राजगढ़ (धार)। परम पूज्य पुण्य सम्राट श्रीमद्विजय जयंतसेनसुरीश्वरजी महाराजा के सेवाभावी शिष्यरत्न एवं गच्छाधिपति, हृदय सम्राट श्रीमद्विजय नित्यसेनसुरीश्वरजी म.सा. व आचार्य देवेश श्रीमद्विजय जयरत्न सुरीश्वरजी म.सा. के आज्ञानुवर्ती मुनिराज श्री प्रत्यक्षरत्नविजयजी म.सा. एवं मुनिराज श्री पवित्ररत्नविजयजी म.सा. का दादा गुरुदेवश्री की स्वर्गारोहण पुण्यभूमि, राजगढ़ नगर में आगमन हुआ ।
उक्त जानकारी देते हुए नवयुवक परिषद् अध्यक्ष श्री मांगीलाल मामा ने बता कि नगर प्रवेश के पूर्व मोहनखेड़ा गेट पर राजगढ़ श्रीसंघ एवं परिषद परिवार के सदस्यों ने पूज्य मुनिद्वय की अगुवानी की । नगर प्रवेश कर पूज्यश्री श्री राजेंद्र भवन पधारे जहां पर प्रभु श्री महावीर स्वामी भगवान के दर्शन कर पूज्य दादा गुरुदेवश्री की स्वर्गारोहण पुण्यभूमि पर श्री संघ के साथ दर्शन - वंदन किया ।
पश्चात प्रातः 9:30 बजे मुनि श्री द्वारा प्रवचन में फरमाया कि संसार में बंधन के कारण राग और द्वेष ही है । जड़ के प्रति राग और जीव के प्रति द्वेष के कारण ही संसार बढ़ रहा है । रागादि बुद्धि को नष्ट करने हेतु संभव ही श्रेष्ठ उपाय है । सर्व परिस्थिति में समभाव रखने का प्रयास करें । किसी भी जीव या जड़ के प्रति राग द्वेष के भाव में आकर निंदादि न करें ।
दोपहर में परिषद परिवार के सदस्यों द्वारा मुनिश्री से मिलकर धर्मचर्चा की गई पश्चात सदस्यों द्वारा मुनिश्री द्वारा मालवा में पधारकर श्रीसंघों में की जा रही अनेक जिनशासन प्रभावना के कार्य की अनुमोदना की व आगामी चातुर्मास तथा मालवा के सभी श्रीसंघ में धर्मवाणी प्रसार हेतु अग्रिम शुभकामनाएं प्रेषित की ।
ज्ञातव्य यह है कि मुनिश्री का इस वर्ष प्रथम चातुर्मास नागदा जंक्शन में होगा । पूज्य श्री गुजरात से उग्र विहार कर मालवा के अनेक श्रीसंघो व श्री मोहनखेड़ा तीर्थ की स्पर्शना करते हुए नागदा जंक्शन हेतु विहाररत है ।