बड़ी खबर : म.प्र. प्रांतीय अशासकीय शिक्षण संस्था संघ भोपाल (म.प्र.) के बैनर तने पूरे मध्य प्रदेश में जिला कार्यालयों पर मुख्यमंत्री के नाम निजी विद्यालय संचालकों द्वारा ज्ञापन दिया गया।ज्ञापन में मुख्य रूप मध्य प्रदेश के निजी विद्यालयों को विद्यालय संचालन करने में आ रही दिन पर दिन नई चुनौतियों को लेकर व शासन की भेदभावपूर्ण नीति से परितानित होकर। 13 बिंदु का ज्ञापन सौंपा जो इस प्रकार है
अशासकीय विद्यालय की प्रमुख मांगे-
3 साल स्कूल संचालन के बाद स्थाई मान्यता प्रदान की जाएं।
सत्र 2022-23 की आरटीई फीस प्रतिपूर्ति की राशि का भुगतान इसी माह किया जावे।
सत्र 2016-17 से 2022-23 तक पोर्टल पुनः प्रपोजल बनाने के लिए खोला जाए। जो बच्चे अपात्र किए गए हैं। और जिन बच्चों के प्रपोज नहीं बन पा रहे हैं। उनका भौतिक सत्यापन कराकर आर टी ई का भुगतान किया जाए।
सरकार अपनी भेदभावपूर्ण नीति वापस ले और शासकीय व अशासकीय विद्यालयों के विद्यार्थियों में एकरूपता से देखते हुए। निजी विद्यालयों के टॉप विघार्थियों को भी स्कूटी प्रदान की जाए और निजी विद्यालय के विद्यार्थियों को भी मेडिकल में 5% की छूट प्रदान की जाए।
मध्य प्रदेश के निजी विद्यालयों की समस्याओं के लिए एक स्थाई समिति बनाई जाए।
कक्षा पहली से 12वीं तक पूर्ण रूप से रजिस्टर्ड किरायानामा की बाध्यता समाप्त की जाए। नोटरीकृत किरायानामा की स्वीकृति प्रदान की जाए।
कक्षा पहली से आठवीं में मान्यता शुल्क एवं एफ डी के आदेश को वापस लिया जाए।
आर टी ई की राशि अन्य राज्यों के बराबर दी जाए। सरकार पहले तो 10% राशि बढ़ाकर आर टी ई का भुगतान करती थी। अब तो कटौती कर पांच प्रतिशत कर दिया है। यह भेदभाव पूर्ण नीति बंद की जाए।
कक्षा नवी के नामांकन के आवेदन फॉर्म भरते समय आ रही तकनीकी समस्या का निराकरण किया जाए।
सीबीएसई विद्यालयों को भी कक्षा 12वीं में लैपटॉप दिया जाए।
कक्षा पांचवी और आठवीं अर्धवार्षिक परीक्षा अक्टूबर के बजाए नवंबर में रखी जाएं।
नर्सरी से मैपिंग की जाएं। जो विद्यार्थी वर्तमान में जिस विद्यालय में है। उसे उसी विद्यालय में मैपिंग किया जाता है किंतु सरकारी विद्यालय द्वारा अपने विद्यालय में मैप कर लिया जाता है। जो की कानूनी रूप से गलत है। इस पर भी रोक लगाई जाए।
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