राजगढ़ (धार) । महापुण्योत्सव के सातवें दिन गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने कहा कि आचार्यश्री हमेशा मानवसेवा, जीवदया व जिनशासन के कार्यो में सदैव अग्रणी रहते थे । उनके शरीर में कई बिमारीयां होने के बाद भी अपने स्वास्थ्य के बारे में कभी नहीं सोचा और हमेशा दूसरों की भलाई करते करते स्वयं कोरोना की चपेट में आ गये और देवलोक की ओर प्रस्थान कर दिया । जीवन किराये के मकान से ज्यादा कुछ भी नहीं है । यह शरीर रुपी मकान कभी ना कभी हमें खाली करना ही पड़ेगा । कुछ संसारी लोग किराये के मकान को स्वयं का मकान समझकर उसके लाभ हेतु प्रयास करते है । शरीर रुपी घर में रही हुई आत्मा को यह मकान हर हालत में खाली करना ही पड़ेगा । पत्नी घर की दहलीज तक, पुत्र मुखाग्नि तक, समाज श्मशान तक साथ में रहता है पर व्यक्ति के धर्म कर्म, पाप पुण्य ही उस आत्मा के साथ चलते है । संसार में इंसान का निवास अस्थाई होता है । इसे कभी भी स्थाई समझने की भूल ना करें । आपके भाव, विचार अच्छे है तभी आपकी सद्गति संभव है । यदि विचार अशुद्ध रहे तो दुर्गति निश्चित है । धन कमाने के लिये व्यक्ति 18 पाप स्थानकों का सेवन करता है । फिर भी वो धन आपका नहीं है आपकी मृत्यु के पश्चात उस धन का मालिक कोई और ही बन जाता है जिसके लिये आप ने दिन रात मेहनत किया, मजदूरी किया, झुठ बोला, धोखा किया, जमाने के पाप अपने गले बांधे । उसका उपयोग आप नहीं कर पाये । इस लिये धन का लोभ, लालच छोड़कर क्रोध, मान, माया, लोभ, अहंकार का त्याग करके इंसान को सामान्य जीवन जीना चाहिये । यह शरीर आपका नहीं है यह अग्नि का डिपाजिट है यह बात हमेशा इंसान को दिमाग में रखना चाहिये । वर्तमान समय में युवतियां फैशन में और युवक व्यसन में बर्बाद हो रहे है । दुनिया में कोई भी कार्य असंभव नहीं है । कार्य सिद्धि के लिये कठोर परिश्रम की जरुरत होती है । जो व्यक्ति देव, गुरु और धर्म की आज्ञा का उल्लंघन करता है उसे जीवन में संकट आते ही है ।
दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की पाट परम्परा के अष्टम पट्टधर गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. का महापुण्योत्सव 11 से 18 सितम्बर तक श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वे. पेढ़ी ट्रस्ट के तत्वाधान में मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज वैराग्ययशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनचन्द्रविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जनकचन्द्रविजयजी म.सा. एवं साध्वी श्री सद्गुणाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री संघवणश्रीजी म.सा., साध्वी श्री विमलयशाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा की निश्रा में चल रहा है ।
पुण्योत्सव के अवसर पर जिन मंदिर में प्रातः प्रभुजी एवं दादा गुरुदेव के अभिषेक का लाभ श्री जयंतीलालजी मूलचंदजी बाफना परिवार द्वारा लिया गया है । दोपहर में श्री सिद्धचक्र महापूजन श्री मुन्नीलाल स्वरुपचंदजी रामाणी परिवार एवं प्रभु की अंगरचना श्री सुजानमलजी सागरमलजी सेठ परिवार की और से हुई । रात्रि भक्ति भावना का लाभ श्री मंजुलादेवी ललितकुमारजी जैन सियाणा द्वारा लिया गया । जिन मंदिर, गुरु समाधि मंदिर एवं आचार्य ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के समाधि स्थल पर पुष्प सज्जा टाण्डा निवासी श्रीमती मधुबेन राजेन्द्रजी लोढ़ा, टीना जयसिंह लोढ़ा परिवार द्वारा करवायी गयी ।