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मोदी सरकार द्वारा रसोई गैस के दामों में की गई 149 रूपये की भारी वृद्धि,देश के लिए असहनीय,अक्षम अर्थशास्त्रियों द्वारा लिये गये तुगलकी आर्थिक निर्णयों के कारण बढ़ रही है बेतहाशा महंगाई : शोभा ओझा

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 भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्षा श्रीमती शोभा ओझा ने आज जारी अपने वक्तव्य में कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव खत्म होते ही, रसोई गैस के दामों में हुई 149 रूपये की बढ़ोत्तरी, महंगाई से त्रस्त देश की जनता के जख्मों पर मोदी सरकार द्वारा छिड़का गया नमक है। नोटबंदी और गलत जीएसटी से उपजी भीषण महंगाई के बोझ तले दबी जनता की कमर तोड़ने के लिये, लिये गये मोदी सरकार के इस तुगलकी फैसले ने, न केवल गृहिणियों का बजट बिगाड़ कर रख दिया है बल्कि यह भी सिद्ध किया है कि देश के आर्थिक निर्णय, अक्षम और अयोग्य अर्धशास्त्रियों के द्वारा लिये जा रहे हैं।

 आज जारी अपने वक्तव्य में उपरोक्त विचार व्यक्त करते हुए श्रीमती ओझा ने आगे कहा कि बेलगाम महंगाई पर नियंत्रण कर पाने में नाकाम मोदी सरकार के कार्यकाल के पिछले पांच महीनों में, रसोई गैस के दामों में पहले ही 140 रूपये की वृद्धि की जा चुकी है, उसके बाद अब 12 फरवरी 2020 को अचानक फिर से एक साथ 149 रूपयों की वृद्धि, किसी भी नजरिये से जायज और तर्कसंगत नहीं ठहराई जा सकती।

 श्रीमती ओझा ने अपने बयान में आगे यह भी कहा कि बीते दिसंबर में जहां खुदरा मंहगाई दर केे पिछले चार सालों का रिकाॅर्ड टूटा है, वहीं जनवरी में खुदरा महंगाई 7.35 प्रतिशत रही, जो दिसंबर 2014 के बाद से अब तक की सबसे अधिक दर है। यही नहीं सब्जियों के दामों में 30 फीसदी का इजाफा और इस वर्ष के प्रारंभ में ही हुई रेल किराये में वृद्धि के साथ ही, यदि हम 2014 के दामों से 2020 के दामों की तुलना करें तो हम देखेंगे कि मोदी सरकार महंगाई को रोकने में पूरी तरह से असफल सिद्ध हो चुकी है। इस अवधि में सरसों तेल 45 से बढ़कर 122 रूपये, उड़द दाल 65 से बढ़कर 110 रूपये, तुवर दाल 70 से बढ़कर 100 रूपये, प्याज 17 से बढ़कर 74 रूपये, टमाटर 16 से बढ़कर 35 रूपये और आलू का भाव 15 से बढ़कर 28 रूपये हो गया है।

 अपने बयान में श्रीमती ओझा ने आगे कहा कि डीजल के मूल्य बढ़ने से रोजमर्रा की सभी चीजों के दामों में वृद्धि होती है लेकिन मोदी सरकार डीजल के दामों पर नियंत्रण रखने में भी पूरी तरह से नाकाम सिद्ध हुई है। भारत में डीजल के दाम जहां आसमान छूते हुए 70 रूपये के आसपास चल रहे हैं, वहीं भारत के मुकाबले कमजोर माने जाने वाले श्रीलंका में 41 रूपये, अफगानिस्तान में 42 रूपये, बांग्लादेश में 54 रूपये और पाकिस्तान जैसे मुल्क में भी 58 रूपये चल रहे हैं।

 अपने बयान के अंत में श्रीमती ओझा ने कहा कि मोदी सरकार को देश के सामने अब बिना शर्त माफी मांगते हुए यह स्वीकार कर लेना चाहिए कि वह महंगाई पर नियंत्रण रखने में नाकामयाब हो गई है और नोटबंदी व जीएसटी जैसे उसके विफल आर्थिक ‘‘मास्टरस्ट्रोकों’’ पर परदा डालने के लिए ही, वह देश की जनता को गैरजरूरी, विभाजनकारी और अनावश्यक मुद्दों में उलझाना चाहती है।
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