कला मानव को संवेदनशील बनाती है । आत्म निष्ठ जटिलताओं को सुलझाने में सहायक होती है । संगीत वाद्ययंत्र , चित्रकला और मूर्तिकला के सहारे व्यक्ति अपने अवसाद से मुक्ति पाता है । सृजन क्षमता तथा रचनात्मकता के साथ मौलिकता को जन्म होता है । कला हमारी चेतना में वृद्धि करके हमारी आत्मा का अभ्युदय करती है ।
भारतीय चित्रकला का संक्षिप्त इतिहास और प्रमुख चित्रकार नामक पुस्तक में कोतवाली चौक बारी टोल के निवासी प्रकाश बारी के पुत्र मिथिला चित्रकला के चित्रकार चन्द्रकान्त कुमार बारी के जीवन परिचय को स्थान दिया गया है। उल्लेखनीय है कि चित्रकार विगत कई वर्षों से कला क्षेत्र में सक्रिय हैं तथा इनके द्वारा किए गए कला संरक्षण और संवर्धन के कार्य को रेखांकित करते हुए इनके जीवन यात्रा ,संघर्ष और सफलता को इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक मे कला के आदिकाल से आधुनिक काल तक की यात्रा को सरल ,सहज भाषा में प्रस्तुत किया गया है जो टीजीटी तथा पीजीटी दोनों ही प्रकार के विद्यार्थियों के अध्ययन के अनुसार सामग्री का संकलन किया गया है। भारतीय प्रमुख चित्रकारों के जीवन परिचय के साथ उनकी उपलब्धी को प्रमुखता से दिखाया गया है। राजस्थान के रहने वाले साहित्यकार और चित्रकार रमेश शून्य द्वारा रचित पुस्तक की भूमिका बबीता कुमारी ने लिखी है। उनका मानना है कि नवोदय चित्रकारों और कला शिक्षकों के जीवन से प्रेरणा पाकर के भावी कलाकार सर्जन और की ओर उन्मुख होंगे तथा सकारात्मक और रचनात्मक के पथ पर बढ़ते हुये अंतशः कुंठा और अवसाद से भी मुक्ति प्राप्त करेंगे।
चन्द्रकान्त कुमार बारी मधुबनी शहर के कोतवाली चौक बारी टोल के रहने वाले हैं। कुछ महिने पहले ही कोलकाता के एक अंग्रेजी अखबार में इनके काम और इनके वारे में विस्तार से छापा गया था। इनके काम के लिए इन्हें संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया जाता रहा है।
भारतीय चित्रकला का संक्षिप्त इतिहास और प्रमुख चित्रकार नामक पुस्तक को 18 नवम्बर 2021 को वर्चुअल रुप से लाॅज किया गया है। ये पुस्तक आनलाइन फ्लिपकार्ट और एमेजोन से खरीद सकते हैं।