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हमें संसार से संयम की ओर यात्रा करना है : मुनि पीयूषचन्द्रविजय



 राजगढ़ (धार) । आज आषाढ़ सुदी 14 से वर्षा ऋतु के साथ चातुर्मास प्रारम्भ हो चूका है । आचार्य, मुनि, साध्वीवृंद कही ना कही चार माह हेतु धर्म आराधना करने के लिये स्थिर हो जाते है । ये धर्म आराधनाऐं पूरे भारत में आज से प्रारम्भ हो चूकी है । चातुर्मास की धर्म आराधना हमें जीवन को सुधारने का संदेश प्रदान करती है । चातुर्मास का चा शब्द हमें चार गतियों से मुक्ति दिलाने का संकेत देता है, तु शब्द हमें तुरंत जागृत होकर धर्म आराधना हेतु प्रेरित करता है । शब्द हमें कहता है कि खोया हुआ धन पुनः मिल जायेगा पर खोया हुआ समय वापस नहीं मिलेगा, इसलिये हमें चातुर्मास के अवसर को खोना नहीं है । तीसरा शब्द र हमें अपनी आत्मा को परमात्मा में रमण करने का संकेत देता है और चौथा शब्द मॉं कहता है कि चार माह तक अष्टप्रवचन माता की वाणी को श्रवण कर अपनी आत्मा का कल्याण करना चाहिये । ये चातुर्मास हमारे लिये उज्जवल बने और अंतिम शब्द स हमें सही दिशा की और समय का उपयोग करते हुये कदम बढाने का संदेश देता है । उक्त प्रेरणादायी बात गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के शिष्यरत्न मुनिराज श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म.सा. ने 50 दिवसीय प्रवचन माला के प्रथम दिवस पर श्री राजेन्द्र भवन राजगढ़ के प्रवचन मण्डप में कही । आपने कहा कि चार माह के वर्षाकाल में अनन्त जीवों की उत्पत्ति होती है । इस लिये साधु संत को एक स्थान पर स्थिरता रखने का शास्त्रों में विधान बताया गया है । इसी कारण साधु संत एक स्थान पर स्थिर रहकर स्वयं भी धर्म आराधना करते है और समाजजनों को आराधना के लिये प्रेरित करते है । चातुर्मास हमें मन, वचन, काया से संयम में रहने का उपदेश देता है । जीवन में यदि लाभ प्राप्त करना है तो हमें दूसरो का भला करने से ही प्राप्त होगा । साधु वेश तारणहार होता है इसी कारण लोग इस वेश की महत्ता को नमन करते है । सामान्य व्यक्ति को कोई नमन नहीं करता है । हमें संसार से संयम की ओर यात्रा करना है । साधु साध्वी जंगम तीर्थ होते है व हमेशा विचरण करते रहते है ।

 चातुर्मास प्रारम्भ होने के प्रथम दिन बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाओं ने पौषध व्रत का पालन किया । बड़ी संख्या में समाजजन प्रवचन श्रवण हेतु उपस्थित रहे । मुनिश्री ने कहा कि अट्ठम तप आराधना राजगढ़ श्रीसंघ में श्री मथूरालालजी प्यारचंदजी मोदी परिवार द्वारा श्रावण सुदी 9 से श्रावण सुदी 11 तक करवायी जावेगी ।

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