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श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ में संयम रंगशाला में 18 दिवसीय लघु उपधान तप की आराधना पारणे के साथ हुई पूर्ण,तपस्वी और लाभार्थी परिवारों का हुआ बहुमान




 राजगढ़ (धार) । श्रावक को अपने जीवन में 6 उपधान तप करना चाहिये यह शास्त्रों में बताया गया है व्रत और नियम में रहकर मोक्ष प्राप्ति के लिये हमें मानव जन्म मिला है । हमने मानव जन्म पाकर सिर्फ जैन कुल में जन्म लेकर सिर्फ नवकार मंत्र गिना है पर हम उसका जो वास्तविक लाभ मिलना चाहिये वह प्राप्त नहीं कर पाये । उक्त प्रेरणादायी उद्बोधन उपधान तप के समापन के अवसर पर षष्ठम पट्टधर गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्य एवं अष्ठम पट्टधर गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती मुनिराज श्री चन्द्रयशविजयजी म.सा. ने कहे और आगे बताया कि यदि हमें जीवन में नवकार महामंत्र के जाप का सही लाभ प्राप्त करना है तो हमें 47 दिन का उपधान तप करना अत्यन्त आवश्यक है तभी हमें मोक्ष प्राप्ति का मार्ग मिलना संभव हो पायेगा । क्योंकि नवकार महामंत्र में 68 अक्षर है और इस महामंत्र में 8 सिद्धियों का समावेश है और वह सिद्धियां हमें सिर्फ और सिर्फ उपधान तप की आराधना करने के बाद ही मिलना सम्भव हो पायेगी । उपधान तप करने के पश्चात् नवकार मंत्र की माला का जाप हमें करोड़ों की संख्या में कई गुणा लाभ प्रदान करता है । मनुष्य अपने जीवन में बिना कपड़ों के जन्म लेता है रंगीन कपड़ों में अपना जीवन जीता है पर जीवन के अंत समय में जब मृत्यु सामने हो उस समय मुनि का वैश बदन पर हो तभी आत्मा के मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग सुगम होना संभव होता है ।

श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के तत्वाधान में दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पाटपरम्परा के प.पू. गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती मुनिराज श्री चन्द्रयशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री पुष्पेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री रुपेन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनभद्रविजयजी म.सा. एवं प.पू. शासन ज्योति गुरुमैया साध्वी श्री महेन्द्रश्रीजी म.सा. की सुशिष्या संयमस्थविरा तपस्वी साध्वी श्री किरणप्रभाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री सद्गुणाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा, साध्वी श्री संघवणश्रीजी म.सा. की शिष्याओं की निश्रा में 18 दिवसीय उपधान तप की आराधना की पूर्णाहुति के अवसर पर आज रविवार को जय तलटी से सभी आराधकों के माता-पिता के साथ सभी बाल तपस्वी बग्गीयों में बैठकर विशाल चल समारोह की शोभा बड़ा रहे थे बड़ी संख्या में समाजजनों की उपस्थिति में बैण्ड व ढोल ताशों की ताल पर युवा व तपस्वी बड़े ही उत्साह भावों के साथ नृत्य में झुमते हुऐ अपने संस्कारदाता मुनि भगवन्तों व साध्वीवृंदों के साथ चल समारोह की शौभा बढा रहे थे । चल समारोह में बग्गीयों में दादा गुरुदेव की पाटपरम्परा के आचार्य भगवन्तों के चित्र शौभायमान थे । श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ की और से मुनि भगवन्तों की गहुंली व सामैया तीर्थ के मुख्य द्वार पर किया गया । लाभार्थी परिवारों के द्वारा मुनि भगवन्तों व साध्वीवृंदों को काम्बली ओढाई गई । सभी तपस्वीयों का स्वर्ण मुद्रा के साथ बहुमान श्रीमती रेखाबेन कांतीलालजी शाह परिवार द्वारा व अभिनन्दन पत्र से बहुमान श्री बसन्तीलालजी रुपचंदजी लोढ़ा परिवार राजगढ़ द्वारा किया गया । मेघनगर के लाभार्थी परिवार के द्वारा सभी तपस्वीयों को पारणा कराया गया ।

इस अवसर पर श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट श्री मोहनखेड़ा महातीर्थ के मेनेजिंग ट्रस्टी सुजानमल सेठ, महाप्रबंधक अर्जुनप्रसाद मेहता, सहप्रबंधक प्रीतेश जैन, झाबुआ श्रीसंघ से मनोहर मोदी, महेन्द्र जैन, राजगढ़ श्रीसंघ से कई वरिष्ठ समाजसेवी व बड़ी संख्या में तपस्वी बच्चों के माता-पिता कार्यक्रम में विशेष रुप से उपस्थित रहे ।


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