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लता दीदी के जीवन के संदेश पर चलना ही उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि है - प्रो.दिनेश गुप्ता "आनंदश्री"



  कुछ अपने जीवन में बिन कहे इतना भव्य संदेश संसार को दे जाते है कि संसार उनका ऋणी बनजाता है। 

  भारतरत्न स्वरकोकिला लता दीदी पंचतत्व में विलीन हो गयी। लेकिन वे हमेशा और हमेशा लोगो के दिलों में गुनगुनाते रहेगी। वह हमेशा प्रेरणास्रोत रहेगी। कुछ ही दिन स्कूल गयी हुई दीदी का जीवन संघर्ष और सेकड़ौ उपलब्धियों से भरा पड़ा रहा। उनका सादा जीवन लेकिन भव्य संदेश हर पीढ़ी को महत्वपूर्ण संदेश देता है।


- अपनी आवाज ढूंढ़ो

   कोई और बनने की अपेक्षा, वह बनो जो आप है। अपनी आवाज को ढूंढ़ो। उसे संसार मे अभिव्यक्त करे। क्या नही है कि अपेक्षा क्या है। उस टैलेंट का भरपूर प्रयोग करो। समाज आपके ओरिजिनल टेलेंट का इंतजार कर रहा है।  

- जिम्मेदारी लीजिये

   एक इंटरव्यू में लता जी ने कहा था " बहुत ही जल्द पारिवारिक जिम्मेदारी उन्होंने लेली थी।" इसी कारण लता दीदी को बहुत जल्द करियर बनाना पड़ा। जिम्मेदारी लेकर अपने काम मे व्यस्त रहे। बहाने से  बचो और आगे बढ़ते रहो। इंसान रुक जाएगा लेकिन समय रुकने वाला नही है। 

- अपने जमीन को न भूले

 सादा जीवन और उच्चतम से उच्चतम विचार की देवी है लता दीदी।

  स्वर कोकिला लता मंगेशकर फिल्म इंडस्ट्री की पहली महिला हैं जिन्हें भारत रत्न और दादा साहब फाल्के पुरस्कार प्राप्त हुआ था। साल 1974 में लता मंगेशकर को दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का रिकॉर्ड बनाया था। इसे 'गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड' में भी दर्ज किया गया है। इन सब के बावजूद वह जमीन से जुड़ी है। पैर जमीन पर और लक्ष्य आसमान पर होना चाहिए।

 

- फिल्म फेयर और लता जी

लता जी के सारे गाने लाजवाब और दिल को छूने वाले होते थे। इस लिए शुरुआत के प्रत्येक वर्ष उनका नाम फ़िल्म फेयर पुरस्कार के लिए आता था। बाद उन्होंने ही नए गायकों को भी यह सम्मान मिले इस लिए फ़िल्म फेयर को सम्मान पूर्वक ना कहा। दुसरो के बारे में भी सोचे।

- रिजेक्ट भी हुई थी लता दीदी

  ऐसा नही है कि फूलों का गलीचा पर ही वह चली है। उन्हें संघर्ष के पथरीले रास्ते पर भी चलना पड़ा।   1948 में एक फिल्म में उन्हें इस लिए इंकार किया गया कि उनकी आवाज बहुत " पतली " है। 

  लेकिन उनके आत्मविश्वास ने उसे   मील का पत्थर बना दिया। 

- फीस के लिए स्कूल नही जा पाई

 यह सच है कि फीस के लिए वह स्कूल नही जा पायी। लेकिन सफलता देखो आज उन्ही के नाम पर नागपुर में मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल है। 

 जल्द से जल्द अपनी आवाज को ढूंढ़ो। अपने पैशन का पता लगाओ। अपने आप को जानो। फोकस के साथ एक ही क्षेत्र लता मंगेशकर बन जाओ। उनके द्वारा दिए गए संदेश पर चलना ही उन्हें सबसे बड़ी विनम्र श्रद्धांजलि है।

 

 


प्रो.दिनेश गुप्ता- आनंदश्री

आध्यात्मिक व्याख्याता एवं माइन्डसेट गुरु,

मुम्बई


 

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