। लेकिन आज यह अभ्यारण्य ग्रामीण विकास और संरक्षण के बीच टकराव का प्रतीक बन गया है। 14 ग्राम पंचायतों के हजारों ग्रामीण इस अभ्यारण्य की सीमाओं और प्रतिबंधों से प्रभावित हैं, जबकि संरक्षण का उद्देश्य अधूरा साबित हो रहा है।
उसके बाद वर्ष 2002-2003 में पॉवर ग्रिड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के 400 केवी राजगढ़ सब स्टेशन की स्थापना के लिये ग्राम अमोदिया तहसील सरदारपुर की निजी भूमि अधिग्रहण के लिए अपर कलेक्टर ने निर्देश दिए थे। विद्युत (आपूर्ति) अधिनियम, 1948 की धारा 29(2) के अनुसार, संशोधित रूप में, 400/220 केवी राजगढ़ सबस्टेशन की स्थापना की गई थी। इस सबस्टेशन के लिए भूमि 31 मार्च, 2004 के राज्य प्रशासन के आदेश के माध्यम से अधिग्रहित की गई थी। ग्राम अमोदिया में स्थित और आमतौर पर राजगढ़ सबस्टेशन के रूप में संदर्भित सबस्टेशन के निर्माण को सभी सुरक्षा मानकों और नियामक आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद मंजूरी दी गई थी। वही मुआवज़े के लिए पात्र किसानों की सूची धार कलेक्टर द्वारा जारी आदेश में अनुसार। पावरग्रिड ने मुआवज़े के वितरण के लिए भूमि अधिग्रहण अधिकारी, धार के पास ₹45,81,000 जमा कर दिए थे। जानकरी अनुसार वर्ष 2008 में यह पॉवर ग्रिड आंरभ होकर सन्चालित किया जा रहा है। यह 400/220 केवी राजगढ़ सबस्टेशन 400 केवी लाइनों के माध्यम से गुजरात में सरदार सरोवर परियोजना, एमपीपीटीसीएल बदनावर, कसोर गुजरात, एमपीपीटीसीएल छेगांव और एनटीपीसी खरगोन से जुड़ा हुआ है। इसके अतिरिक्त, 220 केवी राजगढ़ सबस्टेशन एमपीपीटीसीएल धार, भोपावर और पीथमपुर से डाउनस्ट्रीम से जुड़ा है । ऐसे में अगर पॉवर ग्रिड की पॉवर लाइन भी अधिसूचित क्षेत्रो में होकर गुजर रही है।
अभ्यारण्य का मुख्य उद्देश्य विलुप्तप्राय खरमोर पक्षी का संरक्षण था। लेकिन पिछले 15 वर्षों में इस क्षेत्र में खरमोर पक्षी की कोई उपस्थिति दर्ज नहीं की गई। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2016 से 2022 के बीच केवल 51 बार इन पक्षियों की मौजूदगी की सूचना मिली। यह स्थिति संरक्षण के प्रयासों की विफलता को उजागर करती है।
वही भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को खरमोर अभ्यारण्य के अंतर्गत राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-50 के इंदौर से मध्यप्रदेश/गुजरात सीमा तक 4/6 लेन चौड़ीकरण कार्य की अनुमति शर्तों के आधार पर मिली थी। सरदारपुर में धुलेट से सियावद तक इस मार्ग पर लगभग 7 किमी के भीतर करोड़ों की लागत से साउंडप्रूफ दीवार का निर्माण किया गया, जिसका उद्देश्य पक्षियों को शोरगुल से राहत देना था।
मप्र वन विभाग मौन,रेलवे का कार्य तेज....
मध्यप्रदेश की मोहन सरकार भले वन्यप्राणियो के संरक्षण को लेकर प्रतिबद्ध होने की बात कह रही हो लेकिन वन विभाग के आला अधिकारियों के संज्ञान के बाद भी सरदारपुर क्षेत्र में प्रस्तावित इंदौर-दाहोद रेल लाइन परियोजना सर्वे के आधार पर खरमोर अभयारण्य के लगभग 2-3 किलोमीटर के भीतर से गुजरने वाली है। जबकिं अभ्यारणय का मकसद ही पक्षियो के संरक्षण के लिए होता है लेकिन यहां कुछ बात अलग ही है यहां वन विभाग का कहना खरमोर अभ्यारणय व इको सेसेंटिव जोन से डेढ़ किमी लगभग पर होने हमारे कार्यक्षेत्र के बाहर है लेकिन उल्लेखनीय है कि एनएच को फोरलेन निमार्ण में अभ्यारणय से महज 7 किलोमीटर पर ही साउंड प्रूफ दीवार बनवाई थी लेकिन यह दीवार भी प्रश्न छोड़ रही है कि वन विभाग के अधिकारियों को संरक्षण की परवाह नही है ।
उधर नए सर्वे के अनुसार जैसा बताया जा रहा है कि इंदौर दाहोद रेल लाइन अमझेरा से सीधे मोरगांव, बड़वेली, मौलाना, जोलाना होकर उमरकोट जोड़ने की बात आ रही है,जहाँ 14 ग्राम पंचायतों सहित 250 मीटर का इको सेसेंटिव जोन है तो वही वर्तमान खरमोर अभ्यारणय सींमा से लगभग डेढ़ किमी पर रेल लाइन संभावित है।
नवीन खरमोर अभ्यारणय हो न जाए बाधित-
नवीन खरमोर अभ्यारणय जो प्रस्तावित है,उसकी स्थिति भी इसी क्षेत्र के इर्द-गिर्द है। सूत्रों के अनुसार, धार और झाबुआ जिलों में प्रस्तावित रेलवे लाइन इन क्षेत्रों से गुजरने वाली है, साथ ही एक या तीन कक्ष जो उसमे से रेल लाइन गुजरने की बात सामने आ रही है।
यह भी उल्लेखनीय है कि इंदौर दाहोद रेल परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण से संबंधित सूचना प्रकाशित हो चुकी है। भले ही विभाग ध्वनि-रोधी दीवारें या अन्य शर्तें लगाने का सुझाव दे, लेकिन यह उपाय पक्षियों के आवागमन मार्ग को बाधित करेगा और उनके आवास को पूर्णतः समाप्ति की ओर ले जाएगा।
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