सनातन धर्म हमारा, हम भगवा वाले हैं...-नरेंद्र अटल,की गूंज से गूंजा चबूतरा चौक
राजगढ़ (धार)। प्रभु श्रीराम जन्मोत्सव के पावन अवसर पर रविवार रात्रि को चबूतरा चौक पर सराफा एसोसिएशन, हिन्दू उत्सव समिति और दत्तिगांव सोशल ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में अखिल भारतीय विराट कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत प्रभु श्रीराम की आरती और जय श्रीराम के जयकारों के साथ हुई।
मंच के प्रेरणा स्रोत स्वर्गीय राजा श्री प्रेमसिंहजी दत्तिगांव (पूर्व विधायक), स्वर्गीय श्री चांदमलजी सोनी (ट्रस्टी), स्वर्गीय श्री शांतिलालजी सुराणा, स्वर्गीय श्री बाबूलालजी सोनी, स्वर्गीय श्री सुमेतिलालजी सराफ, जीवदया प्रेमी गुरुभक्त स्वर्गीय श्री दीपेशजी फरबदा (आरडी) और वनवासी हिन्दू कार्यकर्ता स्वर्गीय श्री अभिषेकजी भूरिया को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए दो मिनट का मौन रखा गया।
कार्यक्रम में अतिथि के रूप में एसडीओपी विश्वदीप परिहार, थाना प्रभारी दीपक सिंह चौहान, भाजपा नेता डॉ. बल बहादुर सिंह राठौर और डॉ. आशीष वैद्य उपस्थित रहे। सभी अतिथियों का स्वागत किया गया। कार्यक्रम संयोजक और भाजपा नेता नीलेश सोनी ने स्वागत भाषण दिया।
कवि सम्मेलन में देशभर से आए ख्यातिप्राप्त कवियों ने वीर रस, श्रृंगार रस, हास्य और व्यंग्य से भरी रचनाएं प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। कवियों में लोकेश महाकाली (हास्य रस, श्रीनाथद्वारा), नरेंद्र अटल (वीर रस, महेश्वर), दीपिका व्यास (श्रृंगार रस, ओझर), कन्हैया राज (गीतकार), लोकेश जड़िया (हास्य व्यंग्य, धार), राम परिंदा (हास्य रस, मनावर), पंकज विश्वकर्मा (हास्य रस, बरमंडल), नगेंद्र ठाकुर (वीर रस, राजगढ़) शामिल रहे।
कवि नरेंद्र अटल ने “सनातन धर्म हमारा, हम भगवा वाले हैं” और “राम आ गए हैं, अब श्याम भी आएंगे” जैसी ओजपूर्ण रचनाएं प्रस्तुत कीं। दीपिका व्यास ने “बनूं मैं आपकी राधा, मेरे तुम श्याम बन जाओ” जैसे मुक्तक और प्रभु श्रीराम पर आधारित रचना सुनाई। कन्हैया राज ने “प्रेम पत्थर को भी भगवान बना देता है” जैसी रचना प्रस्तुत की। राम परिंदा ने छोड़ कपट छल बन जरा निश्छल,फिर एक लोटा जल सब समस्याओं का हल,व “वो मांझी बन गया राम का प्यारा” मुक्तक सुनाकर श्रोताओं की सराहना प्राप्त की। लोकेश महाकाली ने प्राण देके तुमने अपना फर्ज़ निभाया। माँ के दूध, माटी का कर्ज़ चुकाया। तो वीरता का मैंने भी प्रमाण दिया है। मांग के सिन्दूर का बलिदान किया है। किंतु ना मैं विधवा ना रहूंगी अभागन। तुम अमर कहाओगे, मैं सदा सुहागन । पंकज विश्वकर्मा अपने पूरे रंग में रहे और लोकेश जड़िया ने हास्य व्यंग्य रचनाओं से भरपूर शानदार संचालन किया ओर खूब तालियां बटोरीं।
कवि नगेंद्र ठाकुर ने ""टंट्या भील ""। टंट्या की समाधि पर जब-जब भी जाएंगे। निश्चित ही देशभक्ति के गीत गाएंगे। ऐसा वीर महाबली कहां पाएंगे । अनाम शहीदों को हम शीश नवाएंगे। ""श्रद्धांजलि""। ज्यों अमराई राह ताकती रहती ,कोयल की मीठी टैर की ।उतनी ही आवश्यकता होती ,जंगल को एक शेर की । राजनैतिक तपिश में ,जरूरत है ठंडी छांव की । बहुत याद आती है हमें , स्वर्गीय राजा प्रेमसिंह जी दत्तीगांव गांव की।
कार्यक्रम का मंच संचालन अक्षय भंडारी ने किया और आभार प्रदर्शन सोनिक सराफ द्वारा किया गया।