राजगढ़ (धार)। जैन संस्कृति दान, शील और तप के कारण ही चल रही है । दान से मंदिर, धर्मशाला, भोजनशाला, सहित्य निर्माण एवं सहित्य की रक्षा की गयी है । तप किया तो आत्मा के कल्याण का मार्ग प्रशस्त हुआ है । शील व्रत के कारण आध्यत्मिक और मानसिक भावों का विकास हुआ है और शुभ भावों के कारण हम शुभ संकल्प लेकर पूण्य मार्ग के कार्यो में अग्रसर हुऐ है । इस अवसर्पिणी काल में अंतिम तीर्थंकर प्रभु श्री महावीरस्वामी हुए । संसार में धर्मी है तभी धर्म बचा है और समाजजनों के द्वारा धार्मिक क्रिया अनुष्ठान आदि के आयोजन करवाकर जिन धर्म को आगे बढाया जा रहा है । उक्त उपदेश गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. एवं गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद्विजय ऋषभचन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के दिव्य आशीष से राजेन्द्र भवन में आयोजित वर्षीतप के आराधकों के आशीर्वाद समारोह व वासक्षेप प्रदान कार्यक्रम में मुनिराज श्री चन्द्रयशविजयजी म.सा. ने प्रवचन में दिया व आगे बताया कि जिस मानव के जीवन में तीन गुण- अहिंसा, संयम और तप है उन्हें देवता भी नमन करते है क्योंकि देवता व्रत नियम पच्चखाण आदि का पालन नहीं कर सकते है । तप का आचरण करने से आत्मा की शुद्धि एवं सिद्धि होती है तप से शरीर कमजोर तो होता है पर आत्मा में मजबूती आती है और निकाचित कर्मो का नाश होता है । हमें वर्षीतप भावों के साथ करना है । हमारे निकाचित कर्मो का नाश हो, कषायों से मुक्ति मिले, हम सहज और सरल बने इन्ही भावों के साथ मन, वचन और काया की शुद्धि के लिये वर्षीतप की आराधना करनी है और इन्ही भावों के साथ आयोजक परिवार वर्षीतप की आराधना का आयोजन कर रहे है । तपस्या के माध्यम से ही आत्मा निर्मल बनती है । समतापूर्वक किये गये वर्षीतप आराधना से ही निकाचित कर्मो से मुक्ति प्राप्त होगी । मेरी ऐसी भावना है कि राजगढ़ नगर में कम से कम 100 आराधक वर्षीतप में भाग ले ।
मुनिराज श्री चन्द्रयशविजयजी म.सा., मुनिराज श्री जिनभद्रविजयजी म.सा. एवं साध्वी श्री प्रमितगुणाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री तत्वलोचनाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री विरागयशाश्रीजी म.सा., साध्वी श्री हर्षवर्धनाश्रीजी म.सा. आदि ठाणा 9 की पावनतम निश्रा में राजेन्द्र भवन राजगढ़ में सचिनकुमार कांतीलाल शांतीलालजी सराफ परिवार द्वारा 80 से अधिक आराधकों के वर्षीतप आरम्भ करने से पूर्व सभी आराधकों को देव गुरु और धर्म का सानिध्य मिले इस हेतु से आशीर्वाद एवं वासक्षेप प्रदान कार्यक्रम का आयोजन रखा गया था । यह आराधना 25 मार्च 2022 चैत्र वदी 8 से प्रारम्भ हो रही है । इस कार्यक्रम में राजगढ़ श्रीसंघ से श्री संतोष चत्तर, घेवरमल कांकरिया, सचिन सराफ, राजेन्द्र खजांची, दिलीप नाहर, राजेन्द्र मामा, कैलाश जैन, सुनिल बाफना, जीवनलाल तांतेड़ सहित बड़ी संख्या में वरिष्ठ समाजजन उपस्थित थे ।
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