"सौराष्ट्र की शान" व्हेल शार्क को बचाना बहुत ज़रूरी है. सबसे कम उम्र में सबसे बड़ी मछली Whale Shark को बचाने के मिशन पर निकले अल्फ़ेज़ भट्टी का कहना है कि व्हेल शार्क को बचाना सिर्फ एक नहीं बल्कि कई कारणों से बहुत ज़रूरी है।
दुनिया में कई बड़े जीव हैं जिनमें से एक है प्यारी व्हेल शार्क। व्हेल शार्क मुख्य रूप से फिलीपींस, ऑस्ट्रेलिया और मेडागास्कर से आती हैं। Gujarat's Coastline तकरीबन 1600 मीटर लंबा है और Saurashtra Coastline व्हेल शार्क के लिए बहुत अच्छा है। सौराष्ट्र के समुद्र में जवला नामक मछली बड़ी मात्रा में पाई जाती है। और Jawla Fish व्हेल शार्क का पसंदीदा भोजन है।
Junagadh Gujarat के रहने वाले Alfez Bhatti एक युवा पर्यावरणविद् के रूप में जाने जाते हैं जो बचपन से ही सामाजिक कार्य करते रहे हैं। उन्होंने मूल रूप से 2012 में Mul Dwarka के पास समुद्र तट से एक बड़े कछुए का रेस्क्यू किया था और Prakruti Nature Club (Kodinar) के संस्थापक Dineshbhai Goswami, Jigneshbhai Gohil, वनपाल Salimbhai Bhatti और अन्य स्वयंसेवकों के साथ "दुनिया की सबसे बड़ी मछली व्हेल शार्क" के कई बचाव अभियानों पर गए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक "प्रकृति नेचर क्लब - कोडिनार" के दिनेश गोस्वामी और जिग्नेश गोहिल अब तक तकरीबन 700 से भी ज्यादा व्हेल शार्क का रेस्क्यू कर चुके हैं।
पहले के समय में मछुआरे व्हेल शार्क का शिकार करते थे क्योंकि वे व्हेल शार्क को टुकड़ों में काटकर बाजार में बेच देते थे और व्हेल शार्क के अंदर से जो तरल पदार्थ निकलता है उसका उपयोग दवा में भी किया जाता है। और बहुत सारा पैसा मिल्ता था इसलिए उस दौरान व्हेल शार्क का बहुत हि बेरहमी से अधिक शिकार किया गया। और इस वध को रोकने के लिए Whale Shark (Rhincodon Typus) को मई 2001 में भारत के वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची I में जोड़ा गया, जिससे यह देश में सुरक्षा का उच्चतम स्तर बन गया। इसके बाद मछुआरे व्हेल शार्क का शिकार नहीं करते और यहां के मछुआरे व्हेल शार्क को "व्हाली" के नाम से पुकारते हैं और अपने एक परिवार के सदस्य की तरह देखते है।
जब व्हेल शार्क किसी की नाव में फंस जाती है तब वापसी आने वाली नाव वालों को वह सूचित कर देते हैं और फिर किनारे पर आ कर मछुआरों Rescue Team से संपर्क करते हैं और सारी जानकारी बताते हैं फिर जल्दी हि बचाव टीम "Whale Shark Rescue Mission" पर निकल जाती है।
व्हेल शार्क को बचाना बहुत मुश्किल है क्योंकि मछुआरों की नावें जितनी फीट की होती हैं कभी कबार व्हेल शार्क ऊससे भी ज़्यादा फीट की होती हैं, एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे बड़ी व्हेल मछली 61फीट की भी देखी गई है. इसलिए जब वे जाल में फंस जाती हैं और मछली बहुत ज्यादा हिलती है तो नाव के पलटने और डूबने की भी संभावना बढ़ जाति है। इसीलिये मुझे ऐसा लगता है की व्हेल शार्क का Rescue करना बहुत हि कठिन है।
फिर व्हेल शार्क की जांच की जाती है कि वह नर है या मादा, उसकी लंबाई क्या है, उसके शरीर पर कोई चोट तो नहीं है, फिर व्हेल शार्क को तुरंत जाल काटकर छोड़ दिया जाता है। तट पर आने के बाद जाल की क्षति की फोटो खींचकर और उसे चिह्नित कर रिपोर्ट तैयार की जाती है और बाद में मछुआरों को उनके क्षतिग्रस्त जाल का मुआवजा वन विभाग द्वारा दिया जाता है।
इसलिए व्हेल शार्क को बचाना और दूसरों को भी इसके संरक्षण के बारे में जानकारी देना बहुत ज़रूरी है, क्योंकि अगर व्हेल शार्क को नहीं बचाया गया तो हम बहुत बड़ी चीज़ खो देंगे।