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काले कानूनों के विरुद्ध भोपाल के शांति मार्च में उमड़े जनसैलाब से बौखलाए भाजपा नेता दे रहे हैं ऊलजलूल बयान : शोभा ओझा

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 BHOPAL मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग की अध्यक्षा श्रीमती शोभा ओझा ने आज जारी अपने वक्तव्य में कहा कि एनआरसी और सीएए के मुद्दे को लेकर बैकफुट पर आ चुकी भारतीय जनता पार्टी के नरोत्तम मिश्रा और फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे नेता कह रहे हैं कि कांग्रेस इन मुद्दों पर भ्रम  फैलाने का काम कर रही है और भाजपा इन मुद्दों पर जनजागरण करना चाहती है। शायद नरोत्तम मिश्रा और फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे नेता इस जमीनी हकीकत को समझ नहीं पा रहे हैं कि केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए इन काले कानूनों के विरुद्ध, जनता पहले से ही जागरूक है और वह अब केंद्र की सोई हुई मोदी सरकार को जगाने का दृढ़ निश्चय कर चुकी है। प्रदेश की राजधानी भोपाल में मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ के नेतृत्व में निकले "शांति मार्च" में उमड़े जनसैलाब के बाद भाजपा और उसके नेताओं के द्वारा दिए जा रहे ऊलजलूल बयान, उनकी स्वाभाविक बौखलाहट का प्रतीक हैं। 

अपने वक्तव्य में श्रीमती ओझा ने आगे कहा कि मिश्रा और कुलस्ते का यह कहना भी बिल्कुल मिथ्या और भ्रामक है कि कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में अघोषित आपातकाल लागू कर रखा है। हकीकत तो यह है कि जब देश के अन्य राज्य इन मुद्दों पर हिंसा का शिकार हो गए हैं तब भी मध्यप्रदेश शांति का टापू बना हुआ है। भाजपा नेताओं को यह सच्चाई स्वीकार कर लेना चाहिए कि ऐसे काले कानूनों को देशभर में व्यापक असहमति के बाद भी लागू करने का फैसला लेकर देश को अस्थिर करने का काम भाजपा कि केंद्र सरकार ने किया है।

अपने बयान में श्रीमती ओझा ने आगे कहा कि फग्गन सिंह कुलस्ते और नरोत्तम मिश्रा के बयान भी, शिवराज जैसे प्रदेश भाजपा के अन्य बड़बोले नेताओं के बयानों की श्रंखला की ही अगली कड़ी हैं, जो किसी भी हाल में मीडिया की सुर्खियों और चर्चा में बने रहना चाहते हैं। फग्गन सिंह कुलस्ते का यह कहना कि वह भी प्रदेश भाजपा अध्यक्ष की दौड़ में शामिल हैं, अपने आप इन बातों की पुष्टि कर देता है।

अपने बयान के अंत में श्रीमती ओझा ने कहा कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव, कैलाश विजयवर्गीय, राकेश सिंह, प्रभात झा, उमा भारती, फग्गन सिंह कुलस्ते आदि का गुटीय संघर्ष, इतना बड़ा हो गया है कि इन सभी भाजपा नेताओं ने अपनी महत्वाकांक्षाओं के चलते बड़बोलेपन और अनुशासनहीनता की सभी सीमाएं अब लांघ दी हैं और बजाय सकारात्मक विपक्ष की भूमिका निभाने के, वे स्वयं को चर्चा में बनाए रखने के प्रयासों के तहत मध्यप्रदेश के विकास की राह में रोड़ा अटकाने के प्रयास करते रहते हैं।
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