राजगढ़ (धार) : जैन धर्म के विशिष्ट आध्यात्मिक प्रकाशस्तंभ, विश्ववंदनीय परम पूज्य दादा गुरुदेव श्री राजेंद्र सुरिश्वरजी महाराज साहब की 200वीं द्वि-जन्म शताब्दी के पावन अवसर पर उनकी जन्मस्थली राजगढ़ नगर में आज एक अत्यंत भव्य एवं श्रद्धापूर्ण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके अंतर्गत उनके हस्तनिर्मित 421 पावन चित्रों की एक विशेष प्रदर्शनी लगाई गई तथा एक भव्य रथयात्रा का आयोजन किया गया।
प्रातः 8:00 बजे गुरु मंदिर राजेंद्र कॉलोनी से गाजे-बाजे एवं भजन-कीर्तन के साथ पावन रथयात्रा का शुभारंभ हुआ। रथ में दादा गुरुदेव की भव्य प्रतिमा विराजमान थी, जिसका मार्ग में विभिन्न स्थानों पर जैन समाज के श्रद्धालुओं ने गहुली (पुष्प-वर्षा) एवं अभिषेक करके पूजन-अर्चन किया। इस पवित्र यात्रा में मोहनखेड़ा से पधारे मुनि श्री जीतचंद्र विजयजी महाराज साहब का पावन सान्निध्य एवं आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
रथयात्रा राजेंद्र द्वार, मेन चौपाटी, चबूतरा चौक, जैन चौक होती हुई प्रातः 9:30 बजे राजेंद्र भवन पहुँची, जहाँ एक भव्य उद्घाटन समारोह आयोजित किया गया। मुख्य अतिथियों के रूप में मोहनखेड़ा तीर्थ के ट्रस्टी सुजानमल जी जैन,कांतिलाल जैन,छोटेलाल मामा, राजेंद्र खजांची, दिलीप पुराणी आदि विशिष्ट जैन समाजजनों ने संयुक्त रूप से फीता की गांठ खोलकर इस चित्र प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।
इस पुण्य कार्य को सफल बनाने में अशोक भंडारी,संदीप खजांची, राकेश राजावत,प्रीतेश सराफ,धर्मेंद्र भंडारी,सुनील चत्तर,कमलेश चत्तर, दिनेश चत्तर,राजेंद्र भंडारी,प्रवीण खिमेसरा,सोनू भंडारी,निलेश सराफ, सुभाष फरबदा,राजेंद्र जैन,हेमंत रोकडिया,महेंद्र मोदी सहित अनेक जैन समाज के सक्रिय सदस्यों का विशेष सहयोग रहा। कार्यक्रम स्थल पर लाभार्थी परिवारों द्वारा नवकारसी मंत्र के पाठ की भी व्यवस्था की गई थी।
यह सम्पूर्ण आयोजन दादा गुरुदेव के जीवन दर्शन,उनकी अहिंसा, अपरिग्रह और सद्भाव की शिक्षाओं को समर्पित रहा, जिसने जैन समुदाय में एक नई आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया।



