धर्म: श्री मोहनखेड़ा तीर्थ से गच्छाधिपति आचार्य देवेश श्रीमद् विजय हेमेंद्र सुरिश्वर् जी महाराज साहेब के शिष्य एवं आचार्य श्री ऋषभ चंद्र सुरेश्वर जी महाराज साहेब के आज्ञानुवर्ति मुनिराज श्री चंद्र यश विजय जी महाराज साहेब व जिनभद्र विजय जी महाराज साहेब का का मंगलमय प्रवेश चापड़ा नगर में ढोल बाजे के साथ हुआ।
मुनि श्री के प्रवचन में मुनिश्री ने कहा की हमने संसार के सुख सुविधा प्राप्त करने के लिए परमात्मा तत्व को छोड़कर धन प्राप्ति के लिए अपना लक्ष्य निर्धारित कर लिया है, जबकि परमात्मा ने आत्मतत्व को प्राप्त करने के लिए संसार का त्याग कर दिया था, जब भी हमारे मन में धर्म करने की जिज्ञासा जागृत हो जाए हमें तुरंत धर्म के क्षेत्र में धर्म के कार्य कर लेना चाहिए क्योंकि मानव के जीवन में मनुष्य जीवन का कोई भरोसा नहीं होता है मृत्यु किस वक्त आ जाएगी इसका किसी को भी ज्ञान नहीं होता है जीवन में आयुष का कोई भरोसा नहीं है, इसलिए समय रहते धर्म के क्षेत्र में कार्य करके पुण्य अर्जित कर अपनी आत्मा के कल्याण के बारे में चिंतन करते रहना चाहिए ,जिस युग में सज्जन बहुत हो और दुर्जन कम हो और उनमें भी सज्जन का सानिध्य पाकर वह दुर्जन भी सज्जन बनने का प्रयास शुरू कर दे तो वह सतयुग कहा जाता है। जब दुर्जनों के प्रभाव में आकर सज्जन भी दुर्जन बनने लग जाए तब ऐसे समय काल को कलयुग कहा जाता है। हमें स्वयं के अंदर झांक कर देखना है कि हम स्वयं सज्जन है या दुर्जन है ,स्वयं का आकलन स्वयं को करना है, हम कहां से आए हैं क्यों आए हैं हम कौन हैं यह ज्ञान हमें प्राप्त करना है इसका निरंतर चिंतन हमारे अंदर चलना चाहिए,अपनी आत्मा को परमात्मा तत्व में लगाए रखना जब तक हमारी आत्मा परमात्मा तत्व में विलय नहीं हो जाए तब तक हमें निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए, मुनि श्री ने भजन के माध्यम से बताया के "जिंदगी एक किराए का घर हे, एक ना एक दिन बदलना पड़ेगा, मौत जब तुझको आवाज देगी घर से बाहर निकलना पड़ेगा" क्योंकि यह मकान हमें लीज पर प्राप्त हुआ है और यह लीज कब समाप्त हो जाएगी या कोई नहीं जानता इस वजह से हमें जो मानव जीवन मिला है इसमें पुण्य कर्म करते रह कर जो साथ जाने वाला पुण्य है उसका बैलेंस बढ़ाना है आज मानव पैसा कमाने को अपना प्रमुख लक्ष्य बना चुका है जबकि साथ में जाने वाला या पुण्य इसके बारे में बिल्कुल भी चिंतित नहीं है पैसा कमाने के चक्कर में वह अपना सुकून भूल चुका है आज हर व्यक्ति को दरिद्र ना बने इस बात की चिंता सताती है पर हमारी आत्मा की दुर्गति ना हो इस बात की चिंता किसी भी व्यक्ति को नहीं है।
मुनि श्री के नगर प्रवेश वह प्रवचन सभा में जैन श्री संघ अध्यक्ष संतोष जैन, सचिव राजेश दुग्गड़, उपाध्यक्ष डॉक्टर पी सी जैन, प्रदीप लुणावत कोषाध्यक्ष नरेंद्र बाबेल त्रिलोक बाबेल, स्वतंत्र चिप्पड, विनोद बाबेल आदि आज की साधर्मिक भक्ति का लाभ शांतिलाल भंसाली परिवार ने लिया, मुनि श्री के प्रवेश में जैन महिला मंडल चापडा व जैन अलर्ट ग्रुप चापडा के सदस्यो ने भी बढ़चढ़कर कर हिस्सा लिया।