राजगढ़(धार)। परमात्मा के द्वारा कही गई वाणी जो हम गुरु भगवंतो के श्री मुख से श्रवण करते है,वो सदैव आनंदकारी ओर मंगलकारी होती है,यदि कोई मनुष्य बिना भाव से भी प्रवचन सुनने के लिए धर्म स्थान पर जाता है तो वो उसके लिए भी सदैव मंगलकारी होता है,जीनवाणी का श्रवण हर किसी के भाग्य मे नही होता है,पुण्यशाली आत्मा ही ये श्रवण कर सकती है,महासती जी ने अहंकार ओर क्रोध के प्रभाव ओर उसके दुष परिणाम के बारे मे समझाते हुए बताया की अहंकार ओर क्रोध मनुष्य के विवेक को नष्ट कर देता है, क्रोध विभिन्न प्रकार के होते है,किसी के हित के लिए किया गया क्रोध उत्तम क्रोध कहलाता है,जीवन का कोई भरोसा नही है कब मृत्यु आ जाये किसी को पता नही, ईसलिए सदैव धर्म आराधना करते रहे, धर्म ही सच्चा साथी है जो मृत्यु के बाद भी साथ देता है, पुरे वर्ष भर मे तीन चौमासी पख्खी पर्व मनाये जाते है, दो चौमासी पख्खी पर्व तो चातुर्मास काल मे मनाते है जिसमे सभी साधु साध्वी भगवंत एक ही स्थान पर रह कर मनाते है,परंतु होली चौमासी पर्व शेष काल मे विहार मे जीस जगह साधु साध्वी भगवंत रुकते है वहा मनाते है, तीनो ही चौमासी पर्व का विशिष्ट महत्व होता है,इस दिन जीव के आयु बंध की सम्भावना सबसे अधिक रहती है ।
उक्त उदगार स्थानक भवन पर आयोजित प्रवचन सभा मे महासती श्री सुवर्णा श्री जी म.सा की शिष्या श्री मौन श्रीजी म.सा ने फ़रमाये, प्रवचन सभा को महासती श्री श्रुति श्रीजी म.सा के द्वारा भी संबोधित किया गया।
गुरु सौभाग्य प्रकाश भक्त मंडल के प्रांतीय सदस्य हेमंत वागरेचा ने बताया की गुरूवार को महासती श्री सुवर्णा जी आदि ठाणा 4 की पावन निश्रा होली चौमासी पख्खी पर्व जप तप त्याग आदि विभिन्न धर्म आराधना के साथ मनाया गया, मूणत परिवार के द्वारा 3-3 सामायिक का आयोजन रखा गया,जिसमे समाज के अनेक श्रावक श्राविका ने भाग लिया, प्रवचन सभा मे सकल श्री संघ के श्रावक श्राविका बच्चे आदि की बड़ी संख्या मे उपस्थिति रही।
श्री संघ के वरिष्ठ संरक्षक शैतानमल वागरेचा ने बताया की महासती मंडल का श्री संघ को 8दिन का सानिध्य प्राप्त हुआ,जिसमे समाजजन ने खुब धर्म आराधना करी, महासती मंडल का विहार शनिवार को निमाड़ की ओर होगा, आप अमझेरा होते हुए निमाड़ की ओर पधारेगे।