राजगढ़ (धार)। धार जिले के राजगढ़ में प्रथम बार साधर्मिक भैरव भक्त मंडल द्वारा त्रिदिवसीय सर्वधर्म जन कल्याण महामहोत्सव आज 24 दिसबर मंगलवार से शुरू हुआ। इस आयोजन में निश्रा माँ पद्मावती के परम उपासक,कृष्णगिरी शक्तिपीठाधिपति सिद्ध साधक राष्ट्रसन्त यतिवर्य,मंत्र शिरोमणि,सर्वधर्म दिवाकर परम् पूज्य गुरुदेव डॉ वंसत विजयजी महाराज साहेब प्रदान कर रहे है । आज 24 से 26 दिसबर तक यह आयोजन मोहन गार्डन पर होगा। इसमे संगीतकार दीपक करण पुरिया एंड पार्टी भी शामिल होगी।
आज मंगलवार को प्रथम दिवस भव्य मंगल प्रवेश परम् पूज्य गुरुदेव डॉ वंसत विजयजी महाराज साहब का कृषि उपज मंडी राजगढ़ से भव्य मंगल प्रवेश हुआ। जिसमे बेंड बाजो साथ महिला मंडल ओर आदिवासी लोक नृत्य शामिल हुए। जिसके बाद धर्मसभा स्थल मोहन गार्डन पर गुरुदेव डॉ बसन्तविजयजी महाराज साहेब सभी धर्मलबिंयो के लिये विशाल धर्म सभा को संबोधित किया ।
गुरुदेव वसन्तविजयजी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा चाहना अलग है पाना अलग है । सद्गुरु की कृपा आवश्यक है। यह सन्तो की भूमि है, महापुरुषों का स्थल राजगढ़ है। राजेंद्र सूरीश्वरजी महाराज के कारण राजगढ़ गुरूओ का गढ़ है । गुरुओं किस पंथ किस धर्म के है यह मत देखो उनसे आपको क्या मिल रहा है यह देखो। पुण्यभूमि पर गर्व करोगे तो सोना उगलेगा। जड़ मजबूत हो जाए तभी सम्रद्धि माने जाओगे। स्वयं के बल से कुछ करोगे तो सम्मान मिलेगा। नाम मे शक्ति है,नाम की महिमा है। सच्ची सेवा तभी जब आपके पास बल होगा। शांति जब आएगी आप कम बोलेंगे, बोले तो चयनित शब्द बोले। आज 24 दिसबर को सायं 7:30 बजे माँ पद्मावती का नाटकीय कार्यक्रम का आयोजन होगा।
महामांगलिक के साथ भैरव भक्ति 25 को-
द्वितीय दिवस 25 दिसबर बुधवार रात्रि 7 बजे से गुरुदेव डॉ बसन्तविजयजी महाराज साहेब के मुखारविंद से सर्वजन हिताय,सर्वजन सुखाय ऐसी लोक कल्याणकारी महामांगलिक के साथ भैरव भक्ति का आयोजन होगा।
ऐसा करो व्यापार जिससे हो जावे बेड़ा पार 26 को-
तृतीय दिवस 26 दिसबर गुरुवार को अति विशेष कार्यक्रम राजगढ़ क्षेत्र के सभी व्यापारियों के लिये अति विशेष आशीर्वाद ऐसा करो व्यापार जिससे हो जावे बेड़ा पार का आयोजन रात्रि में 8 बजे से होगा।
मीडिया से बातचीत में कहा -विश्व शांति के लिए कहा संस्कार व रिश्तों का मूल्य बढ़ सके इसकी जागृति के लिए पाठ्यक्रम होना चाहिए। स्वयं में दूसरे के प्रति स्नेह मय होगा तभी शांति संभव है ।
जिसने संसार को असार माना वही सन्त...
साधु वेश पहना उन्हें धर्म की बात के सिवाय राजनीति नही करना चाहिए। अमूल्य वस्त्र साधु का है।
में ऐसे बना साधु-बसन्तविजयजी
कठिन परिस्थितियों में साधु बना हु। छोटे बचपन मे माता का पागल होना, भाई बहनों का मर जाना,पिता का एक्सीडेंट में मौत होना ऐसी घटनाओं ने सन्त पना बना दिया। इन घटनाओं ने निश्चित मेरे जीवन में लाया बैराग्य को उत्पन्न किया और समाज के प्रति सहानुभूति और समाज के प्रति सेवा के भाव भी लाए।