झाबुआ। स्थानीय श्री ऋषभदेव बावन जिनालय मे पूज्य मुनिराज़ श्री रजतचन्द्र विजयजी म.सा. और पूज्य मुनिश्री जीतचन्द्र विजयजी म.सा. की पावन निश्रा में महापर्व के दूसरे दिवस शनीवार को सुबह शक्र्स्तव अभिषेक,भक्तामर स्त्रोत व गुरु चालीसा पाठ और प्रभु पूजन समाज जनो ने की | अष्टान्हिका ग्रंथ का वाचन करते हुए पूज्य मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी म.सा.ने आज दुसरे दिन श्रावकों के कर्तव्य बताते हुए कहा की "परमात्मा महावीर जिनका शासन मिला , यौ समझो ये पर्युषन पर्व हमारी आत्मा को मोक्ष की और ले जाने आये है। यों समझो ये पर्युषन भवसागर के दल दल से निकालने के लिये आये है | हम सभी को इस पर्युषन पर्व का स्वागत प्रभु पूजन , जिनवाणी श्रवण और तपस्या प्रतिक्रमण जैसे धर्म उपक्रम करना चाहीए | परमात्मा पूजन , गुरु सेवा ,अनुकम्पा और सुपात्रदान की चर्चा की | बिना किसी भेदभाव के असहाय की मदद करना अनुकम्पा दान कहते हे | कभी दान देते समय पक्षपात नही करे | कंजूस , अनाथ , दरिद्र , शोकाकुल हो , ऐसे व्यक्ति के प्रति दया भाव अनुकम्पा दान कहलाता हे | सुपात्र दान जिनआज्ञा के अनुरूप कार्य करने वाले लोगो के लिये करना चाहिऐं | पर्व के महान दिनो में अपनी राशि को इस प्रकार के दान मे लगाना चाहिए | अनुकम्पा दान देते समय तिरस्कार के भाव नही होना चाहिए | परमात्मा के दर्शन त्याग भाव से करना चाहिए | अनुकम्पा के लिये ऱ्हदय मे प्रेम और दया के भाव रखना चाहिए | पूर्व जन्म के पुण्य से आपको मानव जन्म और धन प्राप्त हुआ हे यदि इस जन्म को धर्म कार्य से नही जोड़ेगे तो अगला जन्म कैसा? होगा | स्वयं ही सोच सकते है | ऐसी अनुकम्पा के भाव हमारे जीवन मे भी आये | अनुकम्पा अच्छी सोच अच्छी विचार से भी हो सकती हे | सुपात्रदान कैसा हो इस हेतु श्री शालीभद्रजी महाराज़ ने का रूपक सुनाया | सुपात्र दान मे प्रसन्नता के भाव आना चाहिए | साधु साध्वी को दी गयी अवाश्यक सामाग्री सुपात्र दान कहलाता हे | नाम और कामना के उद्देश्य से सुपात्र दान फल दायीं नही होता हे | धर्म की राशि को तुरंत जामा करना चाहीए | नीतिज्ञ से धर्म की राशि अदा कर देना चाहिए | शुभ कार्य तुरंत करना चाहिए | सुपात्र दान का महत्व जिन वाणी सुनने से आता हे | शलिभद का वैभव सबको चाहिए परंतु भाव श्रेष्ट नही करते हे | अहिंसा के भाव मे आना ही तत्व हे | जिन वाणी श्रवण श्रध्दाभाव से करना चाहिए | पूज्य मुनिश्री रजतविजयजी और मुनि श्री जीतचंद्र विजय जी द्वारा श्रीमती सपना जयेश संघवी को 31उपवास निमित्त मनोहारी प्रभु सीमन्धर स्वामी की प्रतिमा आशीर्वाद स्वरूप प्रदान की गई | 31 उपवास की तपस्वी श्रीमती सपना जयेश संघवी का प्रथम बहुमान तपस्या के साथ 11उपवास से श्रीमती संध्या जिनेश राठौर परिवार और चंदन की माला पहनाने का लाभ 8 उपवास से कु.मोना सन्तोष रूनवाल ने लिया | श्री संघ ,चातुर्मास समिति , गौडीजी पार्श्वनाथ समिति , महावीर बाग समिति , हेमेन्द्र सूरी मंडल परिवार, जैनसोशियल ग्रूप, परिषद परिवार,नवकार ग्रूप झाबुआ की और से शाल श्री फल , माला तिलक से बहुमान किया गया | अभिनन्दन पत्र का वांचन संजय मेहता और डा.प्रदीप संघवी ने किया | संचालन संजय काठी ने किया |
Most Reading
-
भगवान शिव हर तरह की इच्छाओं की पूर्ति करने वाला मंशा महादेव व्रत कल यानि 1 अगस्त सोमवार से आरंभ हो रहा है। राजगढ़ व आसपास के क्षेत्रों में ...
-
मनोरंजन । सोशल मीडिया पर हिंदी फिल्मों के प्रतिष्ठित अभिनेता गोवर्धन असरानी को लेकर मंगलवार को एक अचानक अफवाह फैल गई, जिसमें उनके निधन क...
-
राजगढ(धार) - प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी 07 जनवरी 2022 से 11 जनवरी 2022 तक 5 दिवसीय गुरूसप्तमी महामहोत्सव का आयोजन श्री मोहनखेडा महातीर्थ पर...
-
यदि आपने कुछ करने की हिम्मत है तो इस फील्ड में आप कुछ भी कर सकते हो बस आपको धैर्य के साथ काम करना होगा फिर मंजिल तक पहुंचने के लिए दुनिय...
-
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज प्रदेश के विद्यार्थियों के हित में महत्वपूर्ण घोषणाएँ की हैं। उन्होंने कहा कि माध्यमिक शिक्षा मण्ड...