( अक्षय भण्डारी,एडिटर टाइम्स ऑफ मालवा)
भारत में तोता पालना एक कानूनन अपराध है। इसे पिंजरे में रखना न केवल इन पक्षियों की प्राकृतिक स्वतंत्रता के खिलाफ है, बल्कि वन्यजीव संरक्षण कानूनों का भी उल्लंघन करता है। इसके लिए दोषी पाए जाने पर तीन साल की सजा और 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है।
तोते को एक प्यारा और मिलनसार पक्षी माना जाता है। यह इंसानों के साथ घुलने-मिलने में माहिर होता है और कई लोग इसे अपना पालतू बनाना पसंद करते हैं। हालांकि, भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत कई पक्षियों को पालतू बनाना अवैध घोषित किया गया है, जिसमें तोते भी शामिल हैं। इसका मुख्य उद्देश्य वन्यजीवों की रक्षा करना और उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखना है।
इन तोतों को पालना पड़ सकता है भारी
वन विभाग के मुताबिक, ज्यादातर घरों में इंडियन रिंगनेक पाला जाता है। ये नक़ल करने में एक्सपर्ट होते हैं और घरों में ये काफी बोलते हैं। भारत के कई घरों में ये तोता पाया जाता है। लेकिन आपको बता दें कि इसे पालना बैन है। धार जिले के वन विभाग द्वारा अगर सही से कार्रवाई की जाए तो शायद सैकड़ों तोता पालक सलाखों के पीछे होंगे। इसके अलावा एलेक्जेंडर तोते, रेड ब्रेस्टेड तोते आदि भी बैन हैं। इन्हें बेचना और खरीदना दोनों ही बैन है।
भारत के विभिन्न हिस्सों में वन विभाग ने तोता पालने के खिलाफ कई अभियान चलाए हैं। हालांकि, धार जिले के वन विभाग द्वारा इस संबंध में अभी तक कोई बड़ी कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। यहां तक कि सैंकड़ों तोतों का रेस्क्यू भी नहीं किया गया है, जबकि अन्य स्थानों पर यह देखा गया है।
तोते को समझदार और इंसानों का अच्छा मित्र बताया गया है। वे न केवल हमारी भाषा को समझ सकते हैं बल्कि हमारी भावनाओं को भी महसूस कर सकते हैं। इसलिए लोग उन्हें अपने घरों में रखना पसंद करते हैं। लेकिन इस प्रेम और आकर्षण के बावजूद, तोते को पिंजरे में बंद करना उनके प्राकृतिक अधिकारों का हनन है।
तोता पालना कानूनी दृष्टि से अपराध है और इसके लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। वन्यजीवों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए हमें कानूनों का पालन करना चाहिए और उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखना चाहिए। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम वन्यजीवों के साथ न्याय करें और उनके अधिकारों का सम्मान करें।