राजगढ़-धार। गुरुराज विद्या साख सहकारी संस्था के सदस्यों की अमानतें पूरी तरह से सुरक्षित है। कतिपय एवं निहित स्वार्थी तत्व संस्था के बारे में आधार हीन बातें कर सदस्यों को गुमराह कर रहे हैं। संस्था के पास पर्याप्त पूंजी की तरलता उपलब्ध है। फिक्स एफडीओ का रिजर्व बैंक के मापदंडों से अधिक की डिपॉजिटें, राष्ट्रीयकृत व सहकारी बैंकों में जमा है।
यह जानकारी संस्था अध्यक्ष एवं वरिष्ठ एडवोकेट श्री राजेंद्र जी मेहता व उपाध्यक्ष श्री सुजानमल सेठ ने गुरु राज विद्या संचालक मंडल की उपस्थिती में जानकारी देते हुए बताया कि संस्था के पास फिक्स डिपॉजिट के रूप में 16 करोड़ रुपए के लगभग जमा है।
पांच करोड़ के विरुद्ध 14 करोड़ बैंकों में जमा : संचालक ज्ञानेंद्र मूणत एवं मनोहर जैन ने बताया कि रिजर्व बैंक के नियमानुसार इसका 33 प्रतिशत एक तिहाई हिस्सा राष्ट्रीयकृत बैंकों व सहकारी बैंकों में होना चाहिए। इसके विपरीत गुरुराज बैंक ने 14 करोड़ रुपए विभिन्न बैंकों में डिपॉजिट के रूप में जमा कर रखे है। जबकि रिजर्व बैंक के नियमानुसार बैंकों में न्यूनतम पांच करोड़ रु जमा होने चाहिए। इसके साथ ही संस्था ने 15 करोड़ का ऋण सदस्यों को वितरीत कर रखा है। उन्होंने बताया कि इसमें से साढ़े 14 करोड़ रु का ऋण पूर्ण सुरक्षित है। वह सदस्यों को उनकी संपत्ति गिरवी रखकर वितरित किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि संस्था की वित्तीय स्थिति अत्यंत ही मजबूत है। उन्होंने कहा कि 16 करोड़ रु की डिपाजिट के अगेंस्ट्स 14 करोड रु विभिन्न बैंकों में जमा है। वहीं 14.50 करोड़ सुरक्षित ऋण के रूप में वितरित किया गया है।
भूखंड क्रय करने से करोड़ो का फायदा : संचालक प्रकाश पावेचा एवं नरेंद्र भंडारी ने बताया कि संस्था द्वारा स्वयं के भवन क्रय करने के बारे में बताया कि संस्था ने 3.51 करोड़ रुपए भूखंड क्रय किया है। इसके निर्माण पर एक करोड़ रुपए खर्च किए हैं। 4.51 करोड़ की कुल लागत आई है। इसमें से तीन फ्लोर पर कुल 18 दुकानें बनी है। इनमें से 14 दुकानों के नीलामी से संस्था को साढ़े तीन करोड़ रुपए प्राप्त हो चुके हैं। शेष चार दुकानों में से दो दुकाने प्रीमियम लोकेशन की है। इनके विक्रय से अनुमानित तीन करोड़ रु ओर प्राप्त होने की संभावना है। वहीं चौथे फ्लोर पर बैंक का 1800 स्क्वेयर फीट का कार्यालय भी बन गया है। इससे भी स्पष्ट होता है की संस्था का भूखंड क्रय कर दुकानें बेचने का सौदा कितने फायदे का है। संस्था में जो भवन निर्माण किया गया है, इसकी अनुमति ली गई है। वहीं भूखंड क्रय करने की अनुमति भी संबंधित विभाग से प्राप्त की गई है।
रिटर्न फाइल होता है : संचालक वीरेंद्र जैन ने बताया कि संस्था द्वारा भारत शासन के इनकम टैक्स विभाग के नियमानुसार सभी कार्य किए जाते है। साथ ही सदस्यों के हितों का भी ध्यान रखा जाता हैं। जमाकर्ताओं से नियमानुसार पैन कार्ड नंबर लिए जाते है। संस्था द्वारा गत दस वर्षों से अधिक समय से इनकम टैक्स रिटर्न भरा जाता है। नियमित रूप से संस्था के हिसाब किताब का ऑडिट भी होता है।