राजगढ़ (धार) । एक बार परमात्मा के समवशरण में जिज्ञासु ने प्रभु से प्रश्न किया कि भंते जीव का जागना अच्छा है या सोना अच्छा है ? प्रभु ने इस प्रश्न का समाधान करते हुये कहा कि जीव को हमेशा क्षण मात्र का भी प्रमाद नहीं करना चाहिये । हमेशा सावधान और अलर्ट रहना चाहिये । सज्जन व्यक्ति का जागना और दुर्जन का सोना ही अच्छा है । सज्जन व्यक्ति जितना जागेगा उतना ही अच्छे कार्य करेगा ओर दुर्जन व्यक्ति जितना जागेगा उतने ही बुरे कार्य करेगा । बुरे व्यक्ति के सोने से उसके द्वारा बुरे कार्य नहीं हो पायेगें ओर वह बुरे कर्मो से बच पायेगा । संसार में जब तीर्थंकर का च्यवन, जन्म, दीक्षा, केवलज्ञान और निर्वाण कल्याणक जैसे शुभ कार्य होते है तब-तब नारकीय जीवों को भी आनन्द की अनुभूति होती है और इन्द्र का सिंहासन चलायमान होता है । वैसे ही जब-जब प्रभु पर उपसर्ग जैसी अशुभ घटनाऐं घटती है तब भी इन्द्र का सिंहासन चलायमान होता है । उक्त बात गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने ंराजेन्द्र भवन में कही । आपने बतलाया कि जीव के साथ धर्म-अधर्म, पुण्य-पाप ही साथ जाने वाला है । हमारे पास कितनी ही धन दौलत क्यों ना हो किन्तु डॉक्टर वैद्य भी इंसान को उस समय नहीं बचा सकते जिस समय इंसान का आयुष्य पूर्ण हो जाता है । उस बूरे वक्त में धन भी व्यक्ति का सहयोग नहीं कर सकता है । प्रभु दर्शन से पापों का नाश एवं प्रभु के वन्दन से कई भवों के बंधन टुट जाते है । जिस प्रकार कृष्ण महाराजा ने 18 हजार मुनियों के वंदन कर अपने बंधनों को तोड़ा था । हम भी 18 हजार मुनियों को वंदन करके कर्मो के बंधन से मुक्ति पाने के भाव अपने जीवन में रखें यही हमारे प्रयास होना चाहिये । नासमझ व्यक्ति संसार में कांच के टुकड़ों को चिन्तामणी रत्न समझकर संग्रहित करने की गलती करता है । जिस स्थान पर कोई व्यक्ति बैठा हो उसी स्थान पर दूसरे व्यक्ति को कम से कम 48 मिनिट तक नहीं बैठना चाहिये । क्योंकि पहले व्यक्ति के मन में जो चिन्तन के भाव चल रहे थे उसके परमाणु दूसरे व्यक्ति के मन को प्रभावित कर सकते है । सुदर्शन सेठ की परमात्मा भक्ति ने अर्जुन माली के जीवन को बदल दिया ।
आज शुक्रवार श्रावण सुदी 5 को 22 वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ भगवान का जन्म कल्याणक महोत्सव श्री महावीरजी मंदिर परिसर में मनाया जावेगा । जन्म कल्याणक के अवसर पर प्रभु श्री नेमिनाथ भगवान के अभिषेक का लाभ श्री अनिलकुमारजी खजांची परिवार द्वारा लिया गया है साथ ही नवकार महामंत्र से सम्बन्धित सभी चढ़ावें प्रवचन के दौरान सम्पन्न होगें । राजगढ़ श्रीसंघ में मुनिश्री की प्रेरणा से नियमित प्रवचन वाणी का श्रवण कर श्रीमती पिंकी सुमितजी गादिया राजगढ़ ने अपनी आत्मा के कल्याण की भावना से महामृत्युंजय तप प्रारम्भ किया था, आज उनका 21 वां उपवास है । नमस्कार महामंत्र की आराधना मुनिश्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. की निश्रा में 14 अगस्त से श्रीसंघ में प्रारम्भ होगी ।