गिरनार को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए प्लास्टिक ले जाने पर संपूर्ण प्रतिबंध लगाना बहुत जरूरी है - Alfez Bhatti
गुजरात के सबसे बड़े पहाड़ को देखने-जानने और पवित्र तीर्थयात्रा के लिए दूर-दूर से लोग और पर्यटक आते हैं। फिर भी इस अनमोल जगह को नुकसान पहुंचता है और इसके रख-रखाव में कुछ अभाव देखने को मिलता है, जिसका मुख्य मुद्दा सिर्फ और सिर्फ प्लास्टिक है.
प्रकृति ने हमें यह अनमोल चीज़ प्रदान की है इसलिए इसकी देखभाल करना हमारा नैतिक और सामाजिक कर्तव्य है। परन्तु ईश्वर द्वारा बनाया गया मनुष्य स्वयं ईश्वर होने का दिखावा कर रहा है। लोग गिरनार पर्वत को देखने के लिए दूर-दूर तक यात्रा करते हैं लेकिन वे अपने साथ ले जाने वाले प्लास्टिक को "गिरनार पर्वत श्रृंखला" में ही फेंक देते हैं जो अच्छी चीज़ नहीं है। गिरनार पर्वतीय रेंज पर प्लास्टिक एकत्र करने के लिए दैनिक सफाई अभियान चलाया जाए फिर भी कम है। इस हद तक लोगों ने गिरनार को प्लास्टिक का उपहार दिया है। गिरनार पर्वत के आसपास बड़ी संख्या में पशु-पक्षी हुआ करते थे, लेकिन हाल के दिनों में लोगों ने गिरनार पर इतना प्लास्टिक डाल दिया है कि वह सालों तक कभी सड़ेगा नहीं और अब वहां पशु-पक्षियों की चहचहाहट भी कम ही सुनाई देती है, जो सचमुच दुखद कहा जा सकता है.
गिरनार पर्वत पर प्लास्टिक इस हद तक बढ़ गया है कि मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया है और गुजरात हाई कोर्ट ने भी गिरनार पर्वत पर बढ़ती गंदगी और प्लास्टिक को लेकर सरकार और जिला कलेक्टर की आलोचना की है और गिरनार क्षेत्र में प्लास्टिक इस्तेमाल पर तत्काल प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया है। देखना यह है कि अब क्या निर्णय लिया जाता है।
गिरनार पहाड़ी इलाकों में प्लास्टिक की मात्रा दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और इस कारण के लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो वह खुद व्यक्ति है। जूनागढ़ में "नेचर फर्स्ट" और "ह्यूमानिटी फर्स्ट एनजीओ" जैसे संगठनों द्वारा पिछले 105 सप्ताह से गिरनार जंगल के विभिन्न क्षेत्रों में "प्लास्टिक मुक्त गिरनार जंगल सफाई अभियान" चलाया जा रहा है। 105 सप्ताह के ऑपरेशन के दौरान लगभग 20 टन प्लास्टिक का निपटान किया गया है। और इस तरह की कामगीरी को देख कर इसे हाल ही में वीटीवी समाचार ने बेस्ट गैर सरकारी संगठन का अवॉर्ड भी दिया गया है.
तब जूनागढ़ के युवा पर्यावरणविद् अल्फेज़ भट्टी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि प्रकृति की गोद में बैठना और आनंद लेना हर किसी को पसंद है, लेकिन लोग प्रकृति की रक्षा और संरक्षण करने से झिझकते हैं। मनुष्य खुद समझदार बनेगा और सावधान रहकर प्लास्टिक का उपयोग नहीं करेगा और न ही प्लास्टिक को कहीं भी फेंकेगा, तभी हम प्रकृति द्वारा प्रदत्त अनमोल संपदा का आनंद ले सकेंगे. इसलिए हम सभी संकल्प लें, प्लास्टिक का उपयोग न करें, पर्यावरण बचाएं और गिरनार को हराभरा रखें.