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केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर की दाहोद रेलवे लाइन पर समीक्षा बैठक,यह कैसी पक्षियों के संरक्षण की लीला?

 



(अक्षय भंडारी की रिपोर्ट)


     राजगढ़ (धार)। विकसित भारत संकल्प यात्रा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैऔर इसी दिशा में मोहन सरकार भी अनेक निर्णय ले रही है। लेकिन सरदारपुर विधानसभा में खरमोर अभ्यारण्य के कारण 14 गांव अधिसूचित हैंजिसके चलते कई वर्षों से विकास परियोजनाओं में देरी और रुकावटें आ रही हैं। यह स्थिति न केवल स्थानीय विकास को प्रभावित कर रही हैबल्कि इन गांवों की प्रगति में भी बाधा बन रही है। सरकार को इस मुद्दे का समाधान निकालते हुएविकास कार्यों को प्राथमिकता देनी चाहिए ताकि इन गांवों का समग्र विकास सुनिश्चित हो सके।

 

  वन विभाग की कार्यशैली बताती की कितनी लापरवाही कर दी आपने.... मामला मध्यप्रदेश के धार जिले के सरदारपुर विधानसभा का है....सरदारपुर में खरमोर पक्षी के संरक्षण में बनाया गया जून 1983 में खरमोर अभ्यारणय ओर उसमे अधिसूचित 14 गांव है....अभ्यारणय से लगभग किलोमीटर की परिधि में अधिसूचित ग्राम अमोदिया आता है उस परिधि क्षेत्र में वर्ष 2008 में पॉवर ग्रिड कार्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ने अधिसूचित क्षेत्र में ग्रिड बना दिया गया....वही दुसरीं तरफ रेलेवे बोर्ड को देखा जाए तो अभ्यारणय क्षेत्रो में इसलिये अनुमति नही मिलती है क्योकि रेल लाइन में 22000 वाल्ट की हाई टेंशन लाइन होती जो पक्षियों के लिये खरतनाक होती है....इधर केंद्रीय राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर ने मंगलवार को शाम को राजगढ़ की नगर परिषद सभागार में रेल मंडल इंदौर एवं बड़ौदा के अधिकारियोंजनप्रतिनिधियोंतथा क्षेत्र के ग्रामीणों की मौजूदगी में दाहोद रेलवे लाइन को लेकर समीक्षा बैठक की।  केंद्रीय मंत्री दिलासा देती रही कि खरमोर अभ्यारणय में 14 गांव को बाहर करने के लिये में प्रतिबद्ध हूं और इसे जल्द निराकरण करेगे। 

 

रेलवे विभाग को नही मिली अनुमति- 

 

  बैठक में उप मुख्य अभियंता निर्माण II पश्चिम रैलवे बोर्ड इंदौर श्री एल.एन.राव व बड़ौदा के अंकित गुप्ता ने बताया रेलवे बोर्ड को किसी भी अभ्यारण्य क्षेत्र में फारेस्ट क्लियरनेस लेने में इसलिए समस्या आ रही हे की 22 हजार वाल्ट की हाई टेंशन लाइन से पछियों को  खतरा रहता हे।जिससे अनुमति नही मिल पाती है। रेलवे विभाग कर चुका हे 350 करोड़ खर्च  विभाग को 600  करोड़ और इस वर्ष खर्च करने के लिए मिले हैं।


  रेलवे के अधिकारी ने बैठक में बताया  कि खरमोर अभ्यारण क्षेत्र की  अनुमति  में काफी समय लगता है क्योंकि फोरलेन विभाग ने 2010 में अनुमति मांगी थी  और 2016 में  अनुमति  मिली  थी  यदि अनुमति के चक्कर में  रहेंगे तो काफी समय बीतने के बाद भी सहमति  मिले या ना मिले उसकी कोई गारंटी नही समय खराब होगाविभाग का दावा हे कि  जो वर्तमान में सर्वे चल रहा हे  उसमे 2027 तक हम कार्य पूर्ण कर देंगे। सूत्रों के मुताबिक धार के समीप तिरला में रेलवे जंक्शन बनाने की कवायद है तो वही राजगढ़ से लगभग किलोमीटर दूर रूपाखेड़ा टोल प्लाजा बदनावर से सरदारपुर मार्ग पर स्थित राजमार्ग के समीप रेलवे स्टेशन बनाने की भी कवायद लग रही है

 

  इधर ग्रामीणों  किसानों की खरमोर अधिसूचित क्षेत्र की जमीन पर  धुलेट में बनाया पॉवर ग्रिड उसकी लाइन भी तो हाई टेंशन  लाइन है तो वो कैसे बन गया यह बड़ा सवाल है। खरमोर अभयारण्य क्षेत्र में अनुमति संबंधित परेशानी से बचने लिए सरदारपुर-उमरकोट-झाबुआ रूट का सर्वे किया गया है। बताया जा रहा है रेलेवे बोर्ड जल्दी यह सौगात देना है।

 

  केंद्रीय राज्यमंत्री ठाकुर पर क्यो है आस?

 

  केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर खरमोर अभ्यारणय मुद्दे पर पूर्व में भी जब वर्ष 2014 में धार-महू संसदीय क्षेत्र की सांसद बनी थी उंसके बाद अपने संसदीय क्षेत्र सरदारपुर विधानसभा खरमोर अभ्यारणय को लेकर मुखर होकर आवाज उठा चुकी है। उन्होंने 6.5.2016 में उन्होंने आवाज उठाते हुए कहा था धार जिले की सरदारपुर तहसील में 568 हेक्टेयर भूमिजिसकी वन विभाग ने तार लगाकर फेंसिंग कर दी है और उसे खरमोर पक्षी के लिए सुरक्षित की है। वहां करीब 14 ग्रामवासियों की जमीन अधिग्रहित कर ली गयी है। उसमें से 35,000 हेक्टेयर भूमि पर उन्हें किसी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। जैसे मुख्यमंत्री आवास योजनाप्रधान मंत्री आवास योजना इत्यादि और सरकार द्वारा कृषि की जो विभिन्न योजनाएं चलायी जा रही हैंउनका भी उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा है। उस भूमि को अगर वह किसान बेचना चाहेतो उसके क्रय-विक्रय पर भी रोक लगी है और उसकी रजिस्ट्री पर भी रोक लगी है। उन्हें न तो बैंकों से ऋण दिया जा रहा है और उन्हें किसी भी योजना का लाभ नहीं मिलता है। वहां से खरमोर पक्षी लुप्त हो चुके हैं। इन किसानों को उस जमीन की रजिस्ट्री करने और उसके क्रय-विक्रय करने की अनुमति दी जाए।

 

ग्रामीणों की समस्याएं और सवाल

 

ग्रामीणों और किसानों ने सवाल उठाया है कि अगर धुलेट में हाई टेंशन लाइन वाली पावर ग्रिड खरमोर अभयारण्य क्षेत्र में बन सकती हैतो रेलवे लाइन क्यों नहींइस पररेलवे अधिकारियों ने कहा कि पावर ग्रिड और रेलवे लाइन की अनुमति प्रक्रियाएं अलग-अलग हैंऔर पक्षियों की सुरक्षा प्राथमिकता है। 

 

अब खरमोर अभ्यारणय को समझये -

 

  1. खरमोर पक्षी की अनुपस्थितिः वन विभाग के अनुसारपिछले 15 वर्षों से अधिक समय से खरमोर पक्षी को अभ्यारण्य क्षेत्र में नहीं देखा गया है। यह दर्शाता है कि यह क्षेत्र अब खरमोर पक्षी के लिए अनुकूल नहीं रह गया है।

 

     2. सीमा का अधिसूचित होना: खरमोर अभ्यारण्य के कारण 14 ग्राम अधिसूचित हुए थे। राष्ट्रीय वन्य जीवन बोर्ड की स्थायी समिति की 73 वी बैठक 17 जुलाई 2023 को हुई थी जिसकी अध्यक्षता पर्यावरणवन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भुपेन्द्र सिंह यादव ने की थी। 11 अगस्त 2023 के एक पत्र के अनुसार चर्चा की गई थी उसके बादस्थायी समिति ने मौजूदा 348.12 वर्ग किमी के क्षेत्र को घटाकर 132.83 वर्ग किमी के संशोधित क्षेत्र के लिए सरदारपुर खरमोर अभयारण्य की सीनाओं में परिवर्तन के लिए राज्य सरकार द्वारा प्रस्तुत संशोधित प्रस्ताव की सिफारिश करने का निर्णय लिया थालेकिन अब तक इसे अमल में नहीं लाया गया है।

 

 3. पर्यावरणीय हानियाँ अभ्यारण्य और अधिसूचित क्षेत्रों में कई परियोजनाएँ चल रही हैंजो पक्षियों और पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रही हैं। इनमें से कुछ हैं: अभ्यारण्य क्षेत्र से लगभग किलोमीटर की परिधि में फोरलेन मार्ग का निर्माण और ग्राम अमोदिया की सीमा में पॉवर ग्रिड की स्थापना । अधिसूचित क्षेत्रों में मोबाइल टॉवर का लगनाजो पक्षियों के लिए हानिकारक साबित हुआ है।

 

खरमोर अभ्यारण्य: पॉवर ग्रिड और रेलवे लाइन

     सरदारपुर, मध्य प्रदेश - सरदारपुर के खरमोर अभ्यारण्य में प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा को लेकर एक विवाद उभरा है। पॉवर ग्रिड कोर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने 400/220 केवी का उपकेंद्र बनाया है,ओर ऐसे ग्रिड से निकलने वाली हाईटेंशन पॉवर लाइन कौन सी सुरक्षा पक्षियो को प्रदान करेगा,जब से ग्रिड बना है खरमोर पक्षी विलुप्त होने का कारण बताया जा रहा है वन्यजीवों और पर्यावरण के लिए इस विवाद को गहराई से मूल्यांकन किया जाना चाहिए।

खरमोर अभ्यारण्य: पॉवर ग्रिड मामले में पक्षीविदों की चुप्पी पर सवाल

सरदारपुर, मध्य प्रदेश - खरमोर अभ्यारण्य के अदिसूचित क्षेत्र में 400/220 केवी पॉवर ग्रिड उपकेंद्र के निर्माण पर पक्षीविदों की चुप्पी ने सवाल खड़े कर दिए हैं। आमतौर पर एनजीटी और अन्य न्यायालयों में वन्यजीव संरक्षण के लिए आक्रामक रुख अपनाने वाले पक्षीविद इस बार क्यों खामोश हैं?

  स्थानीय निवासियों का मानना है कि पक्षीविदों का यह मौन हैरान करने वाला है। वे पूछते हैं, जब अन्य मामलों में पक्षीविद सक्रिय रहते हैं, तो इस परियोजना पर उनकी चुप्पी क्यों? पक्षीविदों को इस मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए और वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से समानता के आधार पर निर्णय लिया जाना चाहिए।
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