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भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर के द्वारा संसद के भीतर गोडसे को राष्ट्रभक्त बताना,संसद के साथ ही समूचे राष्ट्र का अपमान,दिखावटी कार्रवाई करने की बजाय प्रज्ञा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाये भाजपा,उनकी संसद की सदस्यता भी हो अविलंब समाप्त : शोभा ओझा



   भोपाल।  मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी मीडिया विभाग की अध्यक्ष श्रीमती शोभा ओझा ने आज जारी अपने वक्तव्य में भोपाल की भाजपा सांसद प्रज्ञा ठाकुर द्वारा नाथूराम गोडसे को राष्ट्रभक्त बताने संबंधी संसद में दिये गये बयान को घोर आपत्तिजनक और निंदनीय बताते हुए, इसे, ‘‘राजद्रोह’’ के समान बताया है। ओझा ने प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को चुनौती देते हुए मांग की है कि गोडसे का सम्मान और बापू का अपमान करने वाली प्रज्ञा के मामले में उनकी मंशा यदि वाकई साफ है तो उन्हें प्रज्ञा ठाकुर को संसदीय समिति से निकालने जैसी दिखावटी कार्रवाई करने की बजाय तत्काल भाजपा से निष्कासित करते हुए, संसद में दिये गये उनके आपत्तिजनक बयान के मद्देनजर अविलंब उनकी संसद सदस्यता भी समाप्त कर देनी चाहिए।

  श्रीमती ओझा ने अपने बयान में उपरोक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अभी कुछ महीनों पहले जब प्रज्ञा ठाकुर ने भोपाल में इसी तरह का बयान देते हुए गोडसे को राष्ट्रभक्त बताया था, तब प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा था कि ‘‘मैं प्रज्ञा को कभी मन से माफ नहीं कर पाऊंगा’’, लेकिन प्रज्ञा पर कोई सख्त कार्यवाही करने की बजाय, अभी पिछले दिनों ही केन्द्र सरकार ने उन्हें रक्षा मामलों की संसदीय समिति में मनोनीत कर दिया। केन्द्र सरकार से मिले इसी प्रोत्साहन और हौंसला अफजाई से उत्साहित प्रज्ञा ठाकुर ने, यदि संसद में फिर वही आपत्तिजनक बात दोहराई है तो इसमें केवल प्रज्ञा ही नहीं, केन्द्र सरकार, प्रधानमंत्री मोदी और पूरी भाजपा भी समान रूप से जिम्मेदार हैं, जिनके मौन समर्थन के कारण ही आतंकवाद के आरोपों में जमानत पर चल रही प्रज्ञा ठाकुर ने देश के पहले आतंकवादी और आर.एस.एस. के स्वंयसेवक नाथूराम गोडसे का महिमामंडन करने के साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपिता का अपमान भी किया है। प्रज्ञा ठाकुर को महज संसदीय समिति से निकाल कर, अपनी पीठ थपथपाने वाली भाजपा और उसके प्रधानमंत्री मोदी को, देश के सामने यह बताना चाहिए कि आखिर उन्हें रक्षा जैसी महत्वपूर्ण संसदीय समिति में लिया ही क्यों गया था? उनकी योग्यता का आधार क्या था? क्या राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और शहीद हेमंत करकरे का समय-समय पर अपमान करते रहना ही उनकी योग्यता का आधार है?

   अपने बयान के अंत में श्रीमती ओझा ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, उपरोक्त बयान के मद्देनजर प्रज्ञा का निष्कासन और संसद से उनकी सदस्यता समाप्त नहीं करते हैं तो देश के समक्ष यह स्पष्ट हो जाएगा कि राष्ट्रपिता और गोडसे को लेकर भाजपा और उसका शीर्ष नेतृत्व दोहरा आचरण कर रहा है और वह न सिर्फ प्रज्ञा के निंदनीय और आपत्तिजनक बयानों की अनदेखी कर रहा है, बल्कि प्रज्ञा को पूरी तरह से अपना समर्थन और प्रोत्साहन भी दे रहा है।
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