नई दिल्ली : (पीआईबी दिल्ली के माध्यम से) : आईसीसी महिला विश्व कप 2025 का खिताब जीतकर इतिहास रचने वाली भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आवास पर मुलाकात की। देव दिवाली और गुरु पूरब के पावन अवसर पर प्रधानमंत्री ने टीम को बधाई दी और उनके दो साल के कठिन सफर, मानसिक दृढ़ता तथा भविष्य के लक्ष्यों पर खुलकर चर्चा की।
2017 से 2025 तक का सफर: ट्रॉफी अब हमारे हाथ में
कप्तान हरमनप्रीत कौर ने 2017 में फाइनल हारने के बाद हुई पिछली मुलाकात को याद किया। उन्होंने कहा कि इस बार विश्व कप ट्रॉफी के साथ प्रधानमंत्री के सामने उपस्थित होना 'बहुत ऑनर' की बात है।
हरमनप्रीत कौर ने कहा, "उस टाइम हम ट्रॉफी के साथ नहीं आए थे, लेकिन ये हमारे लिए बहुत ऑनर की बात है, कि इस बार हम आपको... वो ट्रॉफी यहां पे लेकर आ पाए।"
स्मृति मंधाना ने कहा कि यह वर्ल्ड कप जीत डेस्टिनी थी कि भारत में ही पहला महिला विश्व कप आएगा। उन्होंने प्रधानमंत्री के पिछले मार्गदर्शन को याद किया जिसने उन्हें 'एक्सपेक्टेशंस' से निपटने में मदद की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में क्रिकेट एक खेल नहीं, देश की जिंदगी बन गया है, और उन्होंने लगातार तीन मैच हारने के बाद टीम का आत्मविश्वास डगमगाने वाले ट्रोलिंग सेना का भी उल्लेख किया।
मानसिक दृढ़ता और टीम भावना: 'गिरने के बाद उठना ही चैंपियन टीम की निशानी'
खिलाड़ियों ने लगातार हार के बाद एकजुट होकर वापसी करने के अनुभव साझा किए।
जेमिमाह रॉड्रिक्स ने टीम की परिभाषा बताते हुए कहा, "एक टीम की पहचान इससे नहीं होती कि वह कितनी बार जीतती है, बल्कि इससे होती है कि वह हार के बाद खुद को कैसे उठाती है।" उन्होंने टीम की बेहतरीन यूनिटी की सराहना की, जहाँ खिलाड़ी एक-दूसरे की सफलता पर ताली बजाते थे और मुश्किल समय में हौसला बढ़ाते थे।
स्नेह राणा ने इस बात पर सहमति जताई कि, "सबकी सक्सेस में तो सब साथ होते हैं, लेकिन जब किसी का डाउनफॉल चलता है तो उस टाइम और भी ज्यादा साथ देना जरूरी है।"
दीप्ति शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री की कूल और शांत (Calm and Composed) शैली उन्हें पर्सनली गेम में मदद करती है, खासकर जब उन्हें मुश्किल से बाहर निकलना होता है। उन्होंने अपने हनुमान जी के टैटू पर अपनी श्रद्धा भी व्यक्त की।
कोच ने बताया कि सपोर्ट स्टाफ को किंग चार्ल्स से मिलने का मौका नहीं मिला, पर उन्होंने कहा था कि उन्हें 4-5 नवंबर को 'मोदी जी के साथ फोटोग्राफ' चाहिए।
व्यक्तिगत वीरता और जीत के यादगार पल
टीम के सदस्यों ने विश्व कप के दौरान हुए कुछ व्यक्तिगत और प्रेरणादायक किस्से सुनाए:
हरमनप्रीत कौर ने जीतने के बाद गेंद को जेब में रखने के भावनात्मक कारण का खुलासा किया, "वो बॉल मेरे पास आई और बस इतने सालों की मेहनत इतने सालों की वेट ये था कि अब ये मेरे पास आई है तो ये मेरे पास ही रहेगी।"
अमनजोत कौर ने अपने फाइनल कैच को टर्निंग पॉइंट बताया, जिसे लेते समय उन्हें ट्रॉफी दिखने लगी थी।
शेफाली वर्मा, जो रोहतक से हैं, ने बताया कि उन्होंने पहलवानी की बजाय क्रिकेट अपने पापा के सपने को पूरा करने के लिए चुना। उन्होंने कैच लेने से पहले हंसने की वजह बताई, "बस मैं मन मन में बोल रही थी आजा कैच आजा मेरे पास आजा।"
उमा छेत्री,जो नॉर्थ ईस्ट से भारत के लिए खेलने वाली पहली लड़की हैं, ने अपना डेब्यू अनुभव साझा किया।
तेज गेंदबाज रेणुका सिंह ठाकुर की प्रेरणास्रोत माताजी को प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से प्रणाम किया, जिन्होंने सिंगल पैरेंट होने के बावजूद अपनी बेटी की सफलता में बड़ा योगदान दिया।
प्रधानमंत्री का भविष्य का मंत्र: खेल से समाज तक प्रेरणा
प्रधानमंत्री ने महिला टीम को उनकी सफलता की शक्ति का उपयोग देश को आगे ले जाने के लिए करने का आग्रह किया।
'वन डे वन स्कूल' पहल: प्रधानमंत्री ने कहा, "साल में जब भी मौका मिलेगा। वन डे वन स्कूल तीन स्कूल करें एक साल में।" उन्होंने खिलाड़ियों से अपनी पुरानी स्कूलों में जाकर बच्चों से बात करने और उन्हें प्रेरित करने का आग्रह किया।
फिट इंडिया के लिए आग्रह: उन्होंने खिलाड़ियों से फिट इंडिया मूवमेंट को आगे बढ़ाने और विशेष रूप से बेटियों को फिटनेस के लिए जागरूक करने का आह्वान किया, क्योंकि भारत में मोटापा (Obesity) एक बड़ी समस्या बनता जा रहा है।
स्मृति मंधाना ने आश्वासन दिया कि टीम का लक्ष्य अब सिर्फ क्रिकेट ही नहीं, बल्कि "वुमेन स्पोर्ट्स को revolutionize" करना है।
प्रधानमंत्री ने सभी खिलाड़ियों को शुभकामनाएं दीं और जल्द ही उनके पूरी तरह स्वस्थ होने की कामना की।



