बड़ी खबर : जैन महातीर्थ सम्मेद शिखर जी पुण्य क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष की प्राप्ति की। यहीं 23 वें तीर्थकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी निर्वाण प्राप्त किया था। यहा श्रद्धा व भक्ति का संगम होता है। यह उक्त बात मोहनखेड़ा महातीर्थ के परम पूज्य पीयूष चन्द्र विजय जी महाराज ने कहीं उन्होंने कहा सम्मेद शिखरजी पर्यटन स्थल नहीं होना चाहिए क्योंकि इसकी पवित्रता खत्म हो जाएगी। समस्त जैन संप्रदाय एकजुट होकर आंदोलन करें इसकी शुरुआत अहिंसा के भाव के साथ की जाए जिसमें रैली निकालें राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और झारखंड राज्य सरकार के नाम ज्ञापन देकर इसकी शुरुआत करें।
जैन संप्रदाय के सभी संतों से मुनि श्री ने कहा कि मे आह्वान करता हूं आप दिल्ली की ओर कुच करे ओर संसद भवन का रुख कर विराट आंदोलन करना चाहिए वही इसके पहले मे त्रिस्तुतिक श्री संघ मोहनखेड़ा तीर्थ का संत हु और मोहनखेडा महातीर्थ प्रेरक राष्ट्रसंत आचार्य श्री ऋषभ चंद्र सूरीश्वरजी जी का शिष्य मे मुनि पियूष चंद्र विजय जी महाराज हूं,तो मे सबसे पहले दिल्ली जाकर संसद भवन मैं आमरण अनशन की शुरुआत करूंगा।
जैन संप्रदाय के संत इस पर गंभीरता से चिंतन करें ओर हो सके तो जनवरी मााह के अंदर दिल्ली की और प्रयाण करें और वहां पर अहिंसा और संगठन एकता की मिसाल कायम हो और सरकार को हमारी एकता ही झुकाएगी।
जैन संतों के लिए शास्त्रों में कहा गया जैन संत शास्त्रों का अभ्यासी होता है पर जरूरत पडने पर जिस हाथ से माला गिने जरूरत आने पर उसी हाथ मे भाला भी ले सकता है इस महातीर्थ की सुरक्षा का दायित्व हम सभी का है तीर्थ की पवित्रता बरकरार रखें।
इसलिये भारत सरकार व झारखंड राज्य सरकार से अनुरोध करता हु कि वहां पर पर्यटन क्षेत्र की अधिसूचना जल्द से जल्द रद्द होना चाहिए साथ ही अभक्ष्य सामग्री रोक हो,खुदाई खनन पर रोक लगे लगे चेक पोस्ट,मांस-मदिरा मुक्त क्षेत्र हो,शुध्द पेय जल की सुविधा हो,जैन तीर्थ स्थल पर होना चाहिए।