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Mulayam Singh Yadav: यूपी की सियासत के मजबूत पहलवान थे ‘नेता जी’,जानिए मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक यात्रा....

 

(पंकज मौर्य यूट्यूबर,उन्नाव,उत्तर प्रदेश)

  सपा संरक्षक और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का सोमवार को निधन हो गया. वे 82 साल के थे. मुलायम सिंह यादव को यूरिन संक्रमण, ब्लड प्रेशर की समस्या और सांस लेने में तकलीफ के चलते पिछले दिनों गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी तबीयत लगातार नाजुक बनी हुई थी. 

  मुलायम सिंह यादव का अंतिम संस्कार मंगलवार को उनके पैतृक गांव सैफई में किया जाएगा. उनके पार्थिव शरीर को बस से गुरुग्राम से सैफई ले जाया जा रहा है. उधर, उत्तर प्रदेश सरकार ने मुलायम सिंह यादव के निधन पर तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है. 

  मुलायम सिंह यादव के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी समेत देश के तमाम राजनेताओं, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, और अन्य प्रमुख हस्तियोंं ने दुख जताया.

  "मुलायम सिंह यादव के पिता इन्हें पहलवान बनाना चाहते थे, पहलवानी में न सही पर अपने राजनीतिक जीवन मे इन्होंने कई नेताओं को पटकनें दी। समाजवाद की चाह रखने वाले व 3 बार यूपी के मुख्यमंत्री रहे समाजवादी पार्टी के संस्थापक ""धरती पुत्र"" मुलायम सिंह यादव जी को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

  मुलायम सिंह यादव साल 1989 में पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री बने. लेकिन 1991 में जनता दल टूटा गया. हालांकि 1993 में उन्होंने फिर यूपी में सरकार बनाई.

  उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं समाजवादी पार्टी (सपा) के संरक्षक मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है. मुलायम सिंह यादव ने काफी लंबी राजनीतिक पारी खेली है. हालांकि पिछले कई वर्षों से वे उम्र की वजह से राजनीति में बहुत सक्रिय नहीं थे. साल 2012 में अपनी सक्रिय राजनीति की आखिरी लड़ाई लड़ते हुए सपा अध्यक्ष के तौर पर मुलायम सिंह ने पार्टी को भारी जीत दिलाई थी और अपने बेटे अखिलेश यादव को सत्ता की कमान सौंपी थी. लेकिन उनके जीवन में एक ऐसा वक्त भी आया जब उन्होंने  बेटे अखिलेश यादव और भाई रामगोपाल यादव को सपा से निकालने का एलान कर डाला था.  इसके बाद अखिलेश यादव और शिवपाल सिंह यादव के बीच टकराव का एक पूरा दौर चला था.

  मुलायम सिंह की राजनीति दशक साठ के दौर में परवान चढ़ी थी. 1967 में जब लोहिया के नेतृत्व में 9 राज्यों में पहली बार गैरकांग्रेसी सरकारें बनी थीं, तब मुलायम संसोपा के टिकट पर यूपी विधानसभा के लिए चुने गए थे.


साल 1989 में बने पहली बार सीएम
  
  मुलायम सिंह यादव 1989 में पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री भी बने थे. लेकिन 1991 में जनता दल टूटा गया. हालांकि 1993 में उन्होंने फिर यूपी में सरकार बनाई, ये सरकार भी मायावती के साथ टकराव के बीच कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी. तीसरी बार वो 2003 में मुख्यमंत्री बने और 2007 तक इस पद पर बनें रहे.


   90 दशक मुलायम सिंह यादव का सबसे चुनौती भरा दौर था. राम मंदिर से जुड़ी सांप्रदायिक राजनीति की लड़ाई यूपी की ज़मीन पर लड़ी जा रही थी. 1990 में अयोध्या में गुंबदों पर कारसेवकों पर चली गोली ने उनके राजनीति सफर पर असर डाला. जबकि ये बात कभी साफ़ नहीं हुई कि उस गोलीकांड में कितने लोग मारे गए थे. 
  1992 में बाबरी मस्जिद गिरा दी गई और कल्याण सिंह सरकार बर्ख़ास्त कर दी गई. 1993 में कांशीराम की बसपा के साथ मिलकर उन्होंने दलितों और पिछड़ों की जो ऐतिहासिक गोलबंदी की, उसका असर ये हुआ कि यूपी में बीजेपी को पीछे छोड़ सपा-बसपा की सरकार बन गई. लेकिन ये दोस्ती ज़्यादा नहीं टिकी. बसपा इसके बाद बीजेपी के साथ हाथ मिलाती और सरकार बनाती नज़र आई.



  इसी दौरान केंद्रीय राजनीति में पहली बार संयुक्त मोर्चे की सरकार बनी. 1996 में अटल बिहारी वाजपेयी की तेरह दिनों की सरकार के जाने के बाद देवगौड़ा के नेतृत्व में जो सरकार बनी, उसमें मुलायम रक्षा मंत्री बनाए गए. लेकिन इसके बाद संयुक्त मोर्चा भी बिखरा, सपा की राजनीति भी बिखरी. 1999 में उन पर सोनिया गांधी से वादाखिलाफी का आरोप लगा जब संसद में अविश्वास मत के दौरान मुलायम अलग नज़र आए.

राजनीतिक सफर पर एक नजर


1977: पहली बार मंत्री बने

1982-1985: विधान परिषद के सदस्य रहे और परिषद में विपक्ष के नेता बने.

1985-87: जनता दल के प्रदेश अध्यक्ष बने.

1989-1991: पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.

1992: समाजवादी पार्टी का गठन किया.

1993-95: दूसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.

1996: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा, रक्षा मंत्री बने.

1998: संभल से फिर से लोकसभा सदस्य बने.

1999: संभल से फिर से सांसद चुने गए.

2003: तीसरी बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. पत्नी मालती देवी का निधन. साधना गुप्ता से विवाह किया.

2004: मैनपुरी से सांसद चुने गए.

2007: उत्तर प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता बने.

2009, 2014 और 2019 में सांसद बने.

ऐसे बीता था बचपन

   शिकोहाबाद क्षेत्र के गांव इटोली में रहकर मुलायम सिंह यादव ने पढ़ाई की थी. नेताजी ने इसी गांव में रहकर कुश्ती के दांव-पेंच सीखे. मुलायम सिंह यादव का पूरा परिवार इटावा के सैफई से पहले फिरोजाबाद जिले के शिकोहाबाद क्षेत्र के गांव इटोली में रहता था, लेकिन नेताजी के बाबा मेवाराम सैफई जाकर रहने लगे. फिर वहीं मुलायम सिंह यादव के पिताजी सुघर सिंह का जन्म हुआ. मुलायम सिंह यादव का जन्म भी सैफई में ही हुआ, लेकिन उनका वहां बहुत कम मन लगता था, इसलिए वह अपने पैतृक गांव ईटोली में आ जाते थे और काफी दिनों तक इसी गांव में रहते थे. बीच-बीच में वह सैफई चले जाते थे. उन्होंने इटोली गांव में रहकर आदर्श कृष्ण कॉलेज में पढ़ाई की. वे अपने मित्रों के साथ इटोली गांव से पैदल-पैदल उस समय शिकोहाबाद स्थित आदर्श कृष्ण कॉलेज में पढ़ाई करने आते थे.

  अगर मुलायम सिंह यादव के खाने की पसंद की बात करें तो उन्हें खाने में सबसे ज्यादा मक्के की रोटी और चना का साग पसंद था. इटोली में रहने वाली नेताजी की भाभी ने बताया था कि मुलायम सिंह यादव को चना का साग और मक्के की रोटी बेहद पसंद था. पढ़ाई के साथ-साथ मुलायम सिंह यादव गांव में रहकर गांव के युवकों के साथ पशु चराने भी जाते थे. इस गांव में मुलायम सिंह आखिरी बार 2014 में आए थे, जब उनके चचेरे भाई गिरवर सिंह की तबीयत खराब थी.

 यूट्यूबर पंकज मौर्य ने पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश मुलायम सिंह यादव जी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया।
  पंकज मौर्य ने मुलायम सिंह जी के समर्थक एवं पूरे परिवार को दुःख सहन करने की शक्ति ईश्वर से प्रार्थना की।



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