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राग द्वेष को खत्म किये बिना जीवन सार्थक नही हो सकता है: पूज्य श्री अतिशय मुनिजी म.सा.

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  राजगढ़ (धार)। इस कलयुग का इतना प्रभाव हो गया है की व्यक्ति अहंकार से मुक्त नही हो रहा है,जीवन मे जब तक में का अंत नही होगा तब तक मुक्ती संभव नही है, इस वर्तमान समय मे राग द्वेष का ईतना प्रभाव है की व्यक्ति राग को छोड़ने की कोशिश करता है तो द्वेष उत्पन्न हो जाता है,ओर जब द्वेष को छोड़ने की कोशिश करता है तो राग उत्पन्न हो जाता है,जब तक दोनो को नही छोड़ा जाएगा तब तक भव भ्रमण से मुक्त होना संभव नही है,आज का व्यक्ति क्षणिक सुख ओर भोतिक चकाचौंध मे मुख्य धर्म से विमुख होता जा रहा है,पुण्यवानी से मिले इस मानव जीवन का सद् उपयोग करिये ओर मोक्ष सुख को प्राप्त करने के पात्र बनिये,शुद्ध धर्म और सद् गुरु का सानिध्य प्राप्त करने के लिए सदैव तत्पर रहे,संसार मे मिलने वाला सुख कुछ समय तक साथ रहता है,सच्चा सुख केवल ओर केवल वीतराग धर्म और सन्मार्ग पर श्रद्धा रखने वाले को ही प्राप्त होता है,उक्त प्रेरणादायी प्रवचन रविवार को स्थानक भवन पर आयोजित धर्मसभा मे पूज्य श्री अतिशय मुनिजी म.सा ने उक्त उद्बोधन दिये।

 धर्म सभा को पुज्य श्री रवि मुनिजी म.सा. ने संबोधित करते हुए सोमवार को पुज्य आचार्य भगवंत श्री उमेशमुनि जी म.सा के 10वे वार्षिक पुण्यतिथि दिवस पर अधिक से अधिक धर्म आराधना करने की प्रेरणा प्रदान करी , पुज्य श्री संदीप मुनिजी म.सा ने पुज्य आचार्य भगवंत के पुण्यतिथि दिवस पर अधिक से अधिक एकासन तप करने की प्रेरणा प्रदान की! प्रवचन सभा मे श्री संघ के अनेक श्रावक-श्राविका बच्चे आदि की उपस्थिति रही।

  गुरु सौभाग्य प्रकाश भक्त मंडल के प्रांतीय सदस्य हेमंत वागरेचा ने बताया की पुज्य संत मंडल का रविवार को प्रातः राजगढ नगर मे मंगल प्रवेश हुआ,समाज के अनेक श्रावक श्राविका ने मंडी गेट पर पहुंच कर संत मंडल की आगवानी करी।

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