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स्कॉटिश क्रैंगो सेंटर में Debabrata Pal का “Sensory Escapism”: डांस और आर्ट का अनोखा संगम


कला की दुनिया में समय-समय पर ऐसे प्रयोग सामने आते हैं जो न केवल दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं बल्कि यह भी साबित करते हैं कि कला की कोई सीमाएँ नहीं होतीं। हाल ही में Scottish Crango Centre में हुए एक विशेष आयोजन ने इसी विचार को साकार किया। यहाँ बहु-आयामी कलाकार Debabrata Pal ने अपने अनोखे Dance while Painting कॉन्सेप्ट के साथ-साथ अपनी नवीन तकनीक Sensory Escapism प्रस्तुत की, जिसने सभी को गहराई से प्रभावित किया।

यह कार्यक्रम केवल एक नृत्य प्रस्तुति नहीं था, बल्कि यह एक प्रयोग था कि किस प्रकार बधिर और दृष्टिहीन समुदाय भी कला से जुड़ सकते हैं और उसे महसूस कर सकते हैं। सामान्यतः डांस को देखने और सुनने से जोड़ा जाता है, लेकिन Debabrata Pal ने यह दिखाया कि डांस केवल आंखों और कानों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे शरीर और आत्मा की भाषा है। उन्होंने अपने प्रदर्शन के दौरान शरीर की कंपन, हाथों के संकेत और हल्की-फुल्की गतिविधियों का उपयोग करते हुए यह स्पष्ट किया कि संवेदना के स्तर पर हर व्यक्ति कला से जुड़ सकता है।

Sensory Escapism नामक उनकी तकनीक दर्शकों और प्रतिभागियों को लय और प्रवाह में पूरी तरह डूबने का अवसर देती है। इसमें केवल संगीत सुनने या नृत्य देखने का अनुभव नहीं होता, बल्कि हर कोई सामूहिक ऊर्जा और वातावरण का हिस्सा बन जाता है। इस तकनीक का मुख्य उद्देश्य यह संदेश देना है कि कला सबके लिए है—चाहे व्यक्ति सुन न सके या देख न सके, वह फिर भी नृत्य और कला का आनंद ले सकता है।

इस प्रस्तुति की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि इसमें डांस और पेंटिंग का एक अद्भुत संगम देखने को मिला। Debabrata Pal ने नृत्य की लय के साथ-साथ कैनवास पर रंग बिखेरते हुए एक अनूठी कला-रचना तैयार की। हर ब्रश स्ट्रोक में नृत्य की ऊर्जा और भावनाएँ झलक रही थीं। यह केवल एक चित्र नहीं था, बल्कि यह उस क्षण का जीवंत प्रतिबिंब था जिसमें रंग और गति का अद्भुत तालमेल स्थापित हुआ।

दर्शकों के लिए यह अनुभव अत्यंत प्रेरणादायी रहा। बहुत से लोगों ने माना कि यह प्रस्तुति उन्हें यह सोचने पर मजबूर कर गई कि कला का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं है, बल्कि यह समाज के हर वर्ग को जोड़ने और समानता का संदेश देने का एक माध्यम भी है।

प्रदर्शन के बाद Debabrata Pal ने अपने विचार साझा करते हुए कहा:
“डांस केवल मनोरंजन या कहानी कहने का साधन नहीं है। यह हर शरीर और हर क्षमता को अभिव्यक्ति से जोड़ने का तरीका है। कंपन, संकेत और साझा ऊर्जा के माध्यम से, बधिर और दृष्टिहीन समुदाय भी डांस को उतनी ही गहराई से महसूस कर सकते हैं जितना कोई और।”

Scottish Crango Centre का यह आयोजन यह दर्शाता है कि स्कॉटलैंड किस तरह inclusive art practices को बढ़ावा दे रहा है। आज जब पूरी दुनिया विविधता और समानता की ओर बढ़ रही है, ऐसे आयोजनों का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह स्पष्ट करता है कि कला केवल कुछ लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हर किसी का अधिकार है।

यह प्रस्तुति न केवल एक कलात्मक अनुभव थी बल्कि यह एक सामाजिक संदेश भी थी—समावेशन, समानता और संवेदनशीलता का। इसने साबित किया कि जब कला की बात आती है तो कोई भी सीमा या बाधा मायने नहीं रखती। चाहे वह भाषा की हो, दृष्टि की हो या सुनने की, कला उन सबको पार कर जाती है और हमें एक साथ जोड़ती है।

Debabrata Pal और Scottish Crango Centre का यह प्रयास आने वाले समय में कला की दुनिया में समावेशी दृष्टिकोण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाएगा। यह सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह याद दिलाने वाला संदेश था कि कला सचमुच सबके लिए है।

 

 

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