(प्रो - डॉ दिनेश गुप्ता- आनंदश्री आध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइंडसेट गुरु,मुम्बई)
लेख । शिक्षा से ही हर देश का विकास होता है। शिक्षक देश की नीवं है। इसलिए तो चाणक्य ने भी वह महान पंक्ति कही थी कि शिक्षक को कभी कमजोर नही समझना चाहिये क्योंकि देश का विकास और विनाश इसी की गोद मे पलते है।
इंजीनियर की गलती से बिल्डिंग या कोई ब्रिज गिर जाएगा। डॉक्टर की गलती से एक व्यक्ति की मौत हो सकती है लेकिन शिक्षक की गलती से पूरा देश पूरा परिवार और पूरी कौम बर्बाद हो सकती है। कहते है कि कोई शिक्षक समय समय पर अपने कक्षा में पंहुच रहा था तभी जाकर चंद्रयान अपनी कक्षा में पंहुचा।
इस वर्ष मात्र चंद्रयान 3 चाँद पर ही नही पंहुचा बल्कि देश का गर्व भी चाँद पर पंहुचा। नए देश का विकास सिर्फ अध्यापको से ही संभव है। शिक्षक ही देश का निर्माण कर्ता है। जो हमें अंधकार से उजियारे की ओर ले जाता है, सच्ची समझ देता है। शिक्षक जोहरी है और छात्र उसके रत्न है। यह रत्न पारखी गुरु ईश्वर का दूसरा रूप है।