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त्याग और तपस्या की असली मूर्ति पिता होते है-MARSHAH



  फादर्स डे के मौके पर 'भारत में शांति दूत' मार्शा ने कहा कि एक मां के पास कहने के लिए बहुत कुछ होता है क्योंकि एक मां का अपने बच्चे के प्रति प्यार और समर्पण अद्वितीय होता है लेकिन एक पिता को अपने बच्चे के लिए जो त्याग और तपस्या करनी पड़ती है वह है बेजोड़। कम करके भी नहीं आंका जा सकता। उन्होंने कहा कि पिता की तुलना किसी से नहीं की जा सकती क्योंकि पिता त्याग और तपस्या के अवतार हैं, जो अपने कर्तव्य को पूरी तरह से निभाने का प्रयास करते हैं। मार्शाह ने कहा कि पिता एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर बच्चे को सुरक्षा का अहसास होता है। बाप ही बच्चों की सारी खुशियाँ दांव पर लगाते हैं। पिता जिम्मेदारी की भावना का नाम है, पिता परिवार का गौरव है। मार्शा फादर्स डे पर फिल्म इंडिया कम्युनिकेशंस द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। इस ऑनलाइन कार्यक्रम में बच्चों ने कार्ड, फोटो कोलाज और कविता आदि लिखकर अपने पिता को समर्पित किया। फादर्स पर आयोजित इस ऑनलाइन कार्यक्रम में रोहमा नकवी, आकर्षी, मोहम्मद अर्श, नव्या सिंह, श्रेष्ठ, अनिका, वानिया, अस्का और मोहम्मद जिदान आदि ने भाग लिया। दिन। कार्यक्रम में बच्चों ने मार्शा से ऑनलाइन बात की और सवाल पूछे। ऑनलाइन कार्यक्रम की अध्यक्षता शरमीन ने की और संचालन डॉ. शोभना ने किया।

द्वारा:

MARSHAH

भारत में शांति राजदूत,

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