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आज की परिस्थिति में विराट श्री कृष्ण का संदेश,भगवान कृष्ण का जीवन विकट परिस्थितियों से भरा पड़ा था, लेकिन इसी विकट में वह विराट बने - आनंदश्री

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- कृष्ण अनुभव है 

  कृष्ण सबसे बड़े प्रेरणा के स्रोत्र है। वे आज भी ऊर्जा में उपस्थित है।  कृष्ण जीवन गुरु है। वे जीवन प्रबन्धन की ही नहीं जगत प्रबन्धन की विद्या बताते है। कृष्ण महाभारत के नायक, सूत्रधार, कर्मयोगी है। हमें जगाने मे ंसमर्थ है। आज को भाषा में कहे तो प्रबन्ध गुरु, कुटनीतिज्ञ व महामानव है।  

- लाईफ कोच 
 भारतीय संस्कृति में गूढ़ अर्थ भरा है जिनको कृष्ण के जीवन में देखा जा सकता है। वे हम सभी को अपनी भूमिकानुसार मंत्र बताते है। जीवन रक्षा के उपाय व जीने की कला बताते है। 


- अनेक रोग , एक कृष्ण योग

  वे बचपन से लेकर बुढ़ों तक के मार्गदर्शक है। वे शान्तिकाल में ही नहीं, उपद्रवग्रस्त मन को भी शान्त रखने की कला बताते है।
  कृष्ण गीता का संदेश देने वाले, रसीया, ग्वाला, रणछोड़, चमत्कारी पुरुष ही नहीं, वे तो मानवता का पग-पग पर संदेश देने वाले महापुरुष है। कृष्ण व्यक्ति है या अवतार, तत्व है या दर्शन, प्रेमी है या दोस्त, ऐताहासिक है या पौराणिक, ग्वाले है या भगोड़ें, ज्ञानी है या कुटनीतिज्ञ, शासक है या नियन्ता, इस विवाद में उलझना व्यर्थ है ।

- समझ से परे, विश्वास में कृष्ण

  कृष्ण को समझना सीमित बुद्धि के वश में नहीं है। असीम कृष्ण इस तरह कैसे व्यक्त हुए? उन्होंने यह सीमा क्यों मानी? इन सब को गहराई में जानना बाकी है। करोड़ों के पूजनीय आज भी कृष्ण कैसे है? सदियों से वे जीवित कैसे है? रासलीला करने वाला गीता का उपदेश कैसे देता है? नीति शास्त्र का पिता महाभारत में कभी-कभी अनीति का समर्थन कैसे करता है? कृष्ण एक पहेली है। इतने मन्दिर उनके, इतने मित्र, इतने गीत, इतनी पुस्तकें उन पर क्यों लिखी गई है? किसने लिखी है? कृष्ण की हर लीला में कोई मकसद छीपा हुआ है। कृष्ण कथा में प्रतीक व उपमाएँ बहुत है। उनको समझने हेतु खुला मन चाहिए। मीरा सा विश्वास चाहिए।

 कृष्ण का जीवन सीधा सपाट नहीं है। प्रत्येक घटना के पीछे गहरे अर्थ है। हर मुस्कान में अर्थ है। यह अवतारी पुरुष की लीला है। इनको समझना कठिन है। कृष्ण का व्यक्तित्व अनूठा है। अभी तक हम उन्हें टुकड़ों में देखते आए है। कोई योगेश्वर कृष्ण कहता है, कोई भगवान तो कोई राधा का प्रेमी, द्रोपदी सखा मानती है तो अर्जुन उन्हें गुरु, मीरा भक्त, रुकमणी प्रेमी मानती है। सुरदास के कृष्ण बालक है, गीता के कृष्ण गुरु है, भागवत के कृष्ण भिन्न है। गीता मानने वाले भागवत के रास रंग को पचा नहीं पाते है। सब उन्हें अपने-अपने नजरिए से देखते है। मीरा इन्हें प्रियतम मानती है, आज के युग मे गुजरात के नरसिंह मेहता भगवान मानते है। कृष्ण के अनेक रूप है। भिन्न-भिन्न लोग भिन्न-भिन्न रूप मान कर उनको पूजते है। कोई उन्हें ब्रह्य का अवतार, कोई महाज्ञानी तो कोई महा भक्त के रूप में देखता है।

- कृष्ण आनंद है
  अलबर्ट श्वात्जर ने भारतीय धर्मों को जीवन-निषेधक कहाँ है। लेकिन कृष्ण जीवन के पूर्व समर्थक है। वे पल-पल आनन्द से जीने की प्रेरणा देते है। महर्षि अरविन्द को जो जेल में दर्शन दे सकते है, तिलक का मार्गदर्शन कर सकते है, विनोबा को प्रेरित कर सकते है तो हमें क्यों नहीं पथ बता सकते है। कृष्ण आनंद है। विपरीत और विकट में भी वे विराट बने। 

- रोना छोड़ो , सब मुझ पर छोड़ो
  कृष्ण हँसते हुए धर्म के प्रतीक है। वे जीवन धर्म के प्रतीक है। कृष्ण उदास व नकारात्मकता के विरोधी है। वे जीवन में पूर्व स्वीकार के समर्थक है। वे शरीर वे चेतना दो में जीवन को विभाजित नहीं करते है। वे दोनों ही साथ स्वीकारते है। वे एकाकी, आदर्शवादी, कृष्ण को अभी समझा नहीं गया है। हम अपने तल से ही उनको देखते है। अन्यथा वे भविष्य के भगवान है। वे दमन के खिलाफ है,मन की पूर्णता के समर्थक है। जीवन का आनन्द उठाने का उपदेश देते है। तभी तो पुराण उन्हें पूर्व अवतार मानते है। कृष्ण सदैव प्रांसगिक है। उनका महत्व जीवन में हमेशा है। 

- श्री कृष्ण चेतन अवस्था का नाम है

  आप उन्हें आज भी आमंत्रित किजिये वह आ जाएंगे। आपकी प्रार्थना, ध्यान, लक्ष्य ईश्वर को पाना होना चाहिए। फिर आप जो जो चाहेंगे वह होगा। ईश्वर बार बार बताने आते है कि आपका जीवन, मनुष्य का जीवन ईश्वर के जीवन से श्रेष्ठ रहा है और है। 

देखिए ईश्वर के जीवन के संघर्ष को - 

1- भगवान जेल में पैदा हुए।
2-  सात भाई बहन की हत्या।
3- पैदा होते ही बाढ़, बारिश, तूफान का आना।
4- पैदा होते ही अलग अलग राक्षसों द्वारा हत्या की साजिशें
4- गांव की पढ़ाई
5- राजकुमार होते हुए कृष्ण भगवान को ग्वाला बनना पड़ा।
6- कृष्ण भगवान को अपने मामा का अंत करना पड़ा।
7- जिससे प्रेम किये उनसे शादी नही की।
8- राजा होते हुए भी सारथी बने।
9- माखन चोर, रणछोड़, और कई श्राप भी उनको झेलना पड़ा। 
10-  अपने ही बुआ के लडके शिपल का अंत कृष्ण को करना पड़ा।

   ये सारी बाते इस एक ही संकेत दे रही है की जब कृष्ण देवता का जीवन इतना कष्टप्रद हो कर भी उन्होंने अपने जीवन को सार्थक बनाया। तो आप और हम क्या है.
  उठो जागो !! कृष्ण अपने जीवन से बता रहे हैं कि हे मनुष्य तुम ईश्वर से बेहतर हो, यही सन्देश देने के लिए ईश्वर हमेशा अवतार लेते है। 

   रोना छोड़ो और उसकी शरण मे आ जाओ। कृष्ण शांति, सुकून, समृद्धि है।

प्रो डॉ दिनेश गुप्ता - आनंदश्री
आध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइन्डसेट गुरु
( लेखक स्वयम " दैनिक जीवन मे भगवद गीता " के लेखक है )
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