राजगढ़(धार)। गुरु नवरत्न की जन्मभूमि पर राजगढ़ संघ शिरोमणि युगादिदेव श्री आदिनाथ परमात्मा जिन मंदिर के जीणोद्धार के साथ परमात्मा की प्रतिष्ठा निमित नगर को दुल्हन की तरह सजाया गया है। नगर दीपावली की तरह जगमगा रहा है,प्रतिष्ठा महोत्सव को यादगार बनाने हेतु श्रीसंघ द्वारा नयनाभिराम विनीता नगरी का निर्माण कर समस्त कार्यक्रम यही पर प्रतिदिन सम्पादित किये जा रहे है। मुख्य आयोजन रविवार 08 मई 22 को होगा।
पावनकारी अमृतमयी निश्रा - श्री आदेश्वर जिन मंदिर प्रतिष्ठा महोत्सव में पावन निश्रा प्रदान कर है मालव भूषण ,राजगढ़ नंदन पूज्य आचार्य भगवंत श्री नवरत्न सागर सूरीश्वरजी म सा के द्वितीय शिष्य क्रांतिकारी सन्त,युवा हृदय सम्राट,सर्वधर्म दिवाकर युवा आचार्यश्री विश्व रत्न सागर सूरीश्वरजी म सा , तृतीय शिष्य वागड़ भूषण आचार्यश्री मृदुरत्न सागर सूरीश्वरजी म सा , चतुर्थ शिष्य रत्न उपाध्याय श्री वैराग्य रत्न सागर जी म सा , गणिवर्य श्री आदर्श रत्न सागर जी म सा ,मुनिराज नमिरत्न सागर जी,मुनि अक्षत रत्न सागरजी,मुनि कीर्ति रत्न सागरजी,मुनि तीर्थ रत्न सागर जी,मुनि विशुद्ध रत्न सागर जी,मुनि उदय रत्न सागरजी,मुनि उत्तम रत्न सागर जी,मुनि गंभीर रत्न सागरजी,मुनि उज्जवल रत्न सागर जी,मुनि पवित्र रत्न सागर जी,मुनि समकित रत्न सागर जी,मुनि रम्य रत्न सागर जी,मुनि लब्धि रत्न सागर जी,मुनि मलय रत्न सागर जी,मुनि हींकार रत्न सागर जी एवं परम् पूज्य साध्वी श्री शिव-तिलक-मनोहर-फल्गु-सुमन-इंदुश्रीजी म सा की शिष्या - प्रशिष्या परिवार की पूज्य साध्वी सूर्यकांता श्रीजी म सा आदि ठाणा,साध्वी हेमेंद्र श्रीजी म सा,साध्वी दमिता श्रीजी, साध्वी प्रज्ञलता श्रीजी,साध्वी पूर्णयशा श्रीजी,साध्वी शीलरेखा श्रीजी,साध्वी मुक्ति दर्शना श्रीजी, साध्वी पूर्णहिता श्रीजी, साध्वी हेमप्रज्ञा श्रीजी, साध्वी मुक्ति निलया श्रीजी, साध्वी कल्पद्रुमा श्रीजी, साध्वी चंद्ररत्ना श्रीजी, साध्वी हित दर्शना श्रीजी, साध्वी मुक्ति रेखा श्रीजी, साध्वी भव्यपूर्णा श्रीजी, साध्वी सिद्धांत ज्योति श्रीजी, साध्वी सम्यग्दर्शना श्रीजी,साध्वी हितेषा श्रीजी, साध्वी मेघवर्षा श्रीजी म सा आदि साध्वीजी भगवंत अंजनशलाका प्रतिष्ठा महोत्सव में निश्रा प्रदान कर नगर वासियो को अपना आशीष प्रदान करेंगे।
नवरत्न हेम कमल शत्रुंजय धाम- राजगढ़ नंदन आचार्य देवेश श्री नवरत्न सागर सूरीश्वरजी म सा ने लगभग 34 वर्ष पूर्व जो स्वप्न संजोया था ,वह आज पूर्ण होने जा रहा है।वर्षो पूर्व नगर की धन्य धरा पर तपस्वी रत्ना साध्वी कमलप्रभा श्रीजी म सा का जब देवलोकगमन हुआ था ,तब उनके अग्निसंस्कार के पश्चात भी वस्त्र,श्रीफल,बादाम, यथावत रहे।यह चमत्कारी घटना को सुनकर पूज्य गुरुदेव नवरत्न सागर जी ने 16 महासतीओ के मंदिर निर्माण की इच्छा जागृत की लेकिन हो नही पाया।इसी स्थान पर लगभग 08 वर्ष पूर्व इसी नगर की दीपिका पूज्य साध्वी हेमप्रभा श्रीजी का भी अंतिम संस्कार इसी पवित्र स्थल पर किया गया था।पूज्य गुरुदेव की परम इच्छा को पूर्ण करने का बीड़ा उठाया युवा हृदय सम्राट आचार्यश्री विश्व रत्न सागर सूरीश्वरजी म सा ओर पूज्य साध्वी हेमप्रभा श्रीजी म सा की शिष्या - प्रशिष्याओ ने,जो आज साकार रूप ले रहा है और वह मंगल घड़ी 08 मई को आ रही है।
मंगलवार को सम्पन्न आयोजन - परमात्मा च्यवन कल्याणक हर्षोल्लास के साथ मनाया गया,जिसमे अभिनय द्वारा प्रस्तुतियां दी गई।परमात्मा के च्यवन कल्याणक के बारे में रंगारंग कार्यक्रम में जानकारी दी,इस कड़ी में बड़ी संख्या में समाज जनों ने नयनाभिराम कार्यक्रम का आनंद लिया।साधु साध्वीजी भगवंतों ने अपनी पावनकारी निश्रा प्रदान की।