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किसान उगा रहे ज़हर और धरती को कर रहे बीमार, श्री करौली शंकर महादेव ( Karauli Shankar Mahadev )

आज दिनांक 7 नवंबर 2024, गुरुवार को देव परोपकार सेवा संस्थान के तत्वाधान में श्री देव सिंह जी की 22वीं पुण्यतिथि के अवसर पर देव सिंह स्मारक महाविद्यालय, गांवडी में एक विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में श्री करौली शंकर (गुरुजी) ( Karauli Shankar Mahadev) को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था।


इस आयोजन में लगभग 2000 महिलाओं को साड़ी और 1000 से अधिक कमज़ोर आँखों वाले लोगों को चश्मे वितरित किए गए। 450 मोतियाबिंद के मरीज़ों के ऑपरेशन हेतु 450 रुपये प्रति मरीज़ भेजे गए और विभिन्न चिकित्सा शिविरों में लोगों का निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण और दवाइयों का वितरण किया गया।


कार्यक्रम के दौरान विशाल भंडारे का आयोजन हुआ जिसमें लगभग 10,000 लोगों ने भोजन ग्रहण किया। यह आयोजन प्रतिवर्ष 7 नवंबर को होता है, जिसमें लोगों को कृषि, स्वास्थ्य और अन्य जागरूकता से संबंधित जानकारियाँ प्रदान की जाती हैं।


इस मौके पर गुरुजी ने प्राकृतिक खेती और जल संरक्षण के महत्व पर विशेष जोर दिया और विद्यार्थियों को शिक्षा में उत्कृष्टता के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने घोषणा की कि 75% अंक प्राप्त करने वाले छात्रों को साइकिल और 95% से अधिक अंक प्राप्त करने वालों को हीरो होंडा बाइक इनाम में दी जाएगी।


गुरुजी ने अपने संबोधन में किसानों को रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक खेती अपनाने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि “हम भारत जैसे कृषि प्रधान देश में रहते हैं, लेकिन हमारी कृषि आज पूरी तरह से ज़हरीली हो चुकी है। जब हम किसानों से मिलते हैं और बात करते हैं, तो हमें आश्चर्य नहीं होता कि वे खेती में ज़हर डालते हैं, लेकिन हमें आश्चर्य तब होता है जब वे खुद और उनके परिवार यही ज़हर खाते हैं। इससे धरती बीमार हो रही है और यदि इसे नहीं रोका गया तो मानव जाति पर इसका गंभीर असर होगा।”


गुरुजी ने जलवायु परिवर्तन के असली कारणों पर ध्यान देने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि “पराली जलाना मुख्य समस्या नहीं है, बल्कि धरती को खोदकर कोयला, तेल निकालना और जंगलों को काटना असली कारण हैं। हमारे खेतों में बिना किसी उर्वरक के प्राकृतिक खेती करना संभव है, बस इसके लिए हमें गायों की रक्षा और उनका पालन करना होगा।”


इस कार्यक्रम का उद्देश्य लोगों को कृषि, स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति जागरूक बनाना और प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण के लिए प्रेरित करना था।

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