प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज विज्ञान भवन, नई दिल्ली में नवकार महामंत्र दिवस का उद्घाटन किया और उसमें भाग लिया। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने नवकार मंत्र के गहन आध्यात्मिक अनुभव को रेखांकित किया और बताया कि यह मंत्र मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है। उन्होंने उस असाधारण शांति की अनुभूति को साझा किया जो शब्दों और विचारों से परे होती है और सीधे मन और चेतना में गूंजती है। प्रधानमंत्री ने नवकार मंत्र के पवित्र श्लोकों का उच्चारण किया और इसे ऊर्जा की एक एकीकृत धारा बताया, जो स्थिरता, समता और अंतःप्रकाश के लयबद्ध प्रवाह को दर्शाती है।
अपने व्यक्तिगत अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने बताया कि आज भी वे नवकार मंत्र की आध्यात्मिक शक्ति को स्वयं में अनुभव करते हैं। उन्होंने वर्षों पहले बेंगलुरु में एक ऐसे ही सामूहिक जाप कार्यक्रम का उल्लेख किया जिसने उन पर गहरी छाप छोड़ी थी। उन्होंने देश-विदेश के करोड़ों पुण्य आत्माओं के एकजुट होकर मंत्र जाप करने के अद्वितीय अनुभव को अभूतपूर्व बताया।
अपने गुजरात से जुड़े अनुभवों का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि जैन धर्म का प्रभाव हर गली में देखने को मिलता है और बचपन से ही उन्हें जैन आचार्यों का सान्निध्य प्राप्त हुआ। “नवकार मंत्र केवल एक मंत्र नहीं, बल्कि आस्था का मूल और जीवन का सार है,” उन्होंने बलपूर्वक कहा। हर श्लोक और प्रत्येक अक्षर का गहरा अर्थ है। उन्होंने पंच परमेष्ठी को नमन करते हुए बताया—
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अरिहंत, जिन्होंने केवल ज्ञान प्राप्त कर लिया है और भव्यों का मार्गदर्शन करते हैं – उनके 12 दिव्य गुण हैं।
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सिद्ध, जिन्होंने आठ कर्मों को नष्ट कर मोक्ष प्राप्त किया है – उनके 8 शुद्ध गुण होते हैं।
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आचार्य, जो महाव्रत का पालन करते हैं – 36 गुणों से युक्त होते हैं।
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उपाध्याय, जो मोक्ष मार्ग का ज्ञान कराते हैं – उनके 25 गुण होते हैं।
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साधु, जो तपस्या द्वारा आत्मशुद्धि करते हैं – उनके 27 महान गुण होते हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जब नवकार मंत्र का जाप किया जाता है, तब हम 108 दिव्य गुणों को नमन करते हैं और संपूर्ण मानवता की भलाई की कामना करते हैं। उन्होंने बताया कि यह मंत्र आत्मविश्वास जगाता है और अपनी यात्रा आरंभ करने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि असली शत्रु हमारे अंदर होता है—नकारात्मकता, अविश्वास, द्वेष, स्वार्थ—और इन्हें जीतना ही सच्ची विजय है। जैन धर्म बाहरी नहीं, आत्म-विजय का संदेश देता है।
उन्होंने नवकार मंत्र को मानव साधना, अभ्यास और आत्म-शुद्धि का मंत्र कहा। यह मंत्र जैसे भारतीय मौखिक और शास्त्रीय परंपराओं की तरह, पीढ़ियों से मौखिक रूप में, फिर शिलालेखों और बाद में प्राकृत ग्रंथों के माध्यम से आज तक मानवता को मार्ग दिखा रहा है। नवकार मंत्र सही ज्ञान, सही दृष्टि और सही आचरण का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री ने भारतीय संस्कृति में नौ (9) संख्या के विशेष महत्व को रेखांकित किया। जैन धर्म में नवकार मंत्र, नव तत्व, नव गुण, और अन्य परंपराओं में नौ रत्न, नौ द्वार, नवग्रह, नौ रूपों वाली दुर्गा, नवधा भक्ति का भी उल्लेख किया। मंत्रों का 9, 27, 54, 108 बार जाप करना भी पूर्णता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि 9 केवल गणित नहीं, बल्कि एक दर्शन है—पूर्णता का प्रतीक।
प्रधानमंत्री ने कहा कि नवकार मंत्र की यह दर्शन विकसित भारत की सोच से मेल खाती है—जो प्रगति भी करेगा और विरासत को भी थामे रखेगा। उन्होंने कहा कि नया संसद भवन, जो लोकतंत्र का मंदिर है, उसमें भी जैन धर्म का प्रभाव स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। उन्होंने संसद के शार्दूल द्वार पर सम्मेद शिखर की झांकी, लोकसभा के प्रवेश द्वार पर ऑस्ट्रेलिया से लौटाई गई तीर्थंकर की मूर्ति, संविधान गैलरी की छत पर भगवान महावीर की भव्य पेंटिंग, तथा दक्षिण भवन की दीवार पर 24 तीर्थंकरों के चित्र का उल्लेख किया।
उन्होंने कहा कि जैन ग्रंथों की परंपरा जैसे “वत्तु सहावो धम्मो”, “चरित्तं खलु धम्मो”, “जीवणा रक्खणं धम्मो” आज भी भारत को सही दिशा दे रहे हैं। “सबका साथ, सबका विकास” मंत्र इन्हीं मूल्यों से प्रेरित है।
प्रधानमंत्री ने प्राकृत और पाली भाषाओं को शास्त्रीय भाषा का दर्जा देने के सरकार के निर्णय को भी रेखांकित किया, जिससे जैन साहित्य पर शोध को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने “ज्ञान भारतम् मिशन” के अंतर्गत प्राचीन ग्रंथों के डिजिटलीकरण की योजना साझा की।
उन्होंने कहा कि जैन धर्म वैज्ञानिक भी है और संवेदनशील भी। इसके मूल सिद्धांत जैसे अहिंसा और अनेकांतवाद आज के युद्ध, आतंकवाद और पर्यावरणीय संकटों के समाधान दे सकते हैं। “परस्परोपग्रहो जीवानाम्” का जैन प्रतीक यह दर्शाता है कि जीवन परस्पर सहयोग से ही पनपता है। उन्होंने Mission LiFE का उल्लेख किया और जैन परंपरा को इसका जीवंत उदाहरण बताया।
प्रधानमंत्री ने युवाओं के लिए संतुलित जीवन—ज्ञान और विवेक के मेल—की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि नवकार मंत्र नई पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक बन सकता है।
उन्होंने नवकार मंत्र के सामूहिक जाप के पश्चात 9 संकल्पों को लेने का आह्वान किया:
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जल संरक्षण – हर बूंद की कद्र करें।
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माँ के नाम एक पौधा – मां के आशीर्वाद की तरह उसका पालन करें।
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सफाई अभियान – हर गली, मोहल्ले और शहर को साफ रखें।
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वोकल फॉर लोकल – देशी उत्पादों को अपनाएं और उन्हें वैश्विक बनाएं।
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भारत की खोज करें – विदेश जाने से पहले भारत को जानें।
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प्राकृतिक खेती अपनाएं – रसायन मुक्त धरती की ओर बढ़ें।
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स्वस्थ जीवनशैली – संतुलित आहार, मोटे अनाज और कम तेल का सेवन।
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योग और खेल को अपनाएं – दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
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गरीबों की मदद करें – यही सेवा का सच्चा भाव है।
उन्होंने कहा कि ये 9 संकल्प समाज में शांति, करुणा और ऊर्जा का संचार करेंगे।
अंत में, प्रधानमंत्री ने रत्नत्रय, दशलक्षण, सोलह कारण, पर्युषण पर्व जैसे सिद्धांतों के माध्यम से आत्म कल्याण के मार्ग को रेखांकित किया। उन्होंने चारों संप्रदायों के एक साथ आने को एकता का प्रतीक बताया और "भारत माता की जय" बोलने वाले हर व्यक्ति को जोड़ने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने गुरु भगवंतों के आशीर्वाद के लिए कृतज्ञता व्यक्त की और इस ऐतिहासिक आयोजन के लिए सम्पूर्ण जैन समाज को बधाई दी। उन्होंने JITO के पदाधिकारियों सहित सभी साधु-साध्वियों, श्रद्धालुओं और देश-विदेश से भाग लेने वाले सभी लोगों को साधुवाद दिया।