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नवकार की आराधना शुद्धि से करें सिद्धि जरूर मिलेगी-मुनि श्री रजतचन्द्र विजय जी


 झाबुआ : श्री नमस्कार महामंत्र की आराधना के पांचने दिन जैनाचार्य श्री ऋषभचंद्र सूरीश्वरजी म.सा. के सुशिष्य मधुरवक्ता मुनिराज श्री रजतचंद्र विजयजी म.सा. ने कहा नवकार अंतर के बंद पट्ट को खोल देता है। मंदिर में पटृ खुलने के बाद प्रभु दर्शन का आनंद आता है। वैसे ही मन मंदिर के पटृ खुलने के बाद व्यक्ति मुरत को देख सकता है। भीतर प्रतिष्ठित भगवान दिख सकता है । नवकार की आराधना शुद्धि से करें सिद्धि जरूर मिलेगी।पू. मुनिश्री रजतचंद्र विजयजी म.सा. ने आगे कहां व्यक्ति को जीवन में तीन सूत्र कभी नहीं भूलना चाहिए स्वहार्द भाव  सहयोग भाव व सद्भावना । यह विकास के परिचायक है। ऊंची भावना रखो। किसी का भी निस्वार्थ सहयोग करो। व किसी को भी दुश्मन न मानो। उपाध्याय पद चिंतन में मुनिश्री ने उपाध्याय यशोविजयजी व विनय विजयजी एवं मोहन विजयजी को याद किया । शिष्य को पठन पाढ़न का  कार्य उपाध्याय का होता है। साधु वो जो सहे। मुनि वही जो मौन रहे। श्रमण वही जो समता रखें। साधु पद पर प्रकाश डालते हुए मुनिश्री ने कहां  साधु के बिना उपाध्याय आचार्य व अरिहंत पद नहीं मिलता। साधु बनने के बाद ही शासन की स्थापना होती है। साधु बनने वाला आपने को लघु मानते हैं, बड़ा हूं एसा गुमान नहीं रखना चाहिए। नमो लोए सव्व साहूणं पद से ढाई द्वीप में रहे हुए सभी पंचव्रतधारी साधु को नमस्कार किया गया है । मुनि श्री के प्रवचन में प्रतिदिन संख्या की बढोतरी हो रही है लब्धितप व नवकार तप की सुंदर आराधना चल रही है। पिछले 12 दिनों से प्रतिदिन तप अनुमोदना चौविसी के मंगलमय आयोजन रात्रि में प्रतिक्रमण बाद किये जा रहे। नवकार पटृ के समक्ष महिला परिपद ने दीप प्रकट किया जीवन पोरवाल निर्मला पगारिया जस्सु बेन दुग्गड़ का बहुमान राष्ट्रीय अध्यक्ष आशा कटारिया ने किया। प्रभावना कमलेश कोठारी की ओर से व गुरु गौतम स्वामी की आरती धनसुख संघवी ने की।

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