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नवकार महामंत्र की आराधना,प्रभु प्रतिमा को पत्थर की प्रतिमा समझने की भूल ना करें: मुनि पीयूषचन्द्रविजय



 राजगढ़ (धार) । नवकार आराधना के छठे दिन मुनिश्री ने कहा कि अन्य मंत्रों को सिद्ध करने में बहुत समय लगता है पर नवकार महामंत्र अपने आप में स्वयं सिद्ध महामंत्र है । यह मंत्र साधक को सिद्ध शिला तक पहुंचाता है । णमो सिद्धाणं के माध्यम से समस्त सिद्ध भगवन्तों को हम नमन करते है । अरिहंत ओर सिद्ध की प्रतिमा में अन्तर होता है । अरिहंत परमात्मा की प्रतिमा के पीछे परिकर होता है जो सिद्ध परमात्मा की प्रतिमा के पीछे नहीं होता है । प्रभु परिकर में अष्ट प्रतिहारी और अधिष्ठायक यक्ष यक्षिणी होते है । हमें अपनी आत्मा की बात परमात्मा से करनी चाहिये । प्रभु की प्रतिमा हर बात का जवाब देती है । प्रभु की प्रतिमा को पत्थर की प्रतिमा समझने की भूल कभी ना करें । उक्त बात गच्छाधिपति आचायर्देवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने राजेन्द्र भवन राजगढ़ के प्रवचन में कही । आपने कहा कि यदि आपकी भक्ति में ताकत है, आपकी श्रद्धा मजबूत है प्रभु प्रतिमा में सत्व होता है प्रतिमा आपके हर प्रश्न का जवाब देती है । मंदिर में जब भी समय मिले अवश्य जाना चाहिये । कम से कम दिन में तीन बार तो प्रभु मंदिर में जाना ही चाहिये । प्रातः वासक्षेप पूजा, केशर पूजा के बाद सूयार्स्त से पूवर् आरती होनी चाहिये । धमर् को धारण किया जाता है पर वतर्मान में धमर् को दिखावें के रुप में देखा जा रहा है । वतर्मान समय में समाजजन सिफर् बड़े-बड़े गुरु भगवन्तों, आचायर् भगवन्तों को ही समय देते है । उनके छोटे-छोटे शिष्यों को कोई नहीं पुछता है । जबकि छोटे-छोटे शिष्यों को ही समाजजनों की नितान्त आवश्यकता होती है । बड़े-बडे गुरु भगवन्तों की सेवा में हर कोई खड़ा हो जाता है ओर छोटे शिष्य परेशान होते रहते है । जिसके जीवन में शमर् ओर डर नहीं है वह इंसान जीवन में अच्छा बूरा करने में कोई संकोच नहीं करता है । याचना में स्वाथर् और प्राथर्ना निस्वाथर् होती है । लोग भगवान को भी ठगने में कोई कसर नहीं छोड़ते है । सात अभवी जीव का कभी भी मोक्ष नहीं होता है । आचायर् हरिभद्रसूरीश्वरजी म.सा. ने 1444 ग्रंथों की रचना की थी ।

आज गुरुवार को प्रवचन के दौरान मालवा महासंघ एवं नवरत्न परिवार के सुनिल फरबदा, कल्पेश जैन, अभिषेक जैन, शुभम सराफ, शेलेष जैन, गौतम भण्डारी आदि ने जिनालय शुद्धिकरण अभियान 2021 के चलते राजगढ़ श्रीसंघ अध्यक्ष श्री मणीलाल खजांची को जिनालय शुद्धिकरण कीट धमर्सभा में प्रदान किया । मुनिश्री ने बताया कि 28 अगस्त को दीपक एकासने का आयोजन श्री प्रकाशचंदजी बाबुलालजी कोठारी परिवार दत्तीगांव वालों की ओर से रखा गया है । 30, 31 व 01 सितम्बर तक त्रिदिवसीय दादा गुरुदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. की आराधना एकासने के साथ रखी गई है । नवकार महामंत्र के छठे दिन एकासने का लाभ श्री संदीपकुमार पंचमीलालजी खजांची परिवार की और से लिया गया । लाभाथीर् परिवार की और से श्रीसंघ अध्यक्ष मणीलालजी खजांची का बहुमान राजगढ़ श्रीसंघ की ओर से बहुमान के लाभाथीर् मेहता परिवार ने किया । मुनिश्री की प्रेरणा से नियमित प्रवचन वाणी का श्रवण कर श्रीमती पिंकी सुमितजी गादिया राजगढ़ ने अपनी आत्मा के कल्याण की भावना से महामृत्युंजय तप प्रारम्भ किया था, आज उनका 28 वां उपवास है ।

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