झाबुआ। नमस्कार महामंत्र की आराधना के छट्टे दिन दर्शन पद पर प्रवचन देते हुए परोपकार सम्राट गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद्विजय ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी महाराजा साहेब के शिष्य पूज्य युवासंत मुनिराज श्री रजतचंद्र विजय जी म.सा. ने कहा श्रद्धा के बिना सब अधूरा है । साधक का तप जप क्रिया धर्म अनुष्ठान सभी श्रद्धा के बिना अधूरे हैं। तत्वार्थ ग्रंथ में उमास्वातिजी म.सा. ने सम्यग दर्शन ज्ञान चरित्र को मोक्ष का मार्ग बताया है। परमात्मा के वचन एवं उनके बताये मार्ग पर पूर्ण विश्वास श्रद्धा होना ये सम्यक दर्शन है। कोन्टेटी की बजाय क्वालिटि से धर्मानुष्ठान करें यही श्रद्धा है। धनवान के साथ गुणवान व श्रद्धावान बने । अकेली सुई कपड़े पर नहीं चलती है उसमें धागे का होना जरूरी है, अकेली गाड़ी एसे ही रोड पर नहीं दौड़ती उसमें ईंधन का होना जरूरी है वैसे ही धर्म क्रिया अनुष्ठानों में श्रद्धा (भाव )का होना जरूरी र्है। पूज्य मुनिराज श्री रजचंद्र विजयजी ने आगे बताया कि असली हंस के सामने दूध व पानी मिला पात्र रख दो हंस दू:ध पी लेगा पानी छोड़ देगा वैसे ही समकिति जीव संसार में रहते हुए संसार वे तत्व छोड़ देते हैं। सार का ग्रहण करना आसार को छोड़ना यहि लक्ष्य है जिनाज्ञा पालक श्रद्धा से संपूरित आराधक का। मुनिश्री ने आगे बताया एक धाय माता सेठों के बच्चों को खेलाती है नहलाती है लाड़ दुलार सब करती किंतु फिर भी उसे ये अच्छे से पता है कि ये बच्चे मेरे नहीं है वैसे ही धर्म निष्ट समकिती जीव भी संसार के रिश्ते नाते को व्यर्थ मनाते हैं। नवकार का नमो झुकना सिखाता है व पिछे से पढ़ो तो मोन- शांत रहना बताता है। नवकार से सिद्धि प्राप्त होती है। नवकार करें भव पार। मुनिश्री ने नवकार के चमत्कार पर शिवकुमार का दुष्टांत सुनाया जिसे लोग एकतान से सुनते ही रह गये । मुनिश्री की ओजस्वी वाणी और समझाने के तरके कि लोग जमकर तारीफ करते हैं ।आज नवकार चित्र पर मालवा महासंघ के सदस्यों ने दीप प्रकट किया। इन्द्रसेन संघवी बागमल कोठारी दक्ष जैन का बहूमान किया गया।
गणधर लब्धितप साता पूर्वक चल रहा है। 25 अगस्त को बहूमान 24 को गौतम स्वामी महांपूजन 26 को पारणोत्सव किया जावेगा। गणधर लब्धितप बियासना लाभार्थी नवीनजी रुनवाल परिवार एवं दिनेशजी जैन परिवार का बहुमान गुरु समर्पण चातुर्मास समिति की ओर से किया गया।