एक ओर मध्यप्रदेश सरकार अभयारण्यों के संरक्षण हेतु प्रतिबद्ध बता रही है, वहीं अब सरदारपुर खरमोर अभयारण्य कई महत्वपूर्ण प्रश्न खड़े कर रहा है। साथ ही खरमोर पक्षी की घटती संख्या के पीछे 41 वर्षों में अभयारण्य की उचित देखरेख न किया जाना बताया जा रहा है।
खरमोर अभयारण्य पर हुए 5 वर्षों में 57.30 लाख खर्च, सरदारपुर विधायक प्रताप ग्रेवाल ने विधानसभा में प्रश्न उठाया था, जिसके जवाब में यह खुलासा हुआ। विधायक प्रताप ग्रेवाल द्वारा पूछे गए प्रश्न के जवाब में राज्य वन मंत्री श्री दिलीप अहिरवार ने बताया कि सागर जिले में प्रस्तावित नए अभयारण्य की अधिसूचना प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद सरदारपुर अभयारण्य के पुनर्गठन की अधिसूचना जारी होगी। सरदारपुर अभयारण्य का 215.28 वर्ग किमी क्षेत्र कम किया जाएगा, जिसका समायोजन कूनो राष्ट्रीय उद्यान, कर्मझिरी अभयारण्य और सागर जिले के नए अभयारण्य में किया जाएगा।
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गौरतलब है कि पिछले दो वर्षों से सरदारपुर अभयारण्य में कोई भी खरमोर पक्षी दर्ज नहीं किया गया है, फिर भी संरक्षण के नाम पर लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। यह न केवल सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता पर सवाल खड़ा करता है, बल्कि संरक्षण प्रयासों की प्रभावशीलता पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न लगाता है।
अब सवाल उठता है...
सरदारपुर अभयारण्य में घटते खरमोर और बढ़ते खर्च की यह कहानी निश्चित रूप से एक बड़े सवाल की ओर इशारा करती है—क्या संरक्षण के नाम पर केवल बजट की बंदरबांट हो रही है? सरदारपुर अभयारण्य के संरक्षण पर खर्च किए गए करोड़ों रुपये और नतीजों में भारी अंतर बताता है कि यह योजना प्रभावी साबित नहीं हो रही है। यह सरकार के लिए एक गंभीर आत्ममंथन का विषय है। उम्मीद है कि मध्यप्रदेश सरकार वन्यजीव संरक्षण को लेकर ठोस कदम उठाएगी और जनता को सही जवाब देगी।